भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अत्यन्त संक्षिप्त एवं सारगर्भित है। डॉ. सुभाष कश्
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के उल्लिखित “हम भारत के लोग” का क्या अर्थ है
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गये शब्द धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद से क्या तात्पर्य है?
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित गणराज्य शब्द का क्या अर्थ है ?
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के आधार पर राष्ट्र की एकता और अखण्डता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप
भारतीय संविधान की प्रस्तावना अत्यन्त संक्षिप्त एवं सारगर्भित है। डॉ. सुभाष कश्यप के शब्दों में “प्रस्तावना का एक शब्द एक-एक चित्र है, चित्र जो बोलता है, एक कहानी कहता है तपस्या, त्याग और बलिदान की कहानी। सन् 1976 में संशोधित प्रस्तावना निम्नलिखित है -
"हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"
- हम भारत के लोग (We the people of India) - भारतीय संविधान के विद्वानों ने इस शब्द के तीन अर्थों को प्रकट किया है प्रथम, अन्तिम सत्ता जनता के पास है, दूसरी संविधान के संस्थापक जनता के वास्तविक प्रतिनिधि में तथा तीसरा संविधान की स्थापना जनता की स्वीकृति तथा सहमति से हुई है।
- सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न (Sovereign) - इस शब्द का अर्थ है कि भारत अपने आन्तरिक एवं बाह्य मामलों में पूर्णतया स्वतन्त्र है वह अपनी आन्तरिक एवं विदेशी नीतियों के निर्माण में किसी भी अन्य देश से निर्देशन तथा दबाव मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- धर्मनिरपेक्षता (Secular) - संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता पंथ निरपेक्षता शब्द 42वें संविधान संशोधन द्वारा सन् 1976 में अन्तःस्थापित किया गया। पश्चिमी विचारधारा से अलग भारत में इसका तात्पर्य सर्वधर्म सम्भाव माना जाता है।
- समाजवादी (Socialist) - संविधान की प्रस्तावना में 42 वे संशोधन के द्वारा समाजवादी शब्द को भी जोडा गया है। यह शब्द इस बात की ओर संकेत करता है कि भारत एक समतावादी समाज की स्थापना के लिए कृत संकल्प है।
- लोकतान्त्रिक (Democratic) - लोकतन्त्र शासन की ही एक श्रेष्ठ पद्धति नहीं है बल्कि यह जीवन शैली की भी एक श्रेष्ठ पद्धति है और भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित भावना को व्यक्त करने का प्रयास करता है कि हम लोकतान्त्रिक गुणों को अपने जीवन में भी उतारने का प्रयास करें।
- गणराज्य (Republic) - लोकतन्त्रात्मक शासन पद्धति दो प्रकार से अपनी शासन व्यवस्था का संचालन करती है - एक वंशानुगत तरीके से तथा दूसरी गणतन्त्रीय विधि से - शासन की वंशानुगत पद्धति में राज्य के प्रमुख का पद जनता से निर्वाचित न होकर वंश परम्परा पर आधारित होत है जैसे ब्रिटेन में होता है, किन्तु भारत में राज्य के प्रमुख पद राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा निर्वाचन होता है।
- न्याय (Justice) - भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारतीय नागरिकों को सामाजिकआर्थिक और राजनीतिक न्याय दिलाने की चर्चा करती है। सामाजिक न्याय से आशय समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उसकी जाति, लिंग, सम्प्रदाय, आर्थिक स्थिति के द्वारा भेदभाव किए बिना समान समझना।
- स्वतन्त्रता (Liberty) - नैतिक और विधिक रूप में लोकतन्त्र की स्थापना तभी हो सकती है जब स्वतन्त्र जीवन के लिए आवश्यक न्यूनतम अधिकार समाज के प्रत्येक सदस्य को प्राप्त हो और भारतीय संविधान की प्रस्तावना के इस आशय की स्पष्ट चर्चा की गई है कि प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता है। . 9. समानता (Equality) . प्रस्तावना में लिखित समानता शब्द से तात्पय है कि बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के आवश्यक अवसर उपलब्ध कराना संविधान का अनुच्छेद (15) के तहत जाति, धर्म, वंश, लिंग, जन्म स्थान आदि के समक्ष समानतः तथा विधि संरक्षण का प्रावधान किया गया है।
- व्यक्ति की गरिमा (Dignity of Individual) - व्यक्ति की गरिमा का आशय कि एक व्यक्ति के रूप में उसे जीवन यापन की जो सम्यक परिस्थितियाँ प्राप्त होनी चाहिए उसकी पूर्ति होना।
- राष्ट्र की एकता और अखण्डता (Unity and Integrity of the Nation) - चूँकि भारत विभिन्नताओं का देश है, किन्तु फिर भी यहाँ एक विशेष प्रकार की एकता है जिसे और मजबूती प्रदान करना ही राष्ट्रीय एकता है तथा 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया यह अखण्डता का शब्द जिसका तात्पर्य राष्ट्र को आन्तरिक तथा बाह्य पृथकतावादी शक्ति से बचाकर अक्षुण्ण रखना।
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