भारतीय स्त्रियों की स्थिति में सुधार के कारण - ब्रिटिश शासन काल से ही कई समाज-सुधारकों ने स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए कई प्रयास किये | समाज सुध
भारतीय स्त्रियों की स्थिति में सुधार के कारण बताइये।
भारतीय स्त्रियों की स्थिति में सुधार के कारण
- विभिन्न सुधारवादी आंदोलन
- संवैधानिक सुविधाएँ
- पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
- शिक्षा का प्रसार
- राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव
- राजनीतिक अधिकारों की प्राप्ति
प्राचीन काल से ही स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन होते आ रहे हैं और आधुनिक युग में भारतीय समाज की स्त्रियों की स्थिति में क्रान्तिकारी सुधार हुए हैं। इस सुधार के मुख्य कारण हैं -
1. विभिन्न सुधारवादी आंदोलन - ब्रिटिश शासन काल से ही कई समाज-सुधारकों ने स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए कई प्रयास किये | समाज सुधारकों द्वारा कई ऐसे आन्दोलन, जो स्त्रियों के हित को सुरक्षित करने के लिए चलाये गये और कुछ सीमा तक सफलता भी प्राप्त हुई। इन समाज सुधारकों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, राजा राममोहन राय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर आदि प्रमुख थे। इन समाज सुधारकों के प्रयासों से ही कई महत्वपूर्ण अधिनियम पारित हुए।
2. संवैधानिक सुविधाएँ - स्त्रियों की स्थिति में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा कई ऐसे अधिनियम पारित किये गये हैं, जिनसे स्त्रियों को सुरक्षा मिली है ये अधिनियम निम्नलिखित हैं .
- बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929
- हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
- हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1956
- हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956
- दहेज निरोधक अधिनियम, 1961
3. पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव - पाश्चात्य संस्कृति में स्त्रियों तथा पुरुषों में कोई भेदभाव नहीं माना जाता है और प्रत्येक स्त्री को वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो एक पुरुष को प्राप्त होते हैं। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से भारतीय स्त्रियों में भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न हई। भारतीय खियाँ भी अपने आपको पाश्चात्य संस्कृति में ढालने का प्रयास करने लगीं। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से ही भारतीय समाज में विद्यमान अंधविश्वास कम हो गया है।
4. शिक्षा का प्रसार - स्वतन्त्रता के बाद भारतीय समाज में स्त्री-शिक्षा का तेज गति से विस्तार हुआ है। शिक्षा के प्रसार होने से भारतीय स्त्रियाँ अज्ञानता से बाहर निकलकर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने लगी।
5. विभिन्न संगठनों द्वारा किये गये प्रयास - विभिन्न महिला संगठनों द्वारा भी त्रियों की स्थिति सुधारने में कई प्रयास किये गये हैं। इन संगठनों में महिलाओं की राष्ट्रीय समिति व कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रीय स्मारक समिति' आदि मुख्य हैं।
6. राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव - भारत के महान नेताओं ने स्त्रियों को राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के लिए उत्साहित किया जिससे स्त्रियों ने घर की चहारदीवारी से निकलकर आन्दोलनों में भाग लिया तथा भारत की स्वतन्त्रता में सहयोग प्रदान किया। इस तरह स्त्रियाँ घर से निकलकर राजनीतिक क्षेत्र में उतरने लगीं जिससे भारतीय स्त्रियों की स्थिति में मूलभूत परिवर्तन हुए।
7. राजनीतिक अधिकारों की प्राप्ति - भारतीय संविधान के अन्तर्गत भारतीय स्त्रियों को राजनीति सम्बन्धी पुरुषों के समान अधिकार प्रदान किये गये हैं। संविधान के अन्तर्गत भारतीय स्त्रियाँ भी पुरुषों की भाँति किसी भी पद के लिए चनाव लड सकती हैं तथा मतदाता के रूप में मतदान कर सकती है। प्रकार के योग्यतानुसार सरकारी पदों को ग्रहण कर सकती हैं।
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