दादा और पोते के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing दादा और पोते के बीच संवाद लेखन and Dada aur Pote Ke Beech samvad Lekhan for Student
दादा और पोते के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing दादा और पोते के बीच संवाद लेखन and Dada aur Pote Ke Beech samvad Lekhan for Students and teachers.
दादा और पोते के बीच संवाद लेखन
दादा : राजू बेटा, थोड़ा पढ़ाई कर लो। दो घंटे से लगातार खेल रहे हो ?
पोता : दादा जी, अभी बत्ती नहीं आ रही। जैसे ही बत्ती आ जाएगी मैं पढ़ लूंगा।
दादा : बेटा, तुम पढ़ाई से जी चुराते हो। और एक हमारा समय था जब हम लालटेन की रौशनी में पढ़ाई किया करते थे।
पोता : क्या आपके समय में बिजली नहीं आती थी ?
दादा : (हँसते हुए ) हमारे समय में बिजली का नामोनिशान नहीं था।
पोता : बिना बिजली के गर्मी में तो आपका बुरा हाल हो जाता होगा ?
दादा : हमारे समय में आज जैसी गर्मी नहीं पड़ती थी। ठंडी-ठंडी हवा बहा करती थी। बाकि का काम हाथ वाला पंखा कर देता था।
पोता : तो अब इतनी गर्मी क्यों पड़ती है ?
दादा : इसलिए क्योंकि अब पहले जितने पेड़ नहीं बचे है। पहले चारों ओर हरियाली थी, सडकों के किनारे छायादार वृक्ष लगे होते थे इसीलिए गर्मी भी कम पड़ती थी।
पोता : अच्छा! तब तो सच में आपका समय बहुत अच्छा था।
दादा और पोते के मध्य संवाद लेखन
दादा : सोनू बेटा धूप निकलने को आई अभी तक तुम जागी नहीं हो
पोता : दादा जी मुझसे सुबह जल्दी जागने के मन नहीं करता।
दादा : यह गलत बात है बेटा जल्दी जागने से बहुत से लाभ होते है।
पोता : सच में दादा जी मुझे बताओ।
दादा : तुम सुबह जल्दी जागकर पैदल सैर करने जाया करो। हरी-हरी घास में नंगे पैर घुमा करो इससे आखों की रोशनी बढ़ती है।
पोता : और भी बताओ।
दादा : शुद्ध हवा में साँस लेने से दिमाग भी तेज चलता हैसुबह की सैर करने से स आपके शरीर के पाचन तंत्र को भी बहुत फायदा होता है।
पोता : दादा जी सुबह की सैर करने से मेरा वजन काम होगा ?
दादा : हाँ बिलकुल होगा। सुबह की सैर आपका वजन भी ठीक रहेगा।
पोता : फिर तो मैं अब से रोज़ जल्दी जाग कर घुमने जाया करूंगी।
दादा : सुबह की सैर करने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती है तथा साथ ही शरीर के जोड़ों और माँसपेशियों को नयी ऊर्जा मिलती है।
पोता : धन्यवाद दादी जी।
Dada aur Pote Ke Beech samvad Lekhan
पोता : दादा जी, आपके समय में लोग खाली समय में क्या किया करते थे ?
दादा : हम लोग तो आमतौर पर किताब पढ़ते या रेडियो सुना करते थे।
पोता : मुझे तो जब भी समय मिलता है तो मैं कंप्यूटर चालू करता हूं और वीडियो गेम खेलता हूं या इंटरनेट चलता हूँ।
दादा : हमारे कंप्यूटर नहीं हुआ करता था इसलिए हमलोग आमतौर पर शतरंज गिल्ली-डंडा या क्रिकेट खेलते थे। अगर हमें कुछ जानना होता तो हम अपने बड़ों से पूछते या पुस्तकालय जाते।
पोता : कितना उबाऊ लगता है ये सब, आज तो दुनिया मोबाइल पर आ गयी है। बस बटन दबाओ और कोई भी जानकारी ले लो।
दादा : समय बदल गया है और समय के साथ जमाना और लोग भी बदल गए है।
पोता : क्या आपको भी समय के साथ आगे नहीं बढ़ना चाहिए?
दादा : नहीं, मैं तो पुराने जमाने का ही अच्छा हूँ। मुझे आजकल की चीजें पल्ले नहीं पड़तीं।
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