जनसंख्या की गुणवत्ता का क्या अर्थ है? जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता का अर्थ व्यक्तियों एवं समाजों के गुणवत्तापूर्ण जीवन यापन से लिया जाता है। किसी देश
जनसंख्या की गुणवत्ता का क्या अर्थ है? जनसंख्या की गुणवत्ता को बढ़ाने वाले कारक बताइये।
जनसंख्या की गुणवत्ता का अर्थ
जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता का अर्थ व्यक्तियों एवं समाजों के गुणवत्तापूर्ण जीवन यापन से लिया जाता है। किसी देश का विकास मानवीय प्रयासों का फल होता है। गुणवान जनसंख्या एक देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर कर सकती है। जनसंख्या की गुणवत्ता व्यापक अर्थों में, यह अन्तर्राष्ट्रीय विकास, स्वास्थ्य एवं राजनीति के क्षेत्रों आदि से सम्बन्धित है। स्वभाविक रूप से लोग जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता को जीवन-स्तर की अवधारणा से जोड़ते हैं जबकि यह दोनों अलग-अलग अवधारणाएं हैं। जहां जीवन-स्तर एक संकुचित अवधारणा है जो प्राथमिक रूप से आय पर आधारित है, वहीं जीवन की गुणवत्ता एक व्यापक अवधारणा है। जीवन की गुणवत्ता के मानक संकेतकों में केवल धन और रोजगार ही नहीं बल्कि निर्मित पर्यावरण, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, मनोरंजन, खुशी, अवकाश का समय और सामाजिक सम्बन्धों के साथ गरीबी रहित जीवन शामिल है। विश्व में लोगों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों के साथ ही गैर सरकारी संस्थाएं एवं वैश्विक संगठन अपना योगदान दे रहे हैं। विश्व बैंक ने भी दुनियां को गरीबीमुक्त करने का लक्ष्य रखा है जिससे लोगों को भोजन, वस्त्र, आवास, स्वतन्त्रता, शिक्षा तक पहुंच, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार की सुविधाएं उपलब्ध हों और उनकी जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो।
जनसंख्या की गुणवत्ता के प्रभावकारी कारक
जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता व्यक्तियों एवं समाजों के गुणवत्तापूर्ण जीवन यापन से सम्बन्धित है। यह एक व्यापक अवधारणा है। इसके मानक संकेतकों में केवल धन और रोजगार ही नहीं बल्कि पर्यावरण, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, मनोरंजन, खुशी, अवकाश का समय और सामाजिक सम्बन्धों के साथ गरीबी रहित जीवन आदि शामिल हैं। जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता के प्रभावकारी कारकों को अध्ययन की दृष्टि से विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे- आर्थिक कारक (आय, सम्पत्ति, रोजगार, जीवन तथा गरीबी का स्तर, आधारभूत संरचना आदि), सामाजिक कारक (जीवन प्रत्याशा, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा एवं प्रशिक्षण, आवास, जन्म एवं मृत्यु दर, सामाजिक सम्बन्ध, अवकाश, लैंगिक समानता तथा अपराध आदि), मनोवैज्ञानिक कारक (खुशी एवं सन्तुष्टि का स्तर) तथा अन्य कारक (मानव अधिकार, राजनीतिक स्थिरता, पर्यावरण, सुरक्षा, बाल विकास एवं कल्याण आदि) ।
(1) आर्थिक कारक : जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता के प्रभावकारी आर्थिक कारकों से तात्पर्य ऐसे कारकों से है जो धन से सम्बन्धित हैं। यह निम्नलिखित हैं :
- आय स्तर : आय स्तर जीवन की गुणवत्ता का एक महत्वपूर्ण कारक है। सामान्यतया उस समाज, वर्ग एवं व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता का ऊँचा माना जाता है जिनका आय स्तर उच्च होता है। निम्न आय की स्थिति में एक व्यक्ति की क्रय करने की क्षमता कम होती है और वह अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है जिससे उसके गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है।
- सम्पत्ति का स्तर : आय स्तर के साथ ही सम्पत्ति का स्तर भी जीवन की गुणवत्ता का एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है। सम्पत्ति का स्तर अधिक होने की स्थिति में व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता का ऊँचा होना सम्भव है क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय बनाने हेतु अधिक सुविधाओं का उपभोग कर पाने में सक्षम होता है।
- रोजगार का स्तर: एक व्यक्ति के जीवन में रोजगार का महत्वपूर्ण स्थान होता है। रोजगार के माध्यम से व्यक्ति अपने एवं अपने परिवार के जीवन निर्वाह हेतु साधन प्राप्त करने में सफल हो सकता है और अपने जीवन में गुणात्मक सुधार कर सकता है। रोजगार की उपलब्धता न होने की स्थिति में व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त साधनों की प्राप्ति हेतु संघर्षरत रहता है।
- जीवन स्तर : एक व्यक्ति के जीवन स्तर पर भी निर्भर करता है कि उसके जीवन की गुणवत्ता किस प्रकार की है। उच्च जीवन स्तर का अर्थ है गुणवत्तापूर्ण जीवन। जीवन स्तर एक व्यक्ति की आय, रोजगार एवं सम्पत्ति के स्तर तथा उसकी जीवन जीने के तरीके पर निर्भर करता है।
- गरीबी का स्तर : जिस समाज में गरीबी का स्तर अधिक होता है वहां लोगों के जीवन की गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है। गरीबी की स्थिति में लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं – भोजन, वस्त्र एवं आवास – तक को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसी स्थिति में गुणवत्तापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक सुविधाओं को प्राप्त कर पाना सम्भव नहीं होता है।
- आधारभूत संरचना : आधारभूत संचरना की पर्याप्त उपलब्धता से मनुष्यों का जीवन समृद्ध होता है। इसकी उपलब्धता अर्थव्यवस्था की उपरि-संरचना अर्थात् कृषि एवं उद्योगों की सफलता में सहायता करती है साथ ही यह जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएं, ऊर्जा, आवास, परिवहन, संचार प्रौद्योगिकी आदि के माध्यम से जीवन में गुणात्मक सुधार करती है।
(2) सामाजिक कारक : जीवन की गुणवत्ता के प्रभावकारी विभिन्न सामाजिक कारक निम्नलिखित हैं :
- जीवन प्रत्याशा : जीवन प्रत्याशा से आशय लागों के जीवित रहने की औसत आयु से है। यह एक देश के नागरिकों के स्वास्थ्य तथा सभ्यता एवं आर्थिक विकास का सूचक है। जब देश में एक शिशु जन्म लेता है तो उसके कितने वर्ष तक जीवित रहने की आशा की जाती है, इस जीवित रहने की आशा को ही जीवन–प्रत्याशा अथवा प्रत्याशित आयु अथवा औसत आयु कहा जाता है। जीवन प्रत्याशा जीवन की गुणवत्ता का एक प्रमुख कारक है। जिस देश अथवा समाज में जीवन प्रत्याशा अधिक होती है वहां लोगों की जीवन की गुणवत्ता ऊँची होती है।
- शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य : गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए देश के लोगों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है। स्वस्थ जनशक्ति एक देश के लिए एक बहुत बड़ा धन होती है जिसके द्वारा अधिक मात्रा में प्रतिव्यक्ति उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। निम्न स्तर का स्वास्थ्य और पोषण जनशक्ति की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जनसंख्या की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आवश्यक है कि लोगों को पर्याप्त तथा पौष्टिक भोजन दिया जाये। इन मदों पर किये जाने वाले व्यय को मानवीय विनियोग की तरह माना जाये क्योंकि यह विनियोग लोगों की कुशलता तथा उत्पादकता में वृद्धि करने की प्रवृत्ति रखता है।
- शिक्षा एवं प्रशिक्षण : देश में ऊँची साक्षरता दर एवं प्रशिक्षण की स्थिति लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक है। वास्तव में, शिक्षा को विकास की सीढ़ी, परिवर्तन का माध्यम एवं आशा का अग्रदूत माना जाता है। गरीबी एवं असमानताओं को कम करने एवं आर्थिक विकास का आधार तैयार करने में शिक्षा को सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी माना है कि सबसे अधिक प्रगति उन देशों में होगी जहां शिक्षा विस्तृत होती है और जहां वह लोगों में प्रयोगात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है। विकसित देशों के विकास के सन्दर्भ में किये गये अध्ययन इस तथ्य को स्पष्ट करते हैं कि इन देशों के विकास का एक बड़ा भाग शिक्षा के विकास, अनुसंधान तथा प्रशिक्षण का ही परिणाम है। अर्थव्यवस्था के विकास की दष्टि से शिक्षा पर किया गया व्यय वास्तव में एक विनियोग है क्योंकि वह उत्पत्ति के साधन के रूप में लोगों की कुशलता को बढ़ाती है। स्पष्ट है कि देश में उच्च साक्षरता एवं प्रशिक्षण की स्थिति लोगों की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
- आवास सुविधा: आवास से आशय ऐसे आश्रय से है जो व्यक्तियों के लिए आरामदायक और आवश्यकतानुरूप हों, जहां उनके परिवार के सदस्य सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। आवास मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। उचित आवासों की उपलब्धता लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। इसके अभाव में व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय नहीं बना सकता है। आवासों का विकास मानवीय साधनों के विकास का एक महत्वपूर्ण भाग भी है क्योंकि सुविधापूर्ण जीवन लोगों को उत्पत्ति का अच्छा साधन बनाता है। इससे लोगों की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
- जन्म एवं मृत्यु दरें : एक देश में जन्म एवं मृत्यु दरें बहुत हद तक जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। जन्म एवं मृत्यु दरों के निम्न होने की स्थिति में माना जाता है कि देश में नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में सुविधाओं की उपलब्धता है, अतः यहां जीवन अधिक गुणवत्तापूर्ण है। जन्म एवं मृत्यु दरों के उच्च होने का अर्थ है कि देश में विभिन्न सुविधाओं की उपलब्धता निम्न स्थिति में है। ऐसे में देश के लोगों को गुणवत्तापूर्ण जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।
- सामाजिक सम्बन्ध : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज का एक अंग है और उसी से समाज का निर्माण भी होता है। इस सन्दर्भ में सामाजिक सम्बन्धों का विशेष महत्व होता है। जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए मजबूत सामाजिक सम्बन्धों का होना आवश्यक है।
- अवकाश का समय : बिना अवकाश के निरन्तर कार्य करने से व्यक्ति की उत्पादकता कम होती है। यदि व्यक्ति को निश्चित मात्रा में अवकाश की उपलब्धता हो तो इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ती है और जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाती है। यह व्यक्ति के सामाजिक सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- लैंगिक समानता : समाज में लैंगिक समानता की स्थिति लोगों के गुणवत्तापूर्ण जीवन का संकेत होता है। जिन स्थानों पर महिला एवं पुरूषों में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है तथा उन्हें बिना भेदभाव अवसर की समानता होती है, वहां के लोगों का जीवन बेहतर स्थिति में होता है। लैंगिक समानता की अवधारणा संयुक्त राष्ट्र के सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणा पर आधारित है।
- अपराध : किसी समाज में अधिक मात्रा में अपराध घटित होने पर वहां के लोग अपने जीवन एवं सम्पत्ति की सुरक्षा के प्रति निश्चिंत नहीं होंगे और ऐसी स्थिति में लोगों के गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने की कल्पना नहीं की जा सकती है। अति अपराध एवं अराजकता की स्थिति में लोग स्वतंत्रता पूर्ण ढंग से अपने कार्यों को नहीं कर पाते हैं। अपराधमुक्त समाज की स्थिति लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
(3) मनोवैज्ञानिक कारक : जीवन की गुणवत्ता के प्रभावकारी विभिन्न मनोवैज्ञानिक कारक वे हैं जो व्यक्ति के आन्तरिक तत्वों पर निर्भर करते हैं और इन्हें आसानी से मापा नहीं जा सकता है। यह कारक निम्नलिखित हैं :
- खुशी : जीवन की गुणवत्ता के प्रभावकारी मनोवैज्ञानिक कारकों में खुशी एक महत्वपूर्ण कारक है। यह व्यक्तिपरक कारक है तथा इसकी माप करना कठिन होता है। व्यक्ति के जीवन में इसका बहुत महत्व है। इसके अभाव में व्यक्ति अपने कार्यों को पूरे मनोयोग से सम्पन्न नहीं कर सकता है। व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता तभी बढ़ेगी जब उसके आसपास का वातावरण इस प्रकार का हो कि वह आनन्द (खुशी) का अनुभव कर सके। यहां उल्लेखनीय है कि यह आवश्यक नहीं है कि आय में वृद्धि के साथ व्यक्ति की खुशी के स्तर में भी वृद्धि हो।
- सन्तुष्टि का स्तर : व्यक्ति के सन्तुष्टि का स्तर भी जीवन की गुणवत्ता का एक प्रभावकारी कारक है। यदि व्यक्ति अथवा समाज का सन्तुष्टि स्तर ऊँचा है तो उनका जीवन गुणवत्तापूर्ण होगा और सन्तुष्टि का स्तर निम्न होने पर विपरीत स्थिति होगी। सन्तुष्टि का स्तर एक आन्तरिक कारक है जो अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकता है।
(4) अन्य कारक : जीवन की गुणवत्ता के अन्य प्रभावकारी कारकों में निम्नलिखित को सम्मिलित किया जा सकता है:
- मानव अधिकार : गुणात्मक जीवन के लिए आवश्यक है कि व्यक्तियों को विभिन्न मानव अधिकार प्राप्त हों। मानव अधिकारों से तात्पर्य मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता से है जिसके सभी मनुष्य हकदार हैं। इनमें जीवन जीने का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, कानून की समानता का अधिकार के साथ ही भोजन, काम करने एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं। मानव अधिकार मनुष्य के मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को लिंग, जाति, नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता जैसे किसी भी आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है। जिन देशों में लोगों को मानव अधिकार प्राप्त होते हैं, वहां के लोगों की जीवन की गुणवत्ता अधिक होती है।
- राजनीतिक स्थिरता : राजनीतिक स्थिरता जीवन की गुणवत्ता का एक प्रभावी कारक है। ऐसे देश, जहां पर राजनीतिक स्थिरता की स्थिति होती है, वहां जनता का विश्वास सरकार पर बना रहता है। यहां नागरिकों के विकास की योजनाएं सुचारू रूप से संचालित होती हैं। ऐसे में लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है। राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में जीवन की गुणवत्ता में कमी आती है।
- पर्यावरण : शुद्ध पर्यावरण की उपलब्धता जीवन को उन्नत बनाने में सहायक है। प्राकृतिक और मानव निर्मित पर्यावरणीय संसाधनों जैसे- ताजा पानी, स्वच्छ वायु, वन आदि मानव की आजीविका एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक आधार प्रदान करते हैं। शुद्ध पर्यावरण के साथ व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ रहकर अधिक उत्पादक हो सकते हैं।
- सुरक्षा : सुरक्षित जीवन उच्च गुणवत्ता एवं विकास का आधार है। बिना सुरक्षा के देश, समाज एवं व्यक्ति विकास की ओर अग्रसर नहीं हो सकते हैं। जीवन, सम्पत्ति एवं विभिन्न प्रकार की सुरक्षा के साथ ही जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।
- बाल विकास एवं कल्याण : बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। वही राष्ट्र की उन्नति के वास्तविक आधारस्तम्भ भी हैं। प्रत्येक बच्चे का जन्म कुछ उम्मीदों, आकांक्षाओं और दायित्वों के निर्वाह के लिए होता है, परन्तु यदि इन बच्चों को विकास की आवश्यक सुविधाओं से वंचित कर दिया जाये तो इनके साथ ही देश की भी भावी बेहतरी की सम्भावनाएं कम हो जाती हैं। जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हेतु आवश्यक है कि देश में बच्चों के कल्याण और विकास को समुचित दिशा प्रदान की जाये।
यूनाईटेड नेशन्स द्वारा जीवन की गुणवत्ता के कारक
यूनाईटेड नेशन्स यूनीवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ हूमन राइट्स 1948 में जीवन की गुणवत्ता के मूल्यांकन हेतु विभिन्न कारकों को बताया गया। यह कारक जीवन की गुणवत्ता के मापन में उपयोग किये जा सकते हैं। यह कारक निम्नलिखित हैं :
- गुलामी एवं उत्पीड़न से मुक्ति
- कानून का समान संरक्षण
- भेदभाव से मुक्ति
- आवागमन का अधिकार
- अपने देश में निवास करने का अधिकार
- विवाह का अधिकार
- परिवार का अधिकार
- लिंग, नस्ल, भाषा, धर्म, राजनीतिक विश्वास, नागरिकता, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि के आधार पर व्यवहार न कर समान व्यवहार का अधिकार
- निजता का अधिकार
- विचारों की स्वतंत्रता
- धार्मिक स्वतंत्रता
- रोजगार का मुक्त चयन
- उचित भुगतान का अधिकार
- समान कार्य के लिए समान भुगतान
- मतदान का अधिकार
- आराम का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- मानवीय आत्मसम्मान का अधिकार।
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