Kachua aur Hans ke Beech Samvad Lekhan : In This article, We are providing कछुआ और हंस के बीच संवाद लेखन for Students and teachers.
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कछुआ और हंस के बीच संवाद लेखन
कछुआ : भाइयों! झील में अब ज्यादा पानी नहीं बचा। दो-चार दिन बाद ये झील बस कीचड का दलदल बनकर रह जाएगी।
पहला हंस : हाँ भाई कछुए! मैं तो यही सोचकर चिंतित हूँ कि पानी के बिना हम कैसे जिएंगे! तुम भी पानी के अंदर रहते हो और हम भी नदी का किनारा नहीं छोड़ सकते। .
दूसरा हंस : अगर पानी सूख गया तो हम सभी मारे जाएँगे। मैंने अपने पूरे जीवन में इतना भयानक सूखा नहीं देखा।
कछुआ : सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होगा। हमें इस विपत्ति से बच निकलने के लिए एक योजना बनानी चाहिए।
पहला हंस : योजना क्या बनानी ! हम तो भाई उड़ने वाले प्राणी हैं। उड़कर किसी और झील में चले जाएंगे। लेकिन तुम क्या करोगे ? तुम तो हमारी तरह उड़ भी नहीं सकते।
दूसरा हंस : बस एक ही परेशानी है, कछुए भैया। जो हमारा तुम्हारा वर्षों पुराना साथ है, वो टूट जायेगा। और विपदा में मित्र को छोड़ देना धर्म के विपरीत भी है।
पहला हंस : क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे हम तुम भी हमारे साथ चल सको ?
कछुआ : क्या तुम सचमुच मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे? क्या मै सच में अकेला रह जाऊंगा ?
दूसरा हंस : नहीं कछुए भैया, हम ऐसा नहीं चाहते। हम अवश्य ही आपको इस मुसीबत से बाहर निकालेंगे।
कछुआ : (प्रसन्नचित्त भाव से ) आओ फिर तीनो बैठकर कोई उपाय सोचते हैं।
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