किस आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग लगाया जा सकता है ? न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के अनुसार साबित अनाचार या असमर्थता के आधार पर पद
किस आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग लगाया जा सकता है ?
न्यायाधीश पर महाभियोग की प्रक्रिया
महाभियोग वह प्रक्रिया है जिसका प्रयोग सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने के लिए किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश 65 वर्ष तक अपना पद धारण करता है, किन्तु न्यायाधीशों को इसके पूर्व भी न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के अनुसार साबित अनाचार या असमर्थता के आधार पर पदमुक्त किया जा सकता है। इन दो आधारों पर न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग (Impeachment) चलाया जाता है। महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिये लोकसभा में 100 तथा राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव की आवश्यकता होती है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन लोकसभा, राज्य सभा में लाया जाता है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों द्वारा विशिष्ट बहुमत से पारित किया जाना आवश्यक है अर्थात यह प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों का अलग-अलग अपने कुल सदस्यों के बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के 2/3 बहमत से पास किया जाना आवश्यक है। हालांकि संबंधित न्यायाधीश को अपना बचाव करने का पूरा समय एवं अवसर दिया जाता है। दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है तथा राष्ट्रपति ही इस न्यायाधीश की पदच्युति का आदेश जारी करता है।
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