दो मित्रों के बीच मेले पर संवाद लेखन : In This article, We are providing दो मित्रों के बीच मेले पर संवाद और मेले पर दो भाइयों के बीच संवाद for Student
दो मित्रों के बीच मेले पर संवाद लेखन : In This article, We are providing दो मित्रों के बीच मेले पर संवाद और मेले पर दो भाइयों के बीच संवाद for Students and teachers.
दो मित्रों के बीच मेले पर संवाद लेखन
मेले से लौट रहे दो बच्चों के बीच का संवाद
राम: आज मेला घूमने में बहुत मजा आया।
मोहन: हां सच में। आज का मेला बहुत अच्छा था। हमलोग ने खूब मजे किए।
राम: हां इस मेले में हमने खूब मस्ती की। इस बार के मेले में पिछले बार के मेले से ज्यादा झूले थे। इसलिए इस बार ज्यादा आनंद आया हमलोग को मिला घूमने में।
मोहन: हां इस बार नए और आधुनिक झूले थे जो बहुत मजा दे रहा था।
राम: खाने की चीज भी बहुत स्वादिष्ट थी। मैंने तो खूब आनंद लेकर खाया। तुमने खाया की नहीं??
मोहन: हां मैंने भी समोसा, जलेबी और रसगुल्ले खाएं।
राम: मैंने तो खिलौने भी लिए है। इस बार खूब खेलेंगे।
मोहन: चलो हमलोग घर में जाकर अपने मेले के अनुभव को सभी को बताते हैं। घर में सबको अच्छा लगेगा।
राम: हां, आज का दिन बहुत अच्छा था। अगली बार उम्मीद है इस बार से भी ज्यादा अच्छा अनुभव होगा।
दो भाइयों के बीच मेले पर संवाद लेखन
रमेश एवं सुरेश एक मेले में घूमने आते हैं। छोटा भाई रमेश पहली बार अपने बड़े भाई सुरेश के साथ अपने गांव से दूर एक शहर में बड़ा मेला देखने आया है।
रमेश : भाई सुरेश, यहां तो बहुत भीड़ है।
सुरेश : हां भाई, मेले में तो ऐसी ही भीड़ रहती है। (दोनों प्रवेश द्वार के अंदर जाते हैं।)
रमेश : भाई देख, यहां तो छोटा सर्कस भी है। चलो, देखकर आतें हैं।
सुरेश : हां हां चलो। (दोनों सर्कस में जाते हैं।)
रमेश : मैंने तो पहली बार हाथियों को ऐसे करतब करते देखा है। ये कैसे उस आदमी की बातें समझ रहे हैं?
सुरेश : इन्हे इसके लिए काफी कड़े प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है।
(इसके बाद दोनों भाइयों ने मेले में खूब मौज मस्ती की)
रमेश : आज तो बहुत मजा आया। मेरा मन तो फिर यहां आने का कर रहा है। अब हम कब वापस यहां आएंगे।
सुरेश : जल्दी ही आएंगे भाई , जल्दी ही ।
दोनों खुशी खुशी अपने गांव वापस चले जाते हैं।
पिता और बेटी के बीच मेले जाने पर संवाद
पिता: बेटी राधिका क्या तुम मेले में जाने के लिए तैयार हो गई हमें देर हो रही है।
बेटी: जी पिता जी! बस माताजी मेरे बाल बना दे।
पिता: ठीक है। बेटा बाल जरा कस कर बंधवाना क्योंकि मेले में तुम्हें झूले झूले हैं।
बेटी: क्या पिताजी ! वहां पर मुझे झूले झूलने को मिलेंगे? अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात है।
पिता: हाँ तो तुम्हें क्या लगा कि मेला कोई अच्छी जगह नहीं है?
बेटी: नहीं नहीं मुझे लगा था वहां पर केवल अच्छे-अच्छे खेल दिखाए जाते हैं और खिलौने मिलते हैं।
पिता: नहीं बेटा वहां पर मैं तुम्हें बहुत सारे झूले झुलवाऊंगा और कई सारे खिलौने भी दिलवा लूंगा अगर हम समय से निकले तो।
बेटी: तब तो जल्दी चलिए पिताजी कहीं समय ना निकल जाए।
पिता: हाँ चलो।
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