जनांकिकीय विश्लेषण की रीतियां (Techniques of Demographic Analysis in Hindi) जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या की स्थिति तथा उसमें होने वाले परिवर्तनों के
जनांकिकीय विश्लेषण की रीतियां (Techniques of Demographic Analysis in Hindi)
जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या की स्थिति तथा उसमें होने वाले परिवर्तनों के माप का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। जनांकिकी के सभी तत्व गतिशील होते हैं तथा इनमें निरन्तर परिवर्तन होता रहता है फलतः निरन्तर आंकड़े इकट्ठा करना, वर्गीकरण, सम्पादन, विश्लेषण होता रहता है। सामान्यतया, जनांकिकी के अध्ययन हेतु दो प्रमुख रीतियों से किया जाता है-
- विशिष्ट रीति
- व्यापक रीति।
व्यक्ति, विशिष्ट या सूक्ष्म जनांकिकी रीति (Micro Demographic Method)
इस रीति के अन्तर्गत किसी देश के व्यष्टि या विशिष्ट समूहों, घटकों तथा उनसे सम्बन्धित समस्याओं एवं घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। इस विश्लेषण में संरचना का अध्ययन महत्वपूर्ण होता है। सूक्ष्म या व्यष्टि विश्लेषण की सहायता से एक सीमित क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं का गहनता से अध्ययन करना सम्भव हो जाता है। अनुसन्धान की दृष्टि से यह विश्लेषण अत्यन्त उपयोगी है क्योंकि इसकी सहायता से किसी छोटे से क्षेत्र की सम्यक् जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
व्यापक या समष्टि जनांकिकीय रीति (Macro Demographic Method)
व्यापक या समष्टि विश्लेषण जनांकिकीय रीति के अन्तर्गत किसी देश के विभिन्न समुदायों एवं क्षेत्रों की जनांकिकीय घटनाओं को पृथक-पृथक करके सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है। इससे विभिन्न देशों की जनांकिकीय स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करने में सहायता मिलती है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व के समस्त देशों से जनगणना (Census) को एक ही समय से सम्बन्धित करने का आग्रह किया है।
इस रीति से जनसंख्या की वृद्धि-दर, जन्म-दर, मृत्यु-दर, विवाह की दर, जीवन तालिका, जनसंख्या पिरामिड, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का विश्लेषण आसान हो जाता है। इस रीति से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन सहज हो जाता है। जनांकिकीय विश्लेषण के लिए दोनों रीतियों का प्रयोग आवश्यक है
वास्तव में उपर्युक्त दो रीतियाँ भिन्न-भिन्न अवश्य हैं लेकिन दोनों अन्तरविरोधी नहीं वरन् एक दूसरी के पूरक हैं। विश्लेषण के लिए एक ही रीति नहीं वरन् दोनों रीतियों का प्रयोग जनांकिकी के लिए श्रेयस्कर होगा। इस दृष्टि से यदि यह कहा जाय कि इन दोनों दृष्टिकोणों से तथ्य का सम्मिलित अध्ययन विषय के ज्ञान को पूर्णता प्रदान करता है तो गलत न होगा। अमेरिकी जनांकिकीविद् थाम्पसन एवं लेविस ने अपनी पुस्तक Population problems में स्पष्ट किया है कि जनसंख्या के विभिन्न पक्षों के अध्ययन को जनसंख्या अध्ययन (Population study) कहा जाता है। "इसकी (जनांकिकी की) रूचि केवल वर्तमान जनसंख्या के आकार, संरचना तथा वितरण में ही नहीं, बल्कि समय-समय पर इन पहलुओं में होने वाले परिवर्तनों तथा इन परिवर्तनों के कारकों में भी है।"
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