राजनीतिक अभिजन की अवधारणा समझाइये। परेटो के अनसार, "वे व्यक्ति जो अपने कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत सबसे अधिक उच्च श्रेणी पर हैं, वे ही अभिजन हैं।" परेटो
राजनीतिक अभिजन की अवधारणा समझाइये। इसके विकास की विवेचना कीजिये।
- राजनीतिक अभिजन की अवधारणा का विवेचन कीजिए।
- अभिजन का अर्थ समझाइये।
- राजनीतिक अभिजन का सिद्धांत किसने दिया ?
अभिजन का अर्थ
'अभिजन' (Elite) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 17वीं सदी में विशेष श्रेष्ठता वाली वस्तुओं का वर्णन करने के लिए किया गया और बाद में इस शब्द का प्रयोग उच्च सामाजिक समदायों जैसे शक्तिशाली सैनिक इकाइयों और उच्च श्रेणी के सामन्त वर्ग के लिए किया जाने लगा। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश शब्दकोष में इस शब्द का प्रथम प्रयोग 1823 ई० में हुआ। लेकिन इस शब्द का ब्रिटेन और अमरीका में अधिक प्रयोग 1930 ई० के बाद ही किया गया, जबकि विल्फ्रेड परेटो द्वारा प्रतिपादित समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में अभिजन के विचार का अधिक-से-अधिक प्रसार हुआ। परेटो के बाद मोस्का, मेरी कोलाबिन्सका, एच० डी० लासवेल, सी० राइट मिल्स, टी० बी० बॉटोमोर, कार्ल मैनहीम और शम्पीटर आदि के द्वारा अभिजन की धारणा पर विचार व्यक्त किये गये।
राजनीतिक अभिजन की अवधारणा
अभिजन की अवधारणा विभिन्न व्यक्तियों की क्षमताओं में असमानता पर आधारित है और परेटो के अनसार, "वे व्यक्ति जो अपने कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत सबसे अधिक उच्च श्रेणी पर हैं, वे ही अभिजन हैं।" परेटो प्राकृतिक मानवीय असमानताओं के आधार पर मानव समाज को दो वर्गों में बाँटता है-(1) अभिजन, तथा (2) अभिजनेत्तर। अभिजन को उसने पुन: दो भागों में विभाजित किया है-(i) शासक अभिजन (Governing Elite) और (ii) अशासक अभिजन (Non-Governing Elite)। यह विभाजन उसने बुद्धि, संगीत, आदि विषयों के प्रति अभिरुचि, चरित्र, सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव की शक्ति, आदि विषयों पर किया है। परेटो कट्टर अभिजनवादी (Elitist) था और वह अभिजन वर्ग का अस्तित्व सामाजिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिए आवश्यक मानता था। परेटो के समस्त विचार का केन्द्र बिन्दु 'शासक अभिजन' ही है।
मोस्का ने अभिजन तथा अभिजनेतर जनता के मध्य सुव्यवस्थित सम्बन्ध स्थापित करते हए एक नवीन राजनीतिक धारणा के प्रतिपादन का प्रयत्न किया। उसने समाज के दो वर्ग बतलाये-शासक वर्ग (Ruling Class) और शासित वर्ग। शासक वर्ग संख्या में कम, अपेक्षाकृत श्रेष्ठ, संगठित तथा अपने गणों के कारण समाज द्वारा सम्मानित होता है। यह स्वयं अनेक सामाजिक समूहों से निर्मित होता है। उसने अपने शासक वर्ग को 'शासक अभिजन' या 'राजनीतिक वर्ग' कहा है। इसके अन्तर्गत वे व्यक्ति होते हैं जो राजनीतिक आदेश के पद को धारण करते हैं या जो प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित करते हैं। इस विशिष्ट वर्ग की सदस्यता समय-समय पर बदलती रहती है। समाज के निम्न वर्गों से नवीन व्यक्ति इसमें सम्मिलित होते रहते हैं और कभी-कभी विद्यमान विशिष्ट वर्ग से स्थान पर क्रान्ति के माध्यम से पूर्णतया एक नवीन विशिष्ट वर्ग आ जाता है। मोस्का ने शासक वर्ग से अधिक व्यापक उपशासक वर्गों के साथ सम्बन्धों पर प्रकाश डाला है जिसमें नवीन मध्यम वर्ग के सभी सदस्य सरकारी कर्मचारी, वैज्ञानिक, अभियन्ता और बुद्धिजीवी आदि आ जाते हैं।
राजनीतिक अभिजन का विकास
राजनीतिक अभिजन का विकास परेटो और मोस्का की धारणा में एक अन्तर अभिजन और प्रजातन्त्र के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में है। परेटो का विचार है कि प्रत्येक समाज में शासक और शासित दो अलग वर्ग होते हैं और वह इस बात को अस्वीकार करता है कि इस दृष्टि से प्रजातन्त्रीय राज-व्यवस्था अन्य राज-व्यवस्थाओं से भिन्न होती है। मोस्का का विचार है कि इस दृष्टि से प्रजातन्त्रीय राज-व्यवस्था अन्य व्यवस्थाओं से भिन्न होती हैं क्योंकि प्रजातन्त्र में शासक अल्पसंख्यक व शेष समाज के बीच क्रिया प्रतिक्रिया होती रहती है।
अभिजन के सम्बन्ध में आगे जो अध्ययन किये गये, उनमें एच० डी० लासवेल का अध्ययन निश्चित रूप से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। लासवेल, परेटो और मोस्का विशेष रूप से मोस्का का अनुगमन करता है। लासवेल लिखता है कि, "एक राजनीतिक व्यवस्था के अन्तर्गत शक्ति को धारण करने वाला वर्ग ही राजनीतिक अभिजन होता है। शक्ति धारण करने वाले वर्ग में नेतृत्व करने वाला वर्ग तथा वह सामाजिक समुदाय आते हैं जिसमें से यह वर्ग आता है जिसके प्रति एक निर्दिष्ट समय में यह उत्तरदायी होता है।"
इस प्रकार लासवेल ने राजनीतिक अभिजन को अन्य अभिजन वर्गों से अलग किया है जो शक्ति के प्रयोग से घनिष्ठ रूप में सम्बन्धित नहीं है यद्यपि उनका पर्याप्त सामाजिक प्रभाव हो सकता है। राजनीतिक वर्ग (Political Class) राजनीतिक अभिजन (Political Elite) से अधिक व्यापक है, क्योंकि उसमें राजनीतिक अभिजन, राजनीतिक प्रति-अभिजन (Counter-elite), सामाजिक हितों, वर्गों या व्यापार समूहों के प्रतिनिधि, राजनीति में सक्रिय बुद्धिजीवी आदि भी शामिल होते हैं। ये सभी राजनीतिक सहयोग. प्रतिद्वन्द्विता या प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। इनमें से राजनीतिक अभिजन वह समूह होता है जो एक विशेष समय पर शक्ति का वास्तविक रूप में प्रयोग करता है। इस वर्ग को पहचानना सरल होता है। यह वर्ग प्रायः उच्च प्रशासकीय अधिकारियों, सैनिक अधिकारियों, उच्च कुलीन परिवारों, प्रभावशाली राजनेताओं व उद्योगपतियों आदि से मिलकर बनता है।
अभिजन के अन्य प्रमुख लेखक सी० राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने 'शासक-वर्ग' शब्द को उचित न मानकर उसके स्थान पर 'शक्ति अभिजन' (Power Elite) शब्द का प्रयोग किया है। वह शक्ति शब्द में आर्थिक, राजनीतिक तथा सैनिक धारणाओं को मिलाकर.'शक्ति अभिजन' शब्द गढ़ता है। यह वर्ग सामाजिक दृष्टि से उच्च स्तरीय, सामंजस्यपूर्ण, एकतायुक्त तथा लोक नियन्त्रण को अस्वीकार करने वाला होता है। वह लिखता है कि "हम शक्ति की व्याख्या शक्ति साधन के रूप में कर सकते हैं। शक्ति अभिजन वे हैं जो आदेश देने वाले पदों को धारण करते हैं।"
अभिजन की धारणा का कुछ और विस्तार से प्रतिपादन टी० बी० बॉटोमोर के द्वारा किया गया है। बॉटोमोर के अनुसार, अभिजन या शासक वर्ग की अवधारणा ऐतिहासिक परिस्थितियों में सामन्तवाद के अन्त तथा आधुनिक पूँजीवाद की प्रारम्भिक देन है। उस समय से ही वर्ग समाज की अधिकांश सम्पत्ति तथा राष्ट्रीय आय के बड़े भाग का प्राप्तकर्ता एवं स्वामी बन बैठा है। इन आर्थिक लाभों को बनाये रखने के लिए वह एक विशिष्ट संस्कृति तथा जीवन दर्शन के निर्माण में भी सफल हो गया है।
राजनीतिक अभिजन प्रबल राजनीतिक प्रभावयक्त राजनेताओं की सामूहिकता का नाम है। ये किसी समुदाय के लघु अल्पसंख्यक होते हैं जो महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों, प्रभावशाली सामाजिक वर्गों या प्रजातियों की सदस्यता. आर्थिक या सामाजिक समह में अपनी समान शैक्षणिक पृष्ठभूमि आदि के आधार पर राजनीतिक क्षेत्रों में प्रबल प्रभाव रखते हैं। इनके पास बड़ी मात्रा में राजनीतिक साधन होते हैं जिनका प्रयोग वे वांछित राजनीतिक परिणामों को प्राप्त करने के लिए करते हैं। ये राजनीतिक साधन नेतृत्व, कौशल, राजनीतिक पद और विशेष राजनीतिक सूचनाओं की प्राप्ति, आदि के रूप में हो सकते हैं। सत्तारूढ़ राजनेताओं के पास औचित्यपूर्ण सत्ता, दण्ड एवं पुरस्कार, सम्मान, दल, मित्र, शास्तियाँ (Sanctions). आदि अनेक साधन होते हैं। वे राजनीतिक सामग्री जैसे धन और कर्मचारीगण आदि के माध्यम से स्वपक्ष में बहुमत को प्राप्त कर सकते हैं।
इस प्रकार अभिजन पर विचार करते हुए ये सभी विचारक अभिजनों को एक ऐसा संगठित अल्पसंख्यक शासक वर्ग मानते हैं जो असंगठित प्रजा वर्ग पर अपनी प्रभूता शक्ति का प्रयोग करता है। अभिजन की धारणा में एक प्रमुख विचार यह है कि अभिजन परिवर्तित होते रहते हैं।
राजनीतिक अभिजन का वर्गतन्त्रीय या कुलीनतन्त्रीय व्यवस्था से भेद राजनीतिक अभिजन संगठित अल्पसंख्यक शासक वर्ग का नाम है और वर्गतन्त्रीय (Oligarachical) या कुलीनतन्त्रीय व्यवस्था में भी कुछ व्यक्तियों का शासन होता है, लेकिन राजनीतिक अभिजन की धारणा को कुलीनतन्त्र या वर्गतन्त्र के समान नहीं समझ लिया जाना चाहिए। इस तथ्य के बावजूद कि विशिष्ट वर्ग के शासन में कुछ मूलभूत कुलीनतन्त्र या वर्गवादी व्यवस्था के तत्व होते हैं, इनमें महत्वपूर्ण अन्तर है। निहित हितों की रक्षा और वृद्धि कुलीनतन्त्र या वर्गवादी व्यवस्था के समान ही अभिजन वर्ग के शासन का भी एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, लेकिन इनमें भेद इस तथ्य में देखा जा सकता है कि अभिजन वर्ग के शासन में वह परम्परागत भव्यता या स्वयं को स्थायित्व प्रदान करने की प्रवृत्ति नहीं होती, जो कुलीनतन्त्र या वर्गतन्त्र के सबसे प्रमुख तत्व हैं।
राजनीतिक अभिजन में निरन्तर परिवर्तन' (Circulation of Elites) होता रहता है और यही बात राजनीतिक अभिजन को कुलीनतन्त्र एवं वर्गतन्त्र से अलग कर देती है। कुलीनतन्त्र या वर्गतन्त्र अरस्तू की इस मान्यता पर आधारित है कि "जन्म की घड़ी से ही कुछ लोग शासक होने के लिए और अन्य शासित होने के लिए निश्चित होते हैं।" लेकिन अभिजन की धारणा का मूल विचार यह है कि अभिजन की स्थिति को योग्यता के आधार पर किसी के भी द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
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