पिता और पुत्र के बीच अनुशासन को लेकर संवाद लेखन : In This article, We are providing अनुशासन के महत्व के विषय पर पिता पुत्र में संवाद लेखन and Pita aur
पिता और पुत्र के बीच अनुशासन को लेकर संवाद लेखन : In This article, We are providing अनुशासन के महत्व के विषय पर पिता पुत्र में संवाद लेखन and Pita aur Putra ke Beech Anushasan ko Lekar Samvad Lekhan for Students and teachers.
पिता और पुत्र के बीच अनुशासन को लेकर संवाद
पिता : देखो राघव, तुमने बिना बताये आदित्य के बास्ते से किताब ले ली। यह बात है।
पुत्र : इसमें बुरा क्या है ? मैंने कौन सी किताब चुराई है।
पिता : देखो यह ठीक नहीं। बिना इजाजत लिए कभी किसी की कोई चीज नहीं लेनी चाहिए। इसे अनुशासनहीनता कहते है।
पुत्र : ये अनुशासनहीनता क्या होती है ?
पिता : किसी भी चीज को नियम, कायदे और समप पर करना ही अनुशासन है। जीवन के लिए अनुशासन बहुत ही आवश्यक होता है।
पुत्र : फिर तो अनुशासन के बहुत से लाभ होते होंगे ?
पिता : हाँ बेटे, जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन बड़ा आवश्यक है। अनुशासन से व्यक्ति में नियम संयम जैसे गुणों का विकास होता है।
पुत्र : अरे वाह! फिर तो मैं आज से ही अनुशासित बनने की कोशिश करूँगा।
अनुशासन के महत्व के विषय पर पिता पुत्र में संवाद
पिता : रोहन, तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ?
पुत्र : ठीक चल रही है पिता जी।
पिता : आज तुम्हारे शिक्षक मिले थे, तुम्हारी बहुत शिकायत कर रहे थे। कह रहे थे कि तुम स्कूल कम जाते हो ?
पुत्र : जी पिता जी, वो मैं दो दिन बीमार था। इसी कारण स्कूल नहीं जा पाया।
पिता : अच्छा, पर वो तो कह रहे थे कि तुम सिर्फ महीने में मुश्किल से 20 दिन ही स्कूल जाते हो। क्या तुम्हारे शिक्षक झूठ बोल रहे थे ?
पुत्र : मुझे माफ़ कर दीजिये पिता जी। पर मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता।
पिता : सुनो बेटे, छात्र जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासन में रहकर साधारण से साधारण बच्चा भी परिश्रमी बुद्धिमान और योग्य बन सकता है। समय का मूल्य भी उसे अनुशासन में रहकर समझ में आता है।
पुत्र : जी पिता जी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हुयी।
पिता : एक बात हमेशा याद रखना हमें हर काम अनुशासन से करना चाहिए चाहे फिर अनुशासन पढ़ाई में हो , खेलने में हो।
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