संसद की समिति पद्धति पर टिप्पणी कीजिए। संसद के पास प्रत्येक मामले पर विचार करने के लिए समय, दक्षता व परीक्षण करने का अभाव होता है। अतः संसद अपने कार्य
संसद की समिति पद्धति पर टिप्पणी कीजिए।
संसद की समिति पद्धति
संसद के पास प्रत्येक मामले पर विचार करने के लिए समय, दक्षता व परीक्षण करने का अभाव होता है। अतः संसद अपने कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए विभिन्न समितियों का सहयोग लेती है। समितियाँ सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा नियुक्त की जाती हैं।
भारत में संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं .
- स्थायी समिति
- तदर्थ समिति
1. स्थायी समिति - स्थायी समितियाँ प्रत्येक वर्ष या समय-समय पर परिस्थिति के अनुसार सदन द्वारा निर्मित की जाती हैं अथवा लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा अध्यक्ष द्वारा नामांकित की जाती है। ऐसी समितियों के उदाहरण हैं - लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रम समिति इत्यादि।
2. तदर्थ समिति - तदर्थ समितियाँ किसी विशेष मामले पर विचार करने तथा रिपोर्ट देने के लिए सदन अथवा लोकसभा अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापति द्वारा नियुक्त की जाती है तथा कार्य समाप्ति के पश्चात समाप्त हो जाती हैं। ऐसी समितियों के उदाहरण हैं - प्रवर समिति, संयुक्त प्रवर समिति इत्यादि।
सम्बंधित प्रश्न :
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