वर्ग से आप क्या समझते हैं ? वर्ग की विशेषताएँ बताइए। सामाजिक संस्तरण का दूसरा प्रमुख रूप वर्ग है। वर्ग लगभग सार्वभौमिक है। कुछ बहुत छोटे व अति सरल सम
वर्ग से आप क्या समझते हैं ? वर्ग की विशेषताएँ बताइए।
- वर्ग से आप क्या समझते हैं ?
- वर्ग की विशेषताएँ बताइए
वर्ग का अर्थ
सामाजिक संस्तरण का दूसरा प्रमुख रूप वर्ग है। वर्ग लगभग सार्वभौमिक है। कुछ बहुत छोटे व अति सरल समूहों में वर्ग नहीं मिलते फिर भी वर्ग का क्षेत्र जाति की अपेक्षा विस्तृत है और बढ़ता ही जा रहा है। भारत में भी जाति प्रथा की जड़ें कई कारणों से कमजोर हो रही हैं तथा वर्गों का उदय व विकास हो रहा है। वर्गों के आधुनिक महत्व से यह नहीं समझना चाहिए कि वर्ग केवल आजकल के समाज में ही मिलते हैं। इस संबंध में मार्क्स ने लिखा है, "अब तक के समाजों का इतिहास वर्ग-संघर्ष का इतिहास है।
वर्ग की परिभाषा
सामाजिक वर्ग की अवधारणा का संबंध समूह के सामाजिक विभेद से है। इनकी व्याख्या में काफी समानता मिलती है।
मैकाइवर और पेज ने सामाजिक वर्ग की परिभाषा करते हुए लिखा है,"एक सामाजिक वर्ग समुदाय का वह भाग है जो सामाजिक प्रस्थिति के आधार पर शेष भाग से पृथक होता है।
आगबर्न और निमकाफ वर्ग की उपरोक्त व्याख्या से मिलती-जुलती परिभाषा करते हुए कहते हैं। "एक सामाजिक वर्ग मनुष्यों का वह समूह है जो किसी समाज में अनिवार्य रूप से समान प्रस्थिति रखते
वेबर ने सम्पत्ति व सम्पत्ति के अभाव को वर्ग का आधार माना है और आर्थिक वर्ग को ही वास्तविक वर्ग स्वीकार किया है। इनके अनुसार वर्ग से तात्पर्य "मनुष्यों के उस समूह से है जो एक ही वर्ग स्थिति में मिलते हों
वर्ग की विशेषताएं
वर्ग की प्रमुख विशेषताएं हैं : (1) संस्तरण (2) वर्ग चेतना (3) सामान्य जीवन (4) खुलापन और गतिशीलता (5) अन्य वर्ग आवश्यक (6) व्यक्ति का महत्व
1. संस्तरण - वर्ग व्यवस्था में ऊँच-नीच का संस्तरण मिलता है। उच्च वर्ग के लोग संख्या में कम होते हैं, किन्तु प्रतिष्ठा और सम्मान में सबसे ऊँचे होते हैं। निम्न वर्ग में सदस्य संख्या सबसे अधिक किन्तु सम्मान में सबसे कम होता है।
2. वर्ग चेतना - वर्ग का प्राण चेतना है। बिना इसके वर्ग व्यवस्था का विकास नहीं हो सकता। यह चेतना जहाँ एक वर्ग के लोगों को एकता के सूत्र में बाँधती है, वहीं दूसरों को हीन मानने को प्रोत्साहित करती है।
3. सामान्य जीवन - एक वर्ग के लोगों में जीवन के समान अवसर होने के कारण सामान्य जीवन मिलता है, जैसे - धनी-वर्ग अपव्यय करने, विलासी जीवन व्यतीत करने में अपनी शान समझता है। निम्न वर्ग अभाव और संतोष का जीवन व्यतीत करता है।
4. खुलापन और गतिशीलता - वर्ग में खुलापन तथा गतिशीलता मिलती है। व्यक्ति अपने गणों व परिश्रम से वर्ग में परिवर्तन कर सकता है। साथ ही वर्ग व्यवस्था में प्रतिबंधों की भरमार नहीं होती है।
5. अन्य वर्ग आवश्यक - अकेला वर्ग सामाजिक वर्ग नहीं कहा जा सकता इसलिए कम से कम दो वर्गों का होना वर्ग व्यवस्था के लिए अनिवार्य है।
6. व्यक्ति का महत्व - जाति में जन्म का महत्व है, किन्तु वर्ग में व्यक्तिगत गुणों, कार्यक्षमता व कशलता का महत्व है। इसलिए निम्न वर्ग में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता व प्रयास से उच्च वर्ग का सदस्य बन सकता है।
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