राजनीतिक सिद्धांत की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में समझाइये। राजनीतिक सिद्धांत की कुछ मूलभूत विशेषताएँ स्पष्ट की जा सकती हैं। राजनीतिक सिद्धांत मूलतः
राजनीतिक सिद्धांत की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में समझाइये।
राजनीतिक सिद्धांत की प्रमुख विशेषताएँ
राजनीतिक सिद्धांत की कुछ मूलभूत विशेषताएँ स्पष्ट की जा सकती हैं। राजनीतिक सिद्धांत मूलतः व्यक्ति की बौद्धिक और राजनीतिक कृति है। सामान्यतः यह एक व्यक्ति का चिन्तन होते हैं जो राजनीतिक वास्तविकता अर्थात् राज्य की सैद्धान्तिक व्याख्या करने का प्रयत्न करते हैं।
- विभिन्न चिन्तकों के मत - प्रत्येक सिद्धांत अपने आप में एक परिकल्पना होता है जो सही अथवा गलत दोनों हो सकता है और जिसकी आलोचना की जा सकती है अतः सिद्धांतों के अन्तर्गत हम विभिन्न चिन्तकों द्वारा किये गये अनेक प्रयत्न पाते हैं जो राजनीतिक जीवन के रहस्यों का उद्घाटन करते रहे हैं। इन चिन्तकों ने अनेक व्याख्यायें प्रस्तुत की हैं जो हो सकता है हमें प्रभावित न करें परन्तु जिनके बारे में हम कोई अन्तिम राय (सही अथवा गलत) स्थापित नहीं कर सकते। राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक जीवन के उस विशेष सत्य की व्याख्या करते हैं जैसा कोई चिन्तक उसे देखता या अनुभव करता है। ऐसे राजनीतिक सत्य की अभिव्यक्ति हमें प्लेटो के 'रिपब्लिक', अरस्तू के ‘पॉलिटिक्स' अथवा रॉल्स की ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस' में मिलती है।
- व्यक्ति, समाज व इतिहास का वर्णन - राजनीतिक सिद्धांतों में व्यक्ति, समाज तथा इतिहास की व्याख्या होती है। ये व्यक्ति और समाज की प्रकृति की जांच करते हैं - एक समाज कैसे संगठित होता है और कैसे काम करता है, इसके प्रमुख तत्व कौन से हैं. विवादों के विभिन्न स्रोत कौन से हैं, उन्हें किस तरह हल किया जा सकता है, आदि।
- विषय विशेष पर आधारित - राजनीतिक सिद्धांत किसी विषय-विशेष पर आधारित होते हैं, अर्थात, हालांकि एक विचारक का उद्देश्य राज्य की प्रकृति की व्याख्या करना ही होता है परन्तु वह विचारक एक दार्शनिक, इतिहासकार, अर्थशास्त्री, धर्मशास्त्री अथवा समाजशास्त्री कुछ भी हो सकता है। अतः हम कई तरह के राजनीतिक सिद्धांत पाते हैं जिनमें इन विषयों की अद्वितीयता के आधार पर अन्तर किया जा सकता है।
- सामाजिक परिवर्तन के आधार - राजनीतिक सिद्धांतों का उद्देश्य केवल राजनीतिक वास्तविकता को समझना और उसकी व्याख्या करना ही नहीं है बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिये साधन जुटाना और ऐतिहासिक प्रक्रिया को तेज करना भी है। जैसा कि लास्की लिखते है, राजनीतिक सिद्धांतों का कार्य केवल तथ्यों की व्याख्या करना ही नहीं हैं परन्तु यह निर्धारण करना भी है कि क्या होना चाहिये। अतः राजनीतिक सिद्धांत सामाजिक स्तर पर सकारात्मक कार्य तथा उनके कार्यान्वयन के लिये सुधार, क्रान्ति अथवा संरक्षण जैसे साधनों की सिफारिश करते हैं। इनका सम्बन्ध साधन तथा साध्य दोनों से है। यह दोहरी भूमिका निभाते हैं-'समाज को समझना और उसकी गलतियों में सुधार करने के तरीके जुटाना'।
- विचारधारा पर आधारित - राजनीतिक सिद्धांतों में विचारधारा का समावेश भी होता है। आम भाषा में विचारधारा का अर्थ विश्वासों, मूल्यों और विचारों की उस व्यवस्था से होता है जिससे लोग शासित होते हैं। आधुनिक युग में हम कई तरह की विचारधारायें पाते हैं, जैसे, उदारवाद, मार्क्सवाद, समाजवाद आदि। प्लेटो से लेकर आज तक सभी राजनीतिक सिद्धांतों में किसी न किसी विचारधारा का प्रतिबिम्ब अवश्य है। राजनीतिक विचारधारा के रूप में राजनीतिक सिद्धांतों में उन राजनीतिक मूल्यों, संस्थाओं और व्यवहारों की अभिव्यक्ति होती है जो कोई समाज एक आदर्श के रूप में अपनाता है। उदाहरण के लिये, पश्चिमी यूरोप और अमरीका के सभी राजनीतिक सिद्धांतों में उदारवादी विचारधारा प्रमुख रही है। इसके विपरीत चीन और पूर्व सोवियत यूनियन में एक विशेष प्रकार के मार्क्सवाद का प्रभुत्व रहा। इस सन्दर्भ में ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रत्येक विचारधारा स्वयं को सर्वव्यापक और परम सत्य के रूप में प्रस्तुत करती है और दूसरों को अपनाने के लिये बाध्य करती है। परिणामस्वरूप वैचारिक संघर्ष आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों का एक विशेष अंग रहा है।
संक्षेप में, राजनीतिक सिद्धांतों का सम्बन्ध राजनीतिक घटनाओं की व्याख्या और मूल्यांकन से है और इनका अध्ययन विचारों तथा आदर्शों के विवरण के रूप में, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के साधन के रूप में अथवा विचारधारा के रूप में किया जा सकता है।
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