रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करते दो यात्रियों के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए दो यात्रियों के
रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करते दो यात्रियों के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए दो यात्रियों के मध्य का संवाद लेखन and Conversation between two Passengers in Train in Hindi Samvad Lekhan for Students and teachers.
रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए दो यात्रियों के मध्य का संवाद
पहला यात्री : इन दिनों ट्रेन में सफर करते समय बहुत डर लगता है।
दूसरा यात्री: मुझे भी ऐसा ही लगता है। हाल ही में इतनी दुर्घटनाएँ हुई हैं कि ट्रेनों में यात्रा करने वाले सभी लोग सुरक्षा को लेकर अत्यधिक संदिग्ध हो गए हैं।
पहला यात्री : आए दिन कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है। कल भी 13 डिब्बे पटरी से उतर गए थे और 5 लोगों की जान चली गई थी। 37 अन्य घायल भी हुए थे।
दूसरा यात्री : मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि रेल मंत्रालय मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है।
पहला यात्री : सरकार एक-दो महीने में कोई चमत्कार नहीं कर सकती। पूरे रेलवे को फिर से बनाने की जरूरत है। हमारी ट्रेनें काफी पुरानी और अप्रचलित हैं।
दूसरा यात्री : इसका मतलब है कि लोग जान गंवाते रहेंगे! मुझे लगता है कि अगर सरकार इसे पहली प्राथमिकता देती है तो वास्तव में यह सब बदल सकती है।
पहला यात्री : बदलाव शुरू हो चुका है। सरकार ने पुरानी ट्रेनों की जगह नई ट्रेन चलानी शुरू कर दी है। नए, सुरक्षित, मजबूत और हल्के कोच बनाए जा रहे हैं। यहां तक कि बुलेट ट्रेन भी शुरू कर दी गई है।
दूसरा यात्री : आशा करते हैं कि जल्द ही इन नई ट्रेनों में यात्रा करने का अवसर मिलेगा।
रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करते दो यात्रियों के बीच संवाद
किशोर : रास्ते में इतना जाम था कि लगा आज तो रेलगाड़ी छूट ही जाएगी।
महेश : अरे, भगवान् का शुक्रिया अदा करो की गाड़ी लेट हो गयी।
किशोर : वैसे, रेलगाड़ी बनारस पहुँचने में कितना समय लेती है ?
महेश : ये मान के चलिए भाई साहब कि कल सुबह तक पहुंचा देगी।
किशोर : सही है। फिर तो नहाना धोना घाट पर ही करेंगे। बनारस जाकर वहां के घाट नहीं घूमे तो क्या किया।
महेश : बिलकुल सही कहा आपने। बनारस जाकर गंगा स्नान करने का अपना ही आनंद है। फिर उसके बाद जो भूख लगती है और उसमे आलू-पूरी खाने में जो मजा आता है उसका तो कहना ही क्या ?
किशोर : अरे, भूख का नाम मत लो ।मैं तो जल्दी में कुछ खा कर भी नहीं चला घर से और अब मुझे बहुत भूख लग रही है ।
महेश : अभी तो रेलगाड़ी चलने में समय है, चलो तुम्हे कुछ खिलाया जाय ।
किशोर : अरे वाह ! नेकी और पूछ-पूछ ।
महेश : तुम्हे रेलवे स्टेशन के प्रसिद्द नंदू के छोले-कुलचे खिलाता हूँ । तुम्हे मजा आ जायेगा।
किशोर : क्यों नहीं ? पर कहीं देर ना हो जाये ।
महेश : चिंता मत करो जैसे ही रेलगाड़ी लेट चल रही है, कम से कम आधे घंटे बाद आएगी।
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