धार्मिक बहुलवाद पर निबंध - धार्मिक बहुलवाद का अर्थ एक ऐसे समाज से है जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग परस्पर तौर-तरीकों, रीति-रिवाजों, विश्वासों और संस्कृ
धार्मिक बहुलवाद पर निबंध - Dharmik Bahulwad Par Nibandh
धार्मिक बहुलवाद का अर्थ : धार्मिक बहुलवाद का अर्थ एक ऐसे समाज से है जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग परस्पर तौर-तरीकों, रीति-रिवाजों, विश्वासों और संस्कृतियों का पालन करते हुए एक साथ रहते हैं। इस परस्पर अंतःक्रिया के कारण कुछ समान मूल्य जन्म लेते हैं। प्राचीनकाल से भारत विभिन्न धर्मो की पुण्य भूमि रहा है अर्थात भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर विभिन्न प्रकार के धर्मों के मानने वाले निवास करते हैं और पूर्ण निष्ठा के साथ अपने धर्म का पालन करते हैं। विश्व में शायद ही कोई ऐसा देश हो जिसमें धर्मो की इतनी विविधता एवं बहुलता पायी जाती हो । यहाँ पर मुख्य रूप से 6 धर्मो की प्रधानता है, जोकि निम्नलिखित हैं .
1. हिन्दू - भारत में सबसे अधिक हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं इनकी संख्या कुल जनसंख्या का आधे से भी अधिक है।
2. इस्लाम - भारत में इस्लाम धर्म को मानने वालों की संख्या भी काफी अधिक है किन्तु हिन्दु धर्म को मानने वालों से कम है। ये लोग मस्जिद में जाकर नमाज अदा करते हैं।
3. ईसाई - यहाँ पर ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या भी काफी है लेकिन हिन्दू व इस्लाम धर्म को मानने वालों से काफी कम है। ये लोग अपनी आराधना गिरिजाघरों में करते हैं।
4. सिक्ख - यहाँ पर सिक्ख की संख्या भी काफी अधिक है। भारत के कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहाँ पर सिक्खों के अतिरिक्त कोई दूसरी जाति निवास नहीं करती है। ये लोग अपनी आराधना गुरुद्वारे में जाकर करते हैं।
5. बौद्ध - यहाँ पर बौद्ध धर्म को मानने वाले की संख्या कम मात्रा में है। ये लोग गौतम बुद्ध को अपना गुरु मानते हैं और इसी धर्म का पालन करते हैं।
6. जैन - यहाँ पर जैन धर्म को मानने वालों की संख्या काफी कम है।
इसके अतिरिक्त यहाँ पारसी, यहूदी एवं जनजातीय धर्मों को मानने वाले लोग भी हैं। ये लोग पूर्ण निष्ठा से अपने धर्मों का पालन करते हैं। मुख्य धर्मों में भी अपने सम्प्रदाय और मत-मतान्तर पाये जाते हैं। भारत में धर्म की विभिन्नता के बावजद भी धार्मिक बहुलता पायी जाती है और धर्मों ने ही राष्ट्रीयकरण में काफी योगदान दिया है। वर्तमान समय में धर्मों की बहुलता इतनी अधिक हो गयी है कि समाज में धर्मों को मानने वालों में काफी एकता पायी जाती है। ये लोग अपने धर्मों की किसी प्रकार की निन्दा नहीं सुन सकते हैं। यदि इनकी कोई निन्दा करता है तो धर्मानुयायी मरने मारने पर उतर आते हैं।
इसका एक दूसरा रूप यह भी है कि यहाँ पर धार्मिक बहुलता होने के कारण ही अनेकों प्रकार के दंगे, झगड़े व फसाद होने लगते हैं।
इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारत में विभिन्न धर्मानुयायिओं की संख्या है, जोकि अपने-अपने धर्मों को महान मानते हैं। यही, कारण है कि यहाँ पर धार्मिक बहलवाद पाया जाता है जितना कि अन्य देशों में नहीं पाया जाता है। यही धार्मिक बहुलवाद धार्मिक विवादों का मुख्य कारण बनता
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