यहाँ जानिए संचार उपग्रह किसे कहते हैं, उपग्रह संचार कि परिभाषा, लाभ तथा भारत में उपग्रह संचार का विकास की जानकारी।
संचार उपग्रह - Satellite Communication in Hindi
यहाँ जानिए संचार उपग्रह किसे कहते हैं, उपग्रह संचार कि परिभाषा, लाभ तथा भारत में उपग्रह संचार का विकास की जानकारी।
संचार उपग्रह (Satellite Communication)
कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से किये जाने वाले संचार को उपग्रह संचार कहते हैं। संचार उपग्रह को संक्षेप में SETCOM कहते हैं। उपग्रह संचार वैश्विक दूरसंचार प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संचार उपग्रह का मुख्या कार्य पृथ्वी पर मौजूद स्टेशन से सिग्नल ग्रहण करके उसे वापस धरती पर एक या कई स्थान पर भेजना होता है। आधुनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, मोलनीय कक्ष, अन्य दीर्घवृत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और ग़ैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं।
भारत में उपग्रह संचार का विकास
उपग्रह विकास के क्षेत्र में भारत ने भी बड़े कदम उठाए हैं। आर्यभट्ट का 19 अप्रैल 1979 को, भास्कर-1 का 1979 में तथा रोहिणी का प्रक्षेपण 1980 में हुआ। 18 जून 1981 को एप्पल (एरियन पैसेंजर पे लोड एक्सपेरीमेंट) का प्रक्षेपण एरियन रॉकेट के द्वारा हुआ। भास्कर, चैलेंजर तथा इंसेट 1-बी ने, लंबी दूरी के संचार दूरदर्शन तथा रेडियो को अत्यधिक प्रभावी बना दिया है। आज दूरदर्शन के माध्यम से मौसम की भविष्यवाणी एक वरदान बन गई है।
भारत की उपग्रह प्रणाली को समाकृति तथा उद्देश्यों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम INSAT तथा इंडियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट सिस्टम IRS। इनसैट INSAT जिसकी स्थापना 1983 में हुई थी, एक बहुउद्देश्यीय उपग्रह प्रणाली है जो दूरसंचार, मौसम विज्ञान संबंधी अवलोकनों तथा विभिन्न अन्य आँकड़ों एवं कार्यक्रमों के लिए उपयोगी है।
आई आर एस उपग्रह प्रणाली मार्च 1988 में रूस के वैकानूर से आई आर एस-वन ए ;IRS-1A के प्रक्षेपण के साथ आरंभ हो गई थी। भारत ने भी अपना स्वयं का प्रक्षेपण वाहन पोलर सेटेलाइट लाँच वेहकिल विकसित किया। ये उपग्रह अनेक वर्णक्रमीय बैंड (स्पेक्ट्रल समूह) को एकत्रित करते हैं तथा विविध उपयोगों हेतु भू-स्टेशनों पर संप्रेषित करते हैं। हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) आँकड़ों के अधिग्रहण एवं प्रक्रमण की सुविधा उपलब्ध कराती है। प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए ये बहुत ही उपयोगी होते हैं।
उपग्रह संचार के लाभ
उपग्रह संचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये संचार के अन्य साधनों का भी नियमन करते हैं। उपग्रह के उपयोग से एक विस्तृत क्षेत्र का सतत एवं विस्तृत दृश्य प्राप्त कर सकते हैं, इस कारण उपग्रह संचार आर्थिक एवं सामरिक कारणों से भी महत्वपूर्ण हो गया है। उपग्रह से प्राप्त चित्रों का मौसम के पूर्वानुमान, प्रावृृफतिक आपदाओं की निगरानी, सीमा क्षेत्रों की चौकसी आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है। उपग्रहों ने मानव जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित किया है। मोबाइल से फोन करने एवं छोटे संदेश प्रेषित करने के लिए अथवा केबिल टेलीविजन पर लोकप्रिय कार्यक्रमों को देखने के लिए हम उपग्रह संचार सेवा का उपयोग करते हैं।
आज इंटरनेट पृथ्वी पर सबसे बड़े विद्युतीय जाल के रूप में 100 से अधिक देशों के लगभग 1000 करोड़ लोगों को जोड़ता है। 1970 से जब से संयुक्त राज्य अमेरिका एवं पूर्व सोवियत संघ के द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी शोध किया गया है, तब से उपग्रह के माध्यम से होने वाले संचार ने, संचार तकनीकी के क्षेत्र में, एक नवीन युग का आरंभ किया है। पृथ्वी की कक्षा में कृत्रिम उपग्रहों के सपफलतापूर्वक प्रेक्षण के कारण अब ग्लोब के उन दूरस्थ भागों को जोड़ा गया है, जिनका यथास्थान सत्यापन सीमित था। इस तकनीक के प्रयोग द्वारा दूरी के संदर्भ में संचार में लगने वाले इकाई मूल्य एवं समय में होने वाली वृद्धि को नियंत्रित कर लिया गया है। जिसका तात्पर्य यह है कि 500 कि.मी. की दूरी तक होने वाले संचार में लगने वाली लागत, उपग्रह के द्वारा 5000 कि.मी. की दूरी तक होने वाली संचार लागत के बराबर है।
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