भारतीय चुनाव प्रणाली के दोषों को स्पष्ट कीजिए। भारत में चुनाव सुधारों की क्यों आवश्यकता है ? भारतीय निर्वाचन व्यवस्था के दो दोष लिखिए भारतीय चुनाव प्र
भारतीय चुनाव प्रणाली के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- भारत में चुनाव सुधारों की क्यों आवश्यकता है ?
- भारतीय निर्वाचन व्यवस्था के दो दोष लिखिए
- भारतीय चुनाव प्रणाली के कोई चार दोष लिखिए
- चुनाव में धन की बढ़ती हुई भूमिका बताइए।
- अथवा भारतीय चुनाव प्रणाली में क्या कमियाँ है ?
चुनाव प्रणाली के दोष
वर्तमान भारत में निर्वाचन की पद्धति में कई दोष व्याप्त हैं भारत की निर्वाचन' पाली पर यदि हम दष्टिपात करें तो हमें निम्नलिखित दोष दिखाई पड़ते हैं -
- अल्पमत का प्रतिनिधित्व - भारत में अन्य देशों की तरह एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होते हैं. जिनमें निर्वाचित होने के लिए कई-कई प्रत्याशी उम्मीदवार होते हैं उन सभी प्रत्याशियों में जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं उसे विजयी घोषित किया जाता है, किन्तु उस विजयी प्रत्याशी के मिले मत उसके अन्य सभी प्रत्याशियों को मिले कुल मतों से काफी कम होते हैं।
- चनाव में धन का प्रभाव - वर्तमान निर्वाचन प्रणाली में निर्वाचन की संस्कृति बदल गई है आज निर्वाचन प्रणाली में धन का प्रभाव इतना अधिक बढ़ गया है कि उसके प्रभाव के कारण कोई गरीब उम्मीदवार कितना ही योग्य क्यों न हो वह चुनाव जीत ही नहीं सकता। चुनाव में धन पानी की तरह बहाया जाता है तथा कभी-कभी तो विभन्न प्रकार के आर्थिक प्रलोभनों से मतदाता को आकर्षित किया जाता है। आज चुनाव में एक अत्यन्त गम्भीर दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका के रूप में उभरा है। यद्यपि हमारे क़ानून निर्माता इस दिशा सचेत थे। यही कारण है कि आज चुनाव आयोग ने धन के असीमित उपयोग को रोकने की दिशा में कठोर कदम उठाये हैं। जिसके कारण कुछ ऐसे मामले सज्ञान एवं प्रकाश में आये है कि कुछ राजनीतिक दल तथा प्रत्याशियों ने वोट के नाम पर नोट बांटकर चुनाव जीतने की कोशिश की है। चुनाव में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए निम्न प्रयास किये जा सकते है
- राजनीतिक दलों के आय-व्यय की विधिवत जांच।
- संसद तथा विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव की व्यवस्था
- एक समय में एक प्रत्याशी के एक से अधिक स्थानों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध
- चुनाव अवधि में सार्वजनिक संस्थाओं को अनुदान देने पर रोक
- चुनाव खर्च का भार पूर्णतया आंशिक रूप से राज्य सरकार द्वारा वहन करना।
- गुण्डागर्दी तथा बूथ कैप्चरिंग - आजकल समाचार पत्रों में इस प्रकार की घटना आम रूप से पढ़ने को मिलती है कि गुण्डागर्दी के आधार पर धमकी देकर अपने पक्ष में मतदान कराया गया। कभीकभी तो मतदान केन्द्र पर कब्जा कर फर्जी मतदान करा दिया जाता है। इसे बूथ कैप्चरिंग कहते हैं।
- मतदान कर्मचारियों द्वारा पक्षपात - मतदान अधिकारी और कर्मचारी भी पूर्णतया निष्पक्ष नहीं होते । वे मतदान स्थल पर पक्षपात कर तथा मतगणना में हेराफेरी कर अपने पक्ष के उम्मीदवार को जिताने का भरसक प्रयास करते हैं।
- सत्तारूढ़ दल द्वारा सत्ता का चुनाव में दुरुपयोग - जिस दल के हाथ में निर्वाचन के समय सत्ता होती है वह प्रचार में तथा निर्वाचन में सत्ता से प्राप्त साधनों का जमकर दुरुपयोग करता है। कर्मचारियों का पदांकन अपनी सहूलियत से करता है।
- निर्वाचन क्षेत्रों का बड़ा होना - बडे-बडे निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकांश लोग उम्मीदवार के निकट से नहीं जानते इसलिए वे अपने मत का सही व्यक्ति के निर्वाचन में प्रयोग नहीं कर पाते।।
- स्वतन्त्र उम्मीदवारों का कम चुना जाना - स्वतंत्रत उम्मीदवार बहुत कम चुने जाते हैं क्योंकि दलीय आधार पर उम्मीदवार को विभिन्न सुविधायें दी जाती हैं तथा जनता स्वयं भी उम्मीदवार के बारे में अधिक जानती नहीं है वह राजनीतिक दल के कार्यक्रम के आधार पर ही मतदान करना अधिक सुविधा जनक मानती है।
- निर्वाचन में जनता की घटती रुचि - वर्तमान काल में जनता की रुचि निर्वाचनों में बराबर घटती जा रही है। इसका प्रमाण मतदान का घटता प्रतिशत है। प्रायः निर्वाचनों में 50 प्रतिशत से कम लोग ही मत डालते हैं। यह निर्वाचनों में जनता की घटती रुचि का परिचायक है।
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