अस्तित्ववादी विचारधारा के उदय के कारण अस्तित्ववादी विचारधारा के उदय के निम्नलिखित प्रमुख कारण रहे हैं अण्विक शास्त्रों के आविष्कार से भय तथा आतंक बढ़ा
अस्तित्ववादी विचारधारा के उदय के कारण लिखिए।
अस्तित्ववादी विचारधारा के उदय के कारण
अस्तित्ववादी विचारधारा के उदय के निम्नलिखित प्रमुख कारण रहे हैं
- अण्विक शास्त्रों के आविष्कार से भय तथा आतंक बढ़ा है तथा व्यक्ति के मानसिक तनाव में भी वृद्धि हुई है। अस्तित्ववाद तनावग्रस्त तथा चिन्तित व्यक्ति को अपने अस्तित्ववाद का बोध कराकर उसे कर्मनिष्ठता की ओर प्रवृत्र करने का प्रयास है।
- पूँजीवादी समाज में विशाल संगठनों द्वारा उत्पादन विशाल पैमाने पर किया जाता है जिससे व्यक्ति मात्र एक उत्पादक है तथा व्यक्तिगत सम्बन्धों का लोप हो जाता है। उसे अपनी वैयक्तिक स्थिति का बोध कराना आवश्यक माना गया।
- सुसंगठित, पूँजीवादी समाज तथा केन्द्रीकृत राज्य व्यवस्था में व्यक्ति की स्थिति मशीन के एक पूर्जे के समान हो गई है, अतः उसे अपने अस्तित्व का बोध कराया जाए।
- बढ़ती हुई जनसंख्या, जनसंख्या के घनत्व, शहरीकरण आदि के कारण व्यक्ति के जीवन की एकांतिकता समाप्त होती जा रही है। समूहों तथा सार्वजनिक सत्ता की तुलना में पारिवारिक तथा प्राथमिक बन्धनों का प्रभाव कम होता जा रहा है। परिवार, समुदाय तथा ग्रामीण जीवन के लुप्त होने से व्यक्ति अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। अस्तित्ववाद उसे अपने 'होम' का बोध कराने का प्रयास है।
- समाज मैक्स बैवरीय बौद्धिक सिद्धांतों पर संगठित किया जाने लगा है तथा उत्पादन क्षमता उसका मुख्य मानक होता है। इस सामाजिक संगठन के स्तर पर सदस्यों के मध्य औपचारिक अमूर्त तथा परिस्थिति पर आधारित सम्बन्ध होते हैं। विकसित समाजों में समृद्धि तथा उत्पादन का आधिक्य तथा वहाँ अभाव अथवा उत्पादन के स्थान पर वितरण की समस्या है। सर्वत्र कृत्यों का विशेषीकरण किया जा चुका है तथा श्रम विभाजन चरम सीमा पर पहुँच चुका है। जीवन को व्यक्ति की इच्छा से परे सांचों में ढाला जा रहा है। ये सांचे बुद्धिवादी हैं। बद्धिवाद न केवल यातायात, संचार, शहरीकरण, उद्योग तथा व्यापार में व्याप्त हो गया है अपित् शिक्षा, परिवार तथा सामाजिक सम्बन्धों में भी प्रवेश कर गया है। अस्तित्ववाद बुद्धिवाद के समक्ष एक चुनौती है।
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