क्षेत्रीय असमानता का अर्थ है अंतर्क्षेत्रीय या अंतःक्षेत्रीय (भौगोलिक इकाइयों, गतिविधि समूहों ) इकाइयों से जुड़े आर्थिक एवं गैर आर्थिक सूचकों में अंतर
क्षेत्रीय असमानता का अर्थ तथा कारण बताइये
क्षेत्रीय असमानता का अर्थ
क्षेत्रीय असमानता का अर्थ है अंतर्क्षेत्रीय या अंतःक्षेत्रीय (भौगोलिक इकाइयों, गतिविधि समूहों ) इकाइयों से जुड़े आर्थिक एवं गैर आर्थिक सूचकों में अंतर पाया जाना। सरल शब्दों में "क्षेत्रीय विषमता किन्हीं भू क्षेत्रीय आबंटनों के अनुसार उस भू.क्षेत्रीय संरचना की कम से कम दो इकाइयों के बीच विभिन्न लक्षणों, प्रक्रियाओं, घटनाक्रमों आदि में विच्युति या असमानता होगी। क्षेत्रीय असमानता उस अवस्था को इंगित करती है जब विभिन्न क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय, उपभोग खाद्य उपलब्धता, कृषिक एवं औद्योगिक विकास, संरचना सुविधाओं के समान विकास नहीं हों। यह असमानता की समस्या समूचे विश्व में पायी जाती है। हमारे देश में असमान विकास की दशा पायी जाती है। एक ओर जहाँ पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, प० बंगाल आदि राज्य अधिक विकसित हैं तथा संसाधनों का पूर्ण विदोहन कर रहे हैं वहीं दूरी ओर कुछ राज्य जैसे - उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश आदि संसाधनों का उचित विदोहन नहीं कर पाते तथा अविकसित दशा में हैं। हमारे देश में विकास की दशा समान नहीं है।
यहाँ पर क्षेत्रीय विकासीय असमानता विद्यमान है। हमारे देश में 28 राज्य व 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं जिनके सम्बन्ध में असमानता को अग्रवत बाँटकर अध्ययन कर सकते हैं :
1. अन्तर-राज्यीय असमानता (Inter-state Disparity) - दो या दो से अधिक राज्यों के बीच असमानताओं को अन्तर-राज्यीय असमानता कहा जाता है।
2. अन्तःराज्यीय असमानता (Intra-state Disparity) - एक ही राज्य की विभिन्न क्षेत्रीय इकाइयों, जिलों या खण्डों के बीच असमानता को अन्तः राज्यीय असमानता कहा जाता है।
अर्थशास्त्री रामकृष्ण ने अविकसित तथा पिछड़े प्रदेशों को भद्र श्रेणी के राज्यों में रखा है। इन राज्यों में भारत के मध्य में स्थित राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व राजस्थान आदि आते हैं।
क्षेत्रीय असमानता में एक क्षेत्र अधिक विकास कर जाता है तथा दूसरा क्षेत्र पिछड़ जाता है।
क्षेत्रीय असमानताओं के संकेतक (Indicators of Regional Disparity)
क्षेत्रीय असमानताओं के संकेतक निम्नलिखित हैं :
1. प्रति व्यक्ति आय, गरीबी एवं बेकारी (Per Capita Income, Poverty and Unemployment)- हमारे देश में प्रति व्यक्ति आय के दृष्टिकोण से क्षेत्रीय विषमता विद्यमान है। काठ राज्यों जैसे - चण्डीगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा आदि की प्रति व्यक्ति आय अधिक है वहीं दूसरी ओर उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों की आबादी की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है।
2. कृषि (Agriculture) -
(i) खाद्य उत्पादन - समस्त खाद्यान्नों का लगभग 60% भाग पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश बिहार व मध्यप्रदेश में पैदा होता है। राज्यवार खाद्य उत्पादन की स्थिति में असमानता है।
(iii) उर्वरकों का प्रयोग - सर्वाधिक उर्वरकों का उपयोग पंजाब में प्रति हेक्टेयर, 1747 किलोग्राम किया जाता है तथा असम में उर्वरकों का उपयोग 9.5 किलोग्राम ही होता है। सबसे कम उर्वरकों का उपयोग राजस्थान व उड़ीसा में किया जाता है।
(iii) सिंचित क्षेत्र - समस्त कृषि भूमि का लगभग 35% भाग सिंचित क्षेत्र है। पंजाब में सिंचित क्षेत्र लगभग 95% है वहीं केरल में सिंचित क्षेत्र 13% है।
3. औद्योगिक संकेतक- औद्योगिक संकेतकों से कर्मचारी, कारखाने, पूँजी उत्पादन मूल्य आदि को जोड़ा जाता है। उद्योगों में कार्यरत सर्वाधिक कर्मचारियों की संख्या महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में है।
4. आधारभूत संरचना - आधारभूत संरचना में विद्युत, शिक्षा, परिवहन व शिशु मृत्युदर को लिया जाता है। प्रश्न 3. क्षेत्रीय असमानताओं के कारणों को स्पष्ट कीजिए। उत्तर
क्षेत्रीय असमानताओं के कारण - (Causes of Regional Disparity)
1. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता में अंतर - यह क्षेत्रीय असमानता का प्रमुख कारण है। किसी राज्य की वर्षा, वन . सम्पदा, खनिज पदार्थ, भूमि की उर्वरता आदि दूसरे राज्य से भिन्न होती है।
2. आर्थिक साधनों में भिन्नता - ऐसे राज्य जो साधनहीन हैं उनमें आर्थिक बचत नहीं हो पाती। उनकी बचत का एक बहुत बड़ा भाग राहत में व्यय हो जाता है।
3. विनियोग में अंतर - अधिक एवं न्यून विनियोग होने से श्रम तथा पूँजी में अंतर हो जाता है। विनियोग की मात्रा से क्षेत्र का विकास प्रभावित होता है। भारी मात्रा में विनियोग वाले राज्य अधिक विकसित हैं।
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