Hindi Essay on "Swan Bird", "हंस पक्षी पर निबंध", "10 Lines on Swan in Hindi" for Students

Hindi Essay on "Swan Bird", "हंस पक्षी पर निबंध", "10 Lines on Swan in Hindi" for Students. हंस को अंग्रेजी भाषा में स्वान (Swan) कहते है। हंस एक प्र

Hindi Essay on "Swan Bird", "हंस पक्षी पर निबंध", "10 Lines on Swan in Hindi" for Students

    हंस पर वाक्य - 10 Lines on Swan in Hindi

    (1) हंस एक विशालकाय जलीय पक्षी है। 

    (2) एक हंस का जीवनकाल 20 से 40 वर्ष तक हो सकता है। 

    (3) हंस फिनलैंड नामक देश का राष्ट्रीय पक्षी है। 

    (4) हंस का स्वाभाव बहुत शर्मीला होता है। 

    (5) हंस आमतौर पर जलाशयों जैसे तालाबों, नालों आदि पर तैरता है।

    (6) हंस को इसकी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाना जाता है। 

    (7) हंस का स्वरूप बत्तख के समान होता है। 

    (8) हंस काले और सफेद हंस दो प्रकार के होते हैं।

    (9) हंस की एक चोंच और एक लंबी क पतली गर्दन होती है। 

    (10) हंस के पैर जालीदार होते हैं जो इसे तैरने में सहायता करते हैं। 

    (11) प्राचीन काल में हंस को एक दैवीय पक्षी माना था। 

    (12) हंस को ज्ञान के देवी सरस्वती का वाहन माना गया है। 

    (13) हंस वनस्पति खाता है क्योंकि यह शाकाहारी होता है।

    हंस पक्षी पर निबंध (200 शब्द ) for Class 3, 4

    हंस एक लंबी गर्दन वाला जलीय पक्षी है। जो बतख परिवार से संबंधित है। हंस  यूरोप, एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में पाया जाता है। हंसों के पैर जालदार होते हैं जो उन्हें काफी तेजी से तैरने में मदद करते हैं।

    हंस (Swan) अनैटिडाए कुल के सिग्नस (Cygnus) वंश के पक्षी होते हैं। वर्तमान विश्व में इसकी 6 जीवित जातियाँ हैं, हालांकि इसकी कई अन्य जातियाँ भी थीं जो विलुप्त हो चुकी हैं। हंस का बत्तख और कलहंस से जीववैज्ञानिक सम्बन्ध है, लेकिन हंस इन दोनों से आकार में बड़े और लम्बी गर्दन वाले होते हैं। नर और मादा हंस आमतौर पर जीवन-भर के लिए जोड़ा बनाते हैं।

    अपनी सुंदरता और लम्बी यात्राओं के लिए हंसों को कई संस्कृतियों में महत्व मिला है। भारतीय साहित्य में इसे बहुत विवेकशील पक्षी माना जाता है। हंस को ज्ञान के देवी सरस्वती का वाहन माना गया है। ऐसा विश्वास है कि यह पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक से युक्त है। यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है। ऐसी मान्यता है कि यह मानसरोवर में रहते हैं। हंसों को आजीवन जोड़ा बनाने के लिए भी प्रेम-सम्बन्ध और विवाह का प्रतीक माना गया है।

    हंस पक्षी पर निबंध (250 शब्द ) for Class 5, 6

    विश्व भर में हंस की कुल 6 से 7 जातियां पाई जाती है इनमें से सफ़ेद हंस, राज हंस और श्याम हंस प्रमुख हैं। हंस पक्षी गीज़ और बत्तख के करीबी रिश्तेदार हैं। हंस जोड़े में रहने वाला पक्षी है। इसलिए इसको प्रेम का प्रतीक भी कहते है। हंस मरते दम तक साथ रहते है। हंस (Swan) का औसत जीवनकाल 10 से 15 वर्ष तक होता है। वैसे अनुकूल वातावरण में यह पक्षी 30 से 40 साल भी जीवित रह सकता है। हंस सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों में से एक हैं। इनका वजन 15 किलो तक भी हो सकता है।इनकी लंबाई 56 से 62 इंच तक हो सकती है। हंस के पैर छोटे और झिल्लीदार होते है जिससे यह पानी में अच्छी तरह से तैर पाता है.

    हंस की उड़ान बहुत शानदार होती है। जब भी कभी कोई हंस उड़ता है तथा अपने पंखों को फड़फड़ाता है, तो उसके ठीक पीछे उड़ने वाले हंस को उड़ान भरने में आसानी हो जाती है। इस प्रकार जब हंसों का झुंड वी के आकार में उड़ान भरता है, तो सभी हंसों को अपने आगे वाले हंस के पंखों की फड़फड़ाहट से उत्पन्न ऊर्जा से शक्ति मिलती है।

    हंस लगभग अपना पूरा जीवन काल पानी में ही बिता देता है. हंस को जलचर पक्षी भी कहते है. हंस बहुत ही शर्मीले स्वभाव का होता है इसलिए है इंसानों के पास आने पर उनसे दूर भाग जाता है. इस पक्षी का निवास स्थान तालाब, नदिया, नहरें होता है। हंस पूरी तरह शाकाहारी होते हैं यह मुख्यतः पौधों की जड़ें, नरम तने, कलियां, पत्ते तथा छोटे फल खाते हैं।

    हंस पक्षी पर निबंध (300 शब्द ) for Class 7

    हंस को अंग्रेजी भाषा में स्वान (Swan) कहते है। हंस एक प्रवासी पक्षी है जो ठंड के मौसम में प्रवास करते हैं. हंस भारतीय पक्षी नहीं है, हंस ठन्डे इलाकों जैसे यूरोप और साइबेरिया में पाए जाते हैं। यह एक विशालकाय जलीय पक्षी होता है। हंस बहुत खूबसूरत पक्षी होता है इसके पंख मखमल के कपड़े के जैसे कोमल होते है। हंस का स्वभाव शांत होता है। यह शांति से पानी पर तैरता रहता है। हंस शर्मीला भी होता है।

    हंस की गर्दन बगुले के सामान सुराहीदार पतली और लम्बी होती है। हंस का जीवन काल 15 से 40 वर्ष का होता है। हंस सर्वाहारी पक्षी हैं लेकिन ज्यादातर शाकाहारी भोजन करते हैं। हंस एक ऐसा पक्षी है जो कि पानी पर तैरते समय भी सो सकता है। यह मुख्यतः पौधों की जड़ें, नरम तने, कलियां, पत्ते तथा छोटे फल खाते हैं। वे बीज, जामुन और कीड़े भी खाते हैं। दुनिया भर में हंसों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं।

    हंस स्वाभाविक रूप से शांत पक्षी है यह आमतौर पर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन जब कोई इसके घोंसले के पास या इस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो यह उसे को दौड़ा लेता है।  कभी-कभी यह उन्हें काट भी लेता है।  

    हंस अपने सम्पूर्ण जीवन अपने एक साथी के साथ गुजरता है। यदि साथी की मृत्यु हो जाए तो हंस अकेला ही अपना जीवन व्यतित कर देता है। इसीलिए हंस पर साहित्य में कई कविताऐ लिखी गयी है। कई हिंदी फिल्मी गीतों में हंस का जिक्र आता है। हंस को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

    भारतीय साहित्य में इसे बहुत विवेकी पक्षी माना जाता है। और ऐसा विश्वास है कि यह नीर-क्षीर विवेक (पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक) से युक्त है। यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है। ऐसी मान्यता है कि यह मानसरोवर में रहते हैं। यह पानी मे रहता है। यह एक दुर्लभ जीव है।

    हंस पक्षी पर निबंध (400 शब्द ) for Class 8

    हंस (Swan Bird) पानी मे तैरते हुए अक्सर दिख जाते है। हंस अपना ज्यादातर समय पानी में बिताते है। यह उन चुनिंदा पक्षियों में आते है जो पानी पर तैरते है। इसीलिए हंस को जलचर पक्षी भी कहते है। इसकी मुख्य रूप से 7 प्रजाति है। हंस मुख्यतः एशिया, यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में पाये जाते है। भारत में भी हंस मिलते है। अफ्रीका महाद्वीप में हंस नही पाया जाता है।

    हंस की गर्दन बगुले की तरह लम्बी और सुराहीदार होती है। हंस पक्षी का रंग काला या सफेद होता है। सफेद रंग के हंस भारत में ही मिल जाते है। जबकि श्याम हंस ऑस्ट्रेलिया में मिलते है। अमेरिका में काले रंग की गर्दन के हंस मिलते है। एक हंस का औसत जीवनकाल 10 से 15 वर्ष तक होता है। लेकिन अनुकूल वातावरण में यह पक्षी 30 साल भी जीवित रह सकता है। हंस की चोंच काली, पीली, लाल रंगों में होती है।

    हंस का निवास स्थान पानी के आसपास होता है। यह तालाबों, नदियों, सरोवर, झीलों में पाये जाते है।

    हंस को हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक देवी सरस्वती का वाहन माना गया है। पुरातन मान्यताओं के अनुसार हंस दूध को पानी से अलग कर सकती है और केवल दूध पी सकती है। हंस हमेशा पवित्रता, स्नेह, प्रेम, महिमा और दिव्यता से जुड़ा हुआ है। मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति के लिए हिंदुओं ने प्रकृति में हर चीज का उपयोग किया।

    हंस, नल और दमयंती की पौराणिक प्रेम कहानी का हिस्सा है, जहां यह दो अजनबियों के बीच की कहानियों, ऐतिहासिक जानकारी और संदेशों को आदान प्रदान करता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में, मोती खाने और दूध पानी के मिश्रण से पानी को अलग करने के लिए हंस को माना जाता है। वैसे यह मान्यता मात्र है इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हैं।

    हंस का स्वभाव शांत होता है। यह शांति से पानी पर तैरता रहता है। हंस शर्मीला भी होता है। इसके पैर की बनावट झिल्ली युक्त होती है जिससे ये आसानी से पानी पर तैर लेते है। यह वैसे तो मनुष्य को नुकसान नही पहुँचाता है लेकिन इसके अंडों को नुकसान करने पर काट सकता है।

    नर हंस को केवल हंस कहते है। जबकि मादा हंस को हंसिनी कहते है। यह जोड़े में रहने वाला पक्षी है। मादा के साथ एक बार बनाया जोड़ा हमेशा रहता है। इसलिए इसको प्रेम का प्रतीक भी कहते है। हंस मरते दम तक साथ रहते है। हंस पर साहित्य में कई कविताऐ लिखी गयी है। कई हिंदी फिल्मी गीतों में हंस का जिक्र आता है। हंस को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

    Essay on Swan in Hindi

    हंस एक दुर्लभ पक्षी है। हंस एक बहुत सुन्दर सफ़ेद रंग का पक्षी होता है जो कि  पक्षियों के Anatidae परिवार का सदस्य है तथा यह Cygnus वर्ग में आता है। हंस पक्षी के शरीर का वजन करीब 10 से 12 किलोग्राम तक होता है। इनकी लम्बाई करीब डेढ़ मीटर होती है। हंस पक्षी की चोंच का रंग उसकी प्रजाति के अनुसार अलग अलग होती है।

    विश्व भर में हंस की कुल 6 से 7 जातियां पाई जाती है इनमें से प्रमुख Black-necked Swan, Black Swan, Mute Swan, Trumpeter Swan, Tundra swan, हंस पक्षी गीज़ और बत्तख के करीबी रिश्तेदार हैं। ज्यादातर हंस सफेद होते हैं। वे उत्तरी गोलार्ध में पाए जाते हैं। हंस प्रवासी पक्षी होते हैं। जो कि ठंड के मौसम में प्रवास करते हैं. इसका मतलब है कि वे यूरोप, एशिया, उत्तरी अमेरिका और साइबेरिया जैसे ठन्डे इलाकों में पाए जाते हैं। हंस अक्सर बड़ी झील और तालाब के पास ही पाए जाते हैं।

    सबसे बड़े हंस का आकार डेढ़ मीटर तक हो सकता है, तथा इसका वजन 15 किलो तक होता है हंस के पंखों का फैलाव 3 मीटर तक हो सकता है mute swan, trumpeter swan, और whooper swan  प्रजाति के हंस सबसे बड़े होते हैं, यूरोप में अक्सर इनके मांस के लिए इनका शिकार किया जाता है क्योंकि इनसे काफी मात्रा में स्वादिष्ट मास प्राप्त किया जा सकता है। भेड़िया, लोमड़ी जैसे जानवर हंस का शिकार करते है। ये जानवर इनके अंडे भी खाते है।

    हंस को उड़ते हुए देखना बहुत ही शानदार नजारा होता है यह आकाश में भी V के आकार में उड़ते हैं सबसे आगे प्रमुख नर हंस उड़ता है जो पूरे समूह का रास्ता बताता है तथा उसके पीछे दो अलग अलग लाइनों में दूसरे हंस उड़ान भरते हैं. यह प्रवास करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर तक उड़ कर जाते हैं हंस 95  किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकते हैं. इनकी औसत गति 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.

    हंसों की औसत उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच होती है, अलग अलग प्रजाति में इसमें थोड़ा बहुत अंतर पाया जाता है उत्तरी अमेरिका में पाए जाने वाला trumpeter swan जो आकार में सबसे बड़ा होता है उसकी औसत उम्र 24 साल होती है,  mute swan नाम की प्रजाति का हंस 20 साल तक जिंदा रहता है, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पाए जाने वाला काला हंस सबसे ज्यादा 40 वर्षों तक जीवित रह सकता है.

    हंस पक्षी का आवास तथा भोजन

    हंस को दलदली घास के मैदान पसंद होते हैं यह झील तालाबों नदियों और जल धाराओं के पास पाए जाते हैं,  हंस पूरी तरह शाकाहारी होते हैं यह मुख्यतः पौधों की जड़ें, नरम तने, कलियां, पत्ते तथा छोटे फल खाते हैं.

    हंस 4 से 7 साल की उम्र में व्यस्क होते हैं, नर और मादा हंस बहुत लंबे समय के लिए जोड़ा बनाते हैं कभी-कभी यह पूरे जीवन काल तक साथ रहते हैं और कोई दूसरा साथी नहीं चुनते हैं, नर और मादा हंस सैकड़ों किलोमीटर का प्रवास करने के दौरान भी साथ रहते हैं.

    हंस पक्षी जमीन पर ही घोसला बनाते हैं जो की पानी के करीब रहता है,  नर और मादा हंस दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं तथा अंडों को बारी-बारी से सेते हैं हंस के अंडों का आकार 113 X 74 मिलीमीटर का होता है इनके अंडे का वजन 340 ग्राम होता है हमसे एक बार में 4 से 7 अंडे देते हैं,  इन अण्डों से 34 से 45 दिन तक सेया जाता है, हंस पक्षी अपने घोंसले की आक्रामकता से रक्षा करते हैं पास जाने पर यह इंसानों पर भी हमला कर देते हैं.

    क्या हंस मोती और हीरे खाते हैं ?

    हंस वास्तव में शाकाहारी पक्षी होते हैं, केवल कभी-कभी यह छोटे कीड़े खा लेते हैं, इनके भोजन में मुख्यतः पत्तियां झील में होने वाले छोटे पौधे तने फूल की कलियां इत्यादि होते हैं,  हंस की कोई भी प्रजाति मोती नहीं खाती है, ना ही हंस हीरे खाते हैं यह सब काल्पनिक बातें लोक साहित्य में लिखी गई है. साहित्य में अलग-अलग बातों का वर्णन करने के लिए उपमाओं का उपयोग किया जाता है हंस का मोती खाने की बात भी एक उपमा है इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है. अगर एसा होता तो लोग एक भी हंस को जीवित ना छोड़ते उनके पेट से आसानी से हीरे मोती निकलने के चक्कर में सब को मार डालते. दूसरा सबूत यह हे की हजारों हंसो को मांस के लिए यूरोप में मारा जाता हे किसी एक के पेट से भी आज तक मोती नहीं निकले.

    हंस से सम्बंधित मान्यताएं 

    हंस पक्षी की सुंदरता की वजह से इसके साथ कई कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हुई है, कि हंस पक्षी का खाना मोती और हीरे होते हैं तथा हंस पक्षी पानी और दूध को अलग कर सकता है,  इसे नीर क्षीर विवेक कहते हैं. अक्सर किस्से और कहानियां और कविताओं में कहा गया है कि हंस दूध और पानी को अलग अलग कर देता है दूध और पानी के मिश्रण में से दूध पी लेता है पानी छोड़ देता है इसीलिए इसे काफी विवेक शील माना जाता है इस घटना को  नीर क्षीर विवेक नाम दिया गया है, लेकिन इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है हंस दूध और पानी अलग नहीं कर सकते किसी भी प्राणी के लिए संभव नहीं है, वास्तव में हंस की सुंदरता को देखकर हमारे पूर्वजों ने यह मान लिया कि यह  दिव्य पक्षी है इसके अंदर देवी शक्तियां होनी चाहिए और इस तरह उन्होंने हंस की शक्तियों की कल्पना की. हंस वास्तव में दूध और पानी को अलग नहीं कर पाता है

    हंस पर निबंध - Hans par Nibandh

    हंस पृथ्वी पर पाये सबसे शानदार पक्षियों में से एक है।  पक्षी प्रजाति मे सबसे श्रेष्ठ पक्षी को माना जाता है। ये सबसे सुंदर भी होता है। इसे माता सरस्वती का वाहन भी माना जाता है। हंस का आकार तथा मिलाव बत्तक के समान होता है। जल हंस का घर होता है। हंस अपना ज़्यादातर जीवन जल मे ही व्यतित करते है।

    हंस को सबसे पवित्र पक्षी भी माना जाता है। ये दिखने मे बहुत ही सुंदर है। ये बहुत ही प्यारा होता है। हंस वर्तमान मे पूरे विश्व के हर भाग मे पाये जाते है। हंस को बड़े तालाबो मे रहना अच्छा लगता है। ये पक्षी बहुत ही शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है। हमारे देश मे पाये जाने वाले हंस राजहंस प्रजाति के है।

    हंस का परिचय

    हंस बड़े आकार का होता है। इसका रंग सफ़ेद होता है। हंस बहुत ही शर्मीले स्वभाव का होता है। हंस का अपना घर नहीं होता है। ये जल मे ही तैरता रहता है। इसी कारण इसे जलचर पक्षी के नाम से भी जाना जाता है। आपने एक कहावत तो सुनी होगी। हंस मे ''दूध का दूध पानी का पानी'' करने की क्षमता रखता है। ये कहावत हंस पर ही बनाई गयी है। इस कहावत का अर्थ है। सत्य तथा असत्य मे अंतर करना इस पक्षी की खासियत है। इसलिए इसे सत्य का प्रतीक भी कहते है।

    हंस का भोजन

    हंस का प्रमुख भोजन होता है। बीज, छोटे-बड़े कीड़े- मकोड़े, ईल घास, हरे शैवाल तथा बोर खाता है। कई लोगो का मानना है। कि हंस मोती को चुनकर खाता है। इस बात को हम नहीं मान सकते है। क्योकि इसे वैज्ञानिको ने  साबित नहीं किया है।

    हंस की प्रजातियां 

    इस संसार मे हंसो की 6 प्रजातीय पायी जाती है। पहले हंसो की प्रजातियों मे कोस्कोरोबा हंस भी हुआ करते थे। जो कि वर्तमान मे हंस नहीं है। भारतीय हंसो का रंग सफ़ेद होता है। आस्ट्रेलिया मे पाये जाने वाले हंसो का रंग काला होता है। हंस का जीवनकाल 8 से 10 साल का होता है। ये ज़्यादातर समय अपने साथी के साथ ही बिताते है।

    1. राजहंस - इस प्रजाति के हंस भारत मे पाये जाते है। इन हंसो का रंग सफ़ेद होता है।

    2. काला हंस प्रजाति - ये हंस आस्ट्रेलिया मे पाये जाते है। इनका रंग काला होता है। इसलिए इनकी इस प्रजाति को ब्लैक स्वान कहते है।

    3. हूपर हंस प्रजाति - ये हंस आइसलैंड यूरोप और एशिया में पाये जाते है। ये प्रजाति वर्तमान मे विलुप्त होने की कगार पर है।

    4. टुंड्रा हंस प्रजाति - ( इस प्रजाति के हंस यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका मे पाये जाते है। इसके दो रूप है। जिन्हे उप प्रजाति भी कहा जाता है।)

    5. म्यूट हंस - ये यूरोप, दक्षिणी रूस, चीन मे रहते है।

    6. काले गले वाला हंस - काले गले वाला हंस दक्षिण अमेरिका मे पाये जाते है।

    हंस की शारीरिक बनावट

    हंस का शरीर विशालकाय होता है। जिस कारण ये ज्यादा समय तक आकाश मे नहीं उड़ सकता है। हंस कई रंगो के होते है। जिसमे प्रमुख रंग काला तथा सफ़ेद होता है। काले रंग के हंस न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया मे पाये जाते है। सफ़ेद रंग के हंस भारत मे पाये जाते है। हंस की गर्दन सबसे लंबी तथा घुमावदार होती है। एक स्वस्थ हंस का वजन 10 से 15 किलोग्राम होता है। 

    हंस के शरीर की लंबाई लगभग 145 सेमी. तक हो सकती है। हंस के दो पैर होते है। जिससे इसे पानी मे तैरने तथा जमीन पर चलने मे सहायता कराते है। हंस की आंखे काले रंग की होती है। इनकी आंखे बहुत ही तेज होती है। जिससे ये छोटे-छोटे कीड़ो को आसानी से ढूंढ पाती है। हंस के पंख सफ़ेद रंग क्के होते है। इनके पंखो आ आकार लगभग 2 मीटर तक का होता है। 

    हंस की मुख्य विशेषताएं

    पूर्व के वैज्ञानिको के आधार पर हंसो को नीर क्षीर पंछी भी माना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषता है।  हंस पर एक कहावत है कि ''दूध का दूध पानी का पानी'' यानि यानि हंस को सत्य और असत्य की परख होती है। हंस अपने सम्पूर्ण जीवन एक साथी के साथ गुजरता है। यदि साथी की मृत्यु हो जाए तो हंस अकेला ही अपना जीवन व्यतित कर देता है। हंस के एक बहुत ही तीखी चोंच होती है। जिससे ये अपने भोजन को आसानी से पकड़ता है। हंस का रंग ही सफ़ेद नहीं होता परंतु इसका दिल भी बहुत साफ होता है। हंस की आवाज बहुत ही सुरीली तथा मीठी होती है। 

    हंस का जीवन काल

    भारतीय हंसो का औसतन जीवनकाल 10-15 साल तक का होता है। हंस अपने जीवन मे हर समय मुश्किल से बिताता है। हंसिनी एक बार मे 8-10 अंडे देती है। हंस का अपना अलग ही अंदाज होता है। यह एक रचनात्मक पक्षी भी होता है। हंस अपने जीवन से भी ज्यादा अपने बच्चो का ख्याल रखता है।

    हंस के रोचक तथ्य

    हंस को जब हम हंसिनी जब साथ में विचरण करते हुए देखते है। तो वे हमे इस समय मन को बहुत ही अच्छे लगते है। हाँ-हंसनी का विचरण देखने के लिए लोग बहुत दूरी से देखने आते है। भारतीय लोगो को हंस बहुत पसंद आता है। हंस पर भारत मे कई प्रचलित कथा मे हंस का वर्णन किया जाता है। 

    हंस अपने जीवन मे एक साथी का चयन करता है। और उसके साथ ही अपना जीवन बिताता है। मादा हंस एक बार मे 5से 9 अंडे देती है। इन अंडो मे से बच्चे 35 से 42 दिन मे बाहर आते है। हिन्दू धर्म मे इसे मारना महापाप है। हंसो का मूल निवास कैलाश पर्वत है। हंस कभी भी किसी का बुरा नहीं करते है।

    धार्मिक महत्व

    हंस को भारत मे सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। हिन्दुओ तथा भारतीय संस्कृति मे हंस को सबसे महत्वपूर्ण पक्षी माना जाता है। हंस को विद्या की देवी माता सरस्वती का वाहन भी कहा जाता है। इसका रंग बहुत ही आकर्षित करने वाला होता है।

    हंस के स्वभाव

    हंस को शांत पक्षी माना जाता है। परंतु ये जब अपने बच्चो की रक्षा कर रहा होता है। तब हंस के पास नहीं जाना चाहिए। इस समय हंस सीधा आक्रमण करता है। हंस के सम्पूर्ण शरीर मे लगभग 3000 पंख होते है। जिससे ये पानी मे आसानी से तैर सकता है। हंस एक सर्वाहारी पक्षी है। ये फलो के साथ-साथ कीड़े-मकोड़े तथा मछलियो को भी खाता है।   

    निष्कर्ष 

    हंस बहुत ही शानदार पक्षी होते हैं। परन्तु वर्तमान में इनकी संख्या बहुत ही काम बची है। इसलिए हमें इन खूबसूरत पक्षियों की रक्षा करनी चाहिए जिससे ये  इतिहास का एक पन्ना बनकर न रह जाएँ। 

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