संसद में कानून निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए। संसद में पारित होने तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात यह कानून बन जाता है। संसद की विधायी प्रक्रिया
संसद में कानून निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए।
- संसद में विधयकों की पुनः स्थापना पर टिप्पणी लिखिए।
- कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों में कैसे पारित होता है ?
- विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति पर टिप्पणी लिखिए।
- भारतीय संविधान में कानून बनाने की प्रक्रिया समझाइए।
संसद में कानून निर्माण की प्रक्रिया
संसद में पारित होने तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात यह कानून बन जाता है। संसद की विधायी प्रक्रिया में क़ानून निर्माण के लिए किसी सामान्य विधेयक को निम्न चरणों से गुजरना पड़ना है।
- पुनःस्थापना
- प्रस्ताव
- प्रवर समिति का प्रतिवेदन
- विधेयक पुनः स्थापित किये जाने वाले सदन द्वारा विधेयक का पारित किया जाना
- विधेयक का दूसरे सदन में पारित किया जाना
- राष्ट्रपति की अनुमति
1. पुनःस्थापना - अनुच्छेद 107 (1) के तहत धन या वित्त विधेयक से निम्न विधेयक संसद के किसी भी सदन में पुनः स्थापित अथवा प्रस्तुत किये जा सकते हैं और राष्ट्रपति की अनुमति के लिए प्रस्तुत किये जाने के पूर्व दोनों सदनों में पारित किया जाना चाहिए।
2. प्रस्ताव - जब विधेयक पुनः स्थापित कर लिया जाता है, तब उसके पश्चात् किसी उस विधेयक का प्रभारी सदस्य विधेयक के बारे में निम्नलिखित में से कोई प्रस्ताव कर सकता है -
- कि उस पर विचार किया जाय,
- कि उसे प्रवर समिति को निर्दिष्ट कर दिया जाय।
- कि उसे अन्य सदन की सहमति से सदनों की संयुक्त समिति को निर्दिष्ट कर दिया जाय।
- कि उसे जनता की राय जानने के प्रयोजन के लिए परिचालित कर दिया जाय।
3. प्रवर समिति का प्रतिवेदन - उपरोक्त प्रस्ताव कि “उसे प्रवर समिति को निर्दिष्ट कर दिया जाय" यदि स्वीकृत हो जाता है तो सदन की प्रवर समिति विधेयक के उपबन्धों पर विचार करती है।
4. विधेयक पुनः स्थापित किये जाने वाले सदन द्वारा विधेयक का पारित किया जाना - प्रवर समिति के प्रतिवेदन के पश्चात् जब यह प्रस्ताव स्वीकृति हो जाता है कि विधेयक पर विचार किया जाय। तब प्रभारी सदस्य यह प्रस्ताव करता है कि विधेयक पारित किया जाय। प्रभारी सदस्य के इस पस्तान को स्वीकार किये जाने के पश्चात् यह मान लिया जाता है कि उस सदन ने यह विधेयक पारित कर दिया।
5. विधेयक का दूसरे सदन में पारित किया जाना - जब विधेयक एक सदन में पारित हो जाता है तब उसे दूसरे सदन को विचार एवं पारित करने के लिए भेजा जाता है। दूसरे सदन में भी उन्हीं चरणों से गुजरता है, जिनमें वह आरम्भिक सदन से गुजरा था। अतः वह सदन जिसे अन्य सदन से विधेयक प्राप्त हुआ है निम्न में से कोई मार्ग अपना सकता है .
- वह विधेयक को पूर्णतः अस्वीकार कर सकता है। ऐसी दशा में राष्ट्रपति से मुक्त सदन की बैठक के बारे में अनुच्छेद 108(1) के उपबन्धों को लागू कर सकता है।
- वह संशोधनों सहित विधेयक को पारित कर सकता है।
- वह विधेयक पर चाहे तो कोई कार्यवाही न करें अर्थात् उसे सदन के पटल पर पड़ा रहने दें। ऐसी दशा में यदि विधेयक की प्राप्ति के छ: माह तक की अवधि बीत जाए तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 108(1) के तहत संसद की संयुक्त बैठक आहूत कर सकते हैं।
6. राष्ट्रपति की अनुमति - जब कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अथवा अनुच्छेद 108 के तहत संयुक्त बैठक में पारित कर दिया जाता है, तब वह राष्ट्रपति को उसकी अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। यदि राष्ट्रपति अपनी अनुमति विचारित करता है तो विधेयक समाप्त हो जाता है। यदि राष्ट्रपति अपनी अनुमति देता है तो विधेयक उसकी अनुमति की तारीख से अधिनियम बन जाता है। राष्ट्रपति अपनी अनुमति देने या देने से इनकार करने के स्थान पर विधेयक को सदन के पुर्नविचार के लिए निर्देश भेज कर विधेयक लौटा सकता है, किन्तु यदि दोनों सदन हैं विधेयक को संशोधन सहित या बिना संशोधन के पुनः पारित कर देते हैं तो राष्ट्रपति को वापस करने की शक्ति नहीं होगी। इस विधेयक पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। प्रश्न 8. भारतीय संसद की संरचना तथा शक्तियों को बताइये।
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