महिला सशक्तिकरण पर निबंध (WOMEN EMPOWERMENT ESSAY IN HINDI) विषय सूची महिला सशक्तिकरण पर निबंध - 1 महिला सशक्तिकरण की अवधा...
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (WOMEN EMPOWERMENT ESSAY IN HINDI)
महिला सशक्तिकरण पर निबंध - 1
महिला सशक्तिकरण क्या है?
भारत के संविधान ने पुरुष और स्त्री को समान अधिकार दिये हैं। हम इस तथ्य से भी परिचित हैं कि लैंगिक भेदभाव संविधान द्वारा निषिद्ध है। पिछले 175 वर्षों से ऐसे कई कानून पारित हुए हैं जो स्त्रियों को अनेक कुरीतियों और कुप्रथाओं से मुक्त करने के लिये हैं और इन कुप्रथाओं ने स्त्रियों को अपने शिकंजे में कस कर रखा है। परिणाम यह है कि कई स्त्रियाँ जन्म से लेकर मृत्यु तक जेण्डर (लैंगिक) भेदभाव की शिकार रही हैं। इसमें संदेह नहीं कि कानून द्वारा स्त्रियों की ऐसे दमन से मुक्ति बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन एक ऐसे वातावरण को तैयार करना उतना ही महत्वपूर्ण है जो स्त्रियों का सशक्तिकरण करने में सहायक हो।
सशक्त महिला कौन है?
एक सशक्त स्त्री वह है जो इस बात के लिये स्वतन्त्र है कि अपनी पसंदगियों को निश्चित करती है और अपने जीवन और समाज से सम्बन्धित फैसले स्वयं करती है। अपने परिवार और अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए गए हिंसा या दुर्व्यवहार की शिकार नहीं है। वह अपने तरीके से आत्म सम्मान और गौरव को रख सकती है। वह ऐसी है जो विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों में समान पकड़ रखती है या अवसर का लाभ उठाने में सक्षम है। वह इस अवस्था में है कि उसकी प्रतिष्ठा और अधिकारों की सुरक्षा के लिये बनाए गए कानूनों का लाभ ले सकती है। केवल सुयोगों और सुअवसरों का प्रावधान ही स्त्री के लिये पर्याप्त नहीं है। आवश्यक यह है कि स्त्रियों को इस बात की स्वतन्त्रता होनी चाहिये कि वे इन सुयोगों को काम में ले सकें। इसलिये सशक्तिकरण एक वह दशा है जिसमें लड़कियाँ और स्त्रियाँ अपनी स्वतन्त्रता के अनुसार अपने अधिकार को व्यवहार में लाती हैं और यह अधिकार केवल सिद्धान्त में नहीं होता।
स्त्रियों को सशक्त क्यों बनाना चाहिये?
भारत की जनसंख्या का लगभग आधा भाग स्त्रियों का है। ऐसी अवस्था में जब तक ऐसा वातावरण नहीं बनाया जाता, कि स्त्रियाँ अपने सभी अधिकारों को काम में लाएँ और वे जब तक भय मुक्त तथा प्रतिबन्धों से स्वतन्त्र नहीं होतीं, भारत तरक्की नहीं कर सकता। जब स्त्रियाँ सशक्त हो जाती हैं तो एक मुक्त और जागृत समाज का निर्माण हो सकता है। आज भी बहुत बड़ी संख्या में स्त्रियाँ अपने घर की चारदिवारी में सिमट जाने के लिये बाध्य हैं। यद्यपि उनकी मुक्ति के लिये कोई कानूनी रुकावटें नहीं हैं फिर भी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबन्ध उन्हें उनके विकास के लिये मिलने वाले अवसरों से वंचित रखते हैं और उन्हें विकास की ओर नहीं ले जाते।
निष्कर्ष - मानव इतिहास ऐसे उदाहरणों का भण्डार है जिनमें स्त्रियों ने नेतृत्व किया है और अपने राष्ट्रों के भाग्य एवं लक्ष्यों को सही मार्ग प्रदान किया है। स्त्रियों ने घर और बाहर दोनों क्षेत्रों में कार्य करके समाज को आगे ले जाने में अपना अनुपम योगदान दिया है। स्त्रियों का सशक्तिकरण उनके व्यक्तिगत जीवन और समाज में भी होना चाहिये। सच्चाई यह है कि स्त्रियों के सशक्तिकरण के अनेकानेक लाभ हैं और इससे मनुष्य मात्र को फायदा होता है। एक टिकाऊ विकास के लिये यह आवश्यक है कि स्त्रियों का सशक्तिकरण पर्याप्त रूप में होना चाहिये। स्त्रियों को योजनाओं में भागीदारी करनी चाहिये। उन्हें योजनाएं बनानी चाहिये तथा विकास कार्यक्रम में मैनेजर, वैज्ञानिक और तकनीकी सहायक होना चाहिये।
जब स्त्रियाँ सशक्त होती हैं तब इससे समाज भी सशक्त होता है तथा उनका सरोकार केवल अपने परिवार से ही नहीं होता अपितु सम्पूर्ण समुदाय से होता है। जब स्त्रियों को उनके स्त्रोतों की ओर आमुख कर दिया जाता है तब वे अधिक लोगों के लाभ की बात सोचती हैं चाहे ये समूह परिवार हो या पड़ोसी। हम जिस दृष्टान्त को दे रहे हैं वह इस बात को स्पष्ट कर देगा। सशक्त महिलाएँ एक सशक्त समाज का निर्माण करती हैं।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध - 2
सशक्तिकरण का अर्थ एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसके तहत शक्तिहीन लोगों को अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के बेहतर मौके मिल जाते हैं। "महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को शक्तिशाली बनाना, महिलाओं को वे सारे उपकरण उपलब्ध करवाना जिनकी सहायता वे उन्नति कर सकती है, आगे बढ़ सकती है।" महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा रोड़ा, महिलाओं में शिक्षा और जागरूकता की कमी ही है। यदि महिलाओं को शिक्षित बना दिया जाए तो वे अपने सामाजिक व राजनैतिक अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएगी और फिर ऐसी जागरूक महिलाओं को दबाना, किसी के लिए भी सम्भव नहीं होगा।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है नारियों को सक्षम करना या शक्ति देना। शक्ति का विचार सशक्तिकरण की जड़ में है। यूनिफेम के अनुसार नारी सशक्तिकरण का अर्थ है -
- महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना-स्वयं का मूल्य समझते हुए।
- महिलाओं में स्वयं की क्षमता पर विश्वास विकसित करना जिससे वे अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं ले सकें।
- महिलाओं में सामाजिक परिवर्तन की दिशा समझने में सामाजिक और आर्थिक विकास करना ।
- नारी सशक्तिकरण से स्त्री-पुरुष के संबंधों को समझा जा सकता है और उन तरीकों को समझा जा सकता है जो इसे बदल सकें।
महात्मा गाँधी के अनुसारः "हमारा पहला प्रयास अधिक से अधिक महिलाओं को उनके वर्तमान स्थिति के प्रति जागरूक करना होना चाहिए।" नारी सशक्तिकरण महिलाओं के मूलभूत अधिकार को सुनिश्चित करता है। इसके माध्यम से हमारे सदियों से चले आ रहे विकास के लक्ष्यों को पूरा करने का और सतत् विकास के मार्ग में लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को भी शामिल करना है।
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