पिता और पुत्र के बीच कोरोना वायरस पर संवाद : In This article, We are providing पिता और पुत्र के बीच कोरोना महामारी पर संवाद लेखन and Pita aur Putra ke
पिता और पुत्र के बीच कोरोना वायरस पर संवाद : In This article, We are providing पिता और पुत्र के बीच कोरोना महामारी पर संवाद लेखन and Pita aur Putra ke Beech Corona Virus par Samvad Lekhan for Students and teachers.
पिता और पुत्र के बीच कोरोना वायरस पर संवाद
पिता : बेटा तुम्हारा मास्क कहाँ है ?
पुत्र : पिता जी, क्या आपको नहीं पता लॉकडाउन ख़त्म हो गया है ?
पिता : लॉकडाउन तो खत्म हो गया है लेकिन हमें अभी भी कोविड के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
पुत्र : लेकिन क्यों ? मुझे मास्क लगाना अच्छा नहीं लगता।
पिता : वो इसलिए क्योंकि लोग अब लापरवाह हो गए हैं इसलिए अगर मास्क नहीं लगाओगे तो कोरोना दोबारा भी फ़ैल सकता है।
पुत्र : ओह, यह बहुत बुरा हुआ है। मुझे इसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। मैंने पूरे हफ्ते से मास्क नहीं पहना है। मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे कोविड-19 है या नहीं?
पिता : तुम्हे कोविड नहीं हुआ है बेटा क्योंकि कोविड के लक्षण काफी हद तक बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे होते हैं। लेकिन फिर भी मैं एक बार तुम्हारा डॉक्टर से चेकअप करवाऊंगा।
पुत्र : अब से मैं हमेशा मास्क पहनूंगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करूँगा। और जब भी बाहर से आऊंगा तो तो सबसे पहले हाथ-पैर सैनिटाइज़ करूँगा।
पिता : शाबाश, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।
पिता और पुत्र के बीच कोरोना महामारी पर संवाद
पुत्र : पिताजी! कोरोनावायरस से हमें मुक्ति कब मिलेगी?
पिता : बेटा! कह नहीं सकते। कब मिलेगी, लेकिन शीघ्र ही मिलेगी क्योंकि दुनिया में कोरोनावायरस की दवा और वैक्सीन पर बहुत काम हो रहा हैस जल्दी ही इसका कोई ना कोई इलाज मिल ही जाएगा।
पुत्र : हाँ, पिताजी ! भगवान करे, ऐसा ही हो। हम सब लोग कोरोनावायरस की महामारी से बहुत परेशान हो गए हैं। आपका काम बंद पड़ा है, मेरा स्कूल बंद पड़ा है। मैं कहीं बाहर खेलने नहीं जा सकता। अब घर में कैद रहना अच्छा नहीं लगता।
पिता : बेटा! ऐसा ना कहो। कुछ अच्छे के लिए कुछ तो त्याग क्या करना ही पड़ता है। हमें अपने जीवन को बचाना है और कोरोनावायरस की महामारी से बचना है, तो हमें इतना तो करना ही पड़ेगा। घर में थोड़ा दिन रह कर अगर हमारा जीवन सुरक्षित रहता है, तो वह बेहतर उपाय है।
पुत्र : लेकिन पिताजी ऐसा कब तक चलेगा। आज 3 महीने से ज्यादा हो गए। यह सब होते हुए।
पिता : बेटा थोड़ा सब्र और कर लो जल्दी ही भगवान सब ठीक कर देगा ।
पुत्र : हाँ पिताजी ! जल्दी ही इस संकट से हम सब को मुक्ति मिल जाये और हमारा जीवन पहले जैसा हो जाये तो कितना अच्छा होगा।
पिता : हाँ बेटा ! तुम्हारी बात जल्दी ही सच होगी, और सब कुछ पहले जैसा ही हो जायेगा। फिलहाल तो तुम नियमों का पालन करते रहो। समय-समय पर हाध धोते रहो। मास्क पहन कर घूमो और लोगों से दो गज की दूरी बनाकर रखो। यही इस समय सबसे बेहतर उपाय है।
पुत्र : पिताजी! मैं हमेशा इस सारी बातों का ध्यान रखता हूँ।
पिता : शाबास बेटा।
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