त्रिशंकु विधानसभा क्या होती है? त्रिशंकु विधानसभा जब किसी एक चुनावी दल या या सहयोगी दलों के समूह को विधानसभा में साफ तौर पर बहुमत नहीं मिलता है, तो इस
त्रिशंकु विधानसभा क्या होती है?
त्रिशंकु विधानसभा
जब किसी एक चुनावी दल या या सहयोगी दलों के समूह को विधानसभा में साफ तौर पर बहुमत नहीं मिलता है, तो इसे त्रिशंकु विधानसभा कहते हैं। परिणामस्वरूप राज्य में खिचड़ी सरकार बनने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि ऐसी सरकार चुनाव के बाद जोड़ तोड़ करके बनाई जाती है। लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कुल सीटों के आधे से 1 सीट अधिक को बहुमत और सरकार बनाने हेतु आवश्यक आंकड़ा माना जाता है, जो चुनावी दल बहुमत के इस आंकड़े को छू लेती है उसी की सरकार बन जाती है लेकिन यदि कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े को न छू पाए और ये तय न हो पाए कि सरकार किसकी बनेगी। अर्थात राजा त्रिशंकु की तरह बीच में ही लटक जाय तो ऐसी स्थिति को ही त्रिशंकु विधानसभा के नाम से जाना जाता है।
त्रिशंकु की स्थिति में अगर सरकार नहीं बन पाती है यानी गठजोड़ के प्रयास विफल हो जाते है , तो ऐसी स्थिति में दोबारा चुनाव कराए जाने का विकल्प रहता है या फिर राज्यपाल संविधान के आर्टिकल 356 के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कई बार निर्दलीयों या स्वतंत्र उम्मीदवारों के सहयोग से भी कोई पार्टी सरकार बना सकती है।
किसी भी दल के पास एक हफ़्ते का समय होता है राज्यपाल के निमंत्रण के बाद अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए। यदि राज्यपाल को लगता है कि एक दल के पास बहुमत है तो वो उस दल को सरकार बनाने की अनुमति प्रदान कर सकते हैं।
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