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इंडिया गेट का इतिहास - India Gate History in Hindi
इंडिया गेट (अखिल भारतीय युद्ध स्मारक)
इंडिया गेट दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। इंडिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक (All India War Memorial) कहा जाता है। नई दिल्ली के राजपथ (जिसे पूर्व में किंग्सवे कहा जाता था) पर स्थित ४२ मीटर ऊँचा विशाल युद्ध स्मारक है। इंडिया गेट का डिजाइन वास्तुकार सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था। यह स्मारक पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इंडिया गेट का निर्माण 10 फरवरी 1921 को प्रारंभ हुआ तथा 12 फरवरी, 1931 इस विशाल युद्ध स्मारक का निर्माण संपन्न हुआ। यह स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक है। इंडिया गेट का निर्माण उन 90000 भारतीय सनिकों कि याद में किया गया था जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्ध में ब्रिटिश सेना में भारती होकर वीरगति प्राप्त की। इस स्मारक के निर्माण में लाल तथा पीले बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इंडिया गेट पर यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों, अधिकारियों सहित 13,300 सैनिकों के नाम उत्कीर्ण हैं।
इंडिया गेट की संक्षिप्त जानकारी
स्मारक का नाम | इण्डिया गेट |
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उपनाम | अखिल भारतीय युद्ध स्मारक |
इंडिया गेट का उद्घाटन | लार्ड इरविन द्वारा |
खुलने का समय | 24 घंटे |
निर्माण सामग्री | लाल और पीले बलुआ पत्थर |
निर्माण का समय | 10 फरवरी, 1921 से 12 फरवरी, 1931 |
उंचाई | 42 मीटर |
चौड़ाई | 9.1 मीटर |
वास्तुकार | सर एडवर्ड लुटियन्स |
इंडिया गेट का इतिहास
इंडिया गेट, जिसे मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है, का निर्माण अविभाजित भारतीय सेना के 82,000 सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवाई थी।
इंडिया गेट का डिजाइन
इंडिया गेट का डिजाईन वास्तुकार सर एडवर्ड लुटियन्स ने किया था। एडवर्ड लुटियन्स यूरोप के प्रसिद्ध युद्ध स्मारक डिज़ाइनर थे। इंडिया गेट का डिजाईन पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इंडिया गेट की उंचाई 42 मीटर (138 फुट) तथा चौड़ाई में 9.1 मीटर है। इसका परिसर 625 मीटर व्यास और 306,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में है। इंडिया गेट एक षटभुजीय संरचना है। इस स्मारक में सबसे ऊपर इंडिया(INDIA) लिखा है जिसके बाईं ओर MCMXIV (1914) और दाईं ओर MCMXIX (1919) लिखा है। इसके आधार में प्रयुक्त लाल और पीले पत्थर भरतपुर से लाये गए थे। जब इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति थी। बाद में इस मूर्ती को अन्य ब्रिटिशकालीन मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया। वर्तमान में जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गयी है।
इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति
अमर जवान ज्योति भारत इंडिया गेट के पास स्थित एक स्मारक है। अमर जवान ज्योति का निर्माण भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में किया गया था। अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर की कुरसी है जिस पर एक कब्र है। स्मारक के चारों तरफ "अमर जवान" (अमर सैनिक) सोने में लिखा गया है और शीर्ष पर, एक एल1ए1 सेल्फ-लोडिंग राइफल अपने बैरल पर अज्ञात सैनिक के हेलमेट के साथ खड़ी है।
अमर जवान ज्योति का उद्घाटन 1972 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी में किया था। इस स्मारक के पास चार कलश रखे हुए हैं जिसमें एक कलश में 24 घंटे ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है, इसी ज्योति को अमर जवान ज्योति कहा जाता है। राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख अवसरों स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इंडिया गेट पर शहीदों के नाम (शिलालेख)
इण्डिया गेट की दीवारों पर उन शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं जो प्रथम विश्व युद्ध और तृतीय अफ़ग़ान युद्ध में मारे गए और सबसे ऊपर अंग्रेजी में लिखा हैः
To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War.
अनुवाद - भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया, फारस, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य स्थानों पर तथा वे भी जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए उनकी पवित्र स्मृति में नाम दर्ज़ हैं।
इंडिया गेट और पर्यटन
इंडिया गेट अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कें इंडिया गेट के कोनों से निकलती हैं। रात के समय जब इंडिया गेट रोशनियों से प्रकाशित होता है तो यहाँ मेले जैसा माहौल होता है। 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) व 26 जनवरी(गणतंत्र दिवस) के दौरान इंडिया गेट कि शोभा देखने लायक होती है। इस दौरान भी यहां आकर इस नजारे का लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके आस पास हरे भरे मैदान, बच्चों का उद्यान और प्रसिद्ध बोट क्लब इसे एक आदर्श दर्शनीय स्थल बनाते हैं। इंडिया गेट के फव्वारे के पास बहती शाम की ठण्डी हवा ढेर सारे पर्यटकों को आनंदित करती है।
अफगान युद्ध में भारतीयों के विजय के बाद ही देश आज़ाद हो जाता लेकिन अंग्रेज़ अपने वायदे से पलट गए?
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