व्यवहारवाद की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। अथवा व्यवहारवाद के प्रमुख लक्षण। व्यवहारवाद की आठ विशेषताएं क्या है? अथवा व्यवहारवाद के प्रमुख लक्षणों का उल्ल
व्यवहारवाद की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- अथवा व्यवहारवाद के प्रमुख लक्षण।
- व्यवहारवाद की आठ विशेषताएं क्या है?
- अथवा व्यवहारवाद के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
व्यवहारवाद की विशेषताएँ / लक्षण
1. नियमितताएँ - यद्यपि मानव के व्यवहार में अनेक असमानताएँ देखने को मिलती हैं, परन्तु यदि मानव व्यवहार का गहन विश्लेषण किया जाए तो उसमें कुछ महत्त्वपूर्ण समानताएँ भी पाई जाती हैं जिन्हें व्याख्यात्मक एवं पूर्वकथनीय मूल्य के लिए सामान्यीकरणों या सिद्धान्तों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
2. एकीकरण - व्यवहारवादी इस विचार को स्वीकार करते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा उसके बीच सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा अन्य कार्यों के बीच सीमा रेखा को निर्धारित किया जा सकता है, परन्तु किसी भी पक्ष से सम्पूर्ण जीवन को विस्तृत रूप से नहीं समझा जा सकता, इसलिए किसी भी राजनीतिक घटना का अध्ययन करने के लिए आवश्यक है कि समाज की सभी प्रकार की घटनाओं का अध्ययन किया जाए। यदि विभिन्न सामाजिक विज्ञान की इस सम्बद्धता को ध्यान में रखा जाता है, तो इससे राजनीति विज्ञान को सामाजिक विज्ञानों की श्रेणी में लाने में पूर्ण सहायता मिलेगी। इस प्रकार राजनीति विज्ञान तथा राजनीतिक अनुसन्धान अन्य सामाजिक विज्ञानों के शोधों के प्रति तरस्थ नहीं रहना चाहिए।
3. सत्यापित या सत्यापन विधि वैधानिकता का आधार है - इस क्रिया के अनुसार मानव-व्यवहार के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी इस प्रकार की हो जिसे वैज्ञानिक विधियों से जाँचा-परखा जा सके। अतः व्यवहार के सम्बन्ध में सामान्यी करणों की प्रामाणिकता परीक्षणीय होनी चाहिए।
4. प्रविधियाँ - व्यवहारवादी, अध्ययन सामग्री को प्राप्त करने के लिए शोध के उपकरणों तथा पद्धतियों के उपयोग पर अधिक बल देते हैं। विभिन्न प्रविधियों की सहायता से आँकड़ों को प्राप्त किया जाता है। व्यवहारवादियों का कथन कि प्रविधियाँ तथा उपकरण प्रामाणिक होने चाहिए जिससे व्यवहार का पर्यवेक्षण और विश्लेषण करने के लिए परिशद्ध साधनों की खोज की जा सके परिशुद्धीकरण की प्रक्रिया विकासशील होनी चाहिए।
5. विशुद्ध विज्ञान - राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन शुद्ध विज्ञान के रूप में करना चाहिए । विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करके निष्कर्षों को इस स्थिति में ले जाना चाहिए जिससे कि वे ठोस सिद्धान्तों का रूप धारण कर लें तथा राजनीति विज्ञान को प्राकृतिक विज्ञानों की श्रेणी में रखा जा सके।
6. क्रमबद्धीकरण - व्यवहारवादियों का मत है कि शोध या अनुसन्धान कार्य क्रमबद्ध और व्यवस्थित होना चाहिए। दूसरे शब्दों में सिद्धान्त और अनुसन्धान को ज्ञान के एक सम्पूर्ण और व्यवस्थित समूह के घनिष्ठ रूप से अन्तर्ग्रसित भागों में देखना चाहिए। सिद्धान्तहीन शोध का कोई महत्त्व नहीं होता है।
7. मूल्य निरपेक्षता - व्यवहारवाद में व्यक्तिगत मूल्यों को पृथक् रखा जाता है तथा अध्ययनकर्ता को तथ्यों का संग्रह करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना | चाहिए कि उसके मूल्यों तथा मान्यताओं का उत्तरदाता पर प्रभाव नहीं पड़े।
8. परिमाणीकरण - व्यवहारवादियों का कथन है कि यथासम्भव मापन और परिमाणीकरण का सहारा लेना चाहिए। राजनीतिक जीवन की पेचीदगियों का शुद्ध व सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए कठोरतम नियमों को अपनाना परमावश्यक है।
सम्बंधित लेख :
- व्यवहारवाद के अर्थ, विशेषता एवं उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- व्यवहारवाद की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- उत्तर व्यावहारवादी क्रान्ति के उदय के कारण बताइए।
- व्यवहारवाद के उदय का कारण लिखिए।
- व्यवहारवाद के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- व्यवहारवाद की सीमाएं बताइये।
- राजनीति शास्त्र में वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग की सीमाएं बताइए।
- व्यवहारवाद और उत्तर व्यवहारवाद में अंतर बताइए।
- मूल्य निरपेक्षता के परिणाम बताइये।
- मूल्य निरपेक्षता का अर्थ बताइए।
COMMENTS