नेट न्यूट्रैलिटी पर निबंध : In This article, We are providing नेट न्यूट्रैलिटी पर निबंध and Net Neutrality Essay in Hindi for Students and teachers.
नेट न्यूट्रैलिटी पर निबंध : In This article, We are providing नेट न्यूट्रैलिटी पर निबंध and Net Neutrality Essay in Hindi for Students and teachers.
नेट न्यूट्रैलिटी पर निबंध
Net Neutrality Essay in Hindi - नेट न्यूट्रैलिटी का अर्थ है सभी लोगों को को इंटरनेट पर समान सुविधा मिलना। दुसरे शब्दों में नेट नेट न्यूट्रैलिटी का आशय है की आम आदमी, सरकार या बड़ी कंपनी, सबको इंटरनेट पर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सोशल मीडिया, ईमेल, वॉइस कॉल, ऑनलाइन शॉपिंग और यूट्यूब वीडियो जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए इन्टरनेट की एक समान स्पीड और एक्सेस उपलब्ध हो। ऐसा ना हो कि किसी बड़ी कंपनी की साईट जल्दी ओपन हो जाये और किसी छोटी कंपनी की साईट खुलने में बहुत समय ले या खुले ही नही. अर्थात इन्टरनेट पर हर यूजर के साथ समानता का व्यवहार ही नेट न्यूट्रैलिटी कहलाता हैं.
इसको आसानी से समझने के लिए हम नेट न्यूट्रैलिटी की तुलना रोड के ट्रैफिक से सकते हैं। जिस प्रकार सड़क पर हर वाहन को समान गति से चलने का अधिकार है. ऐसा नही है कि 1 करोड़ की गाड़ी वाला 5 लाख की गाड़ी वाले से तेज चलेगा और महँगी गाड़ी को एम्बुलेंस की तरह अन्य गाड़ियों से आगे निकाला जायेगा। इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देंगी.
कोलंबिया विश्वविद्यालय के मीडिया कानून के प्रोफेसर टिम वू ने सबसे पहले 2003 में नेट न्यूट्रैलिटी शब्द का प्रयोग किया था। नेट न्यूट्रैलिटी एक प्रकार का सिद्धांत है, जिसके तहत इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां हर तरह के डेटा को यूजर्स के सामने एकसमान तरीके से परोसती हैं। यानी पर किसी भी सर्विस के लिए बराबर शुल्क लिया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो कंपनियां अलग-अलग डेटा के लिए अलग-अलग कीमतें नहीं लेती हैं।
साल 2010 में नेट न्यूट्रैलिटी पर सबसे पहले चिली ने कानून बनाया था। उसके बाद नीदरलैंड ने भी कानून बनाया और फिर 2012 में दक्षिण कोरिया ने भी इसे लेकर अपना कानून तैयार किया। इसके अलावा अमेरिका में भी 2015 में नेट न्यूट्रैलिटी पर कानून बनाए गए।
भारत में नेट न्यूट्रैलिटी पर पिछले साल दिसंबर में तब बहस हुई जब एयरटेल ने इंटरनेट कॉलिंग के लिए 3G यूजर से पैसे वसूलने की बात कही थी। ऑपरेटर्स का दूसरा तर्क ये है कि उन्होंने अपना नेटवर्क खड़ा करने में हज़ारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं जबकि व्हॉट्स ऐप जैसी सेवाएं जो मुफ़्त में वॉइस कॉल की सर्विस देकर उनके उन्हीं नेटवर्क्स का मुफ़्त में फ़ायदा उठा रही हैं। इससे टेलीकॉम कंपनियों के कारोबार को नुकसान पहुंच रहा है।
नेट न्यूट्रैलिटी से लाभ
(1) नेट न्यूट्रैलिटी के अंतर्गत सर्विस प्रोवाइडर्स किसी भी वेबसाइट या ऑनलाइन कॉन्टेंट को जानबूझकर ब्लॉक या धीमा नहीं कर सकते। अर्थात ऐसा नही हो सकता कि अमेज़न की साईट जल्दी खुल जाये और फ्लिपकार्ट की साईट देर से खुले.
(2) विशेष सेवा के नाम पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है। सरल शब्दों में कहें तो इंटरनेट पर सभी एक समान हैं और सभी को बराबर मौके मिलेंगे।
(3) हर वेबसाइट पर एक समान स्पीड मिलेगी। कंपनियां किसी भी ऐप के लिए फ्री डेटा नहीं दे पाएंगी, जो अलग से पैसे देने के लिए तैयार हैं।
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