एकता में शक्ति होती है कहानी लेखन : इस लेख में हम पढ़ेंगे एकता की ताकत पर हिंदी कहानी । Hindi Story on strength in unity , Ekta me bal hai ...
एकता में शक्ति होती है कहानी लेखन : इस लेख में हम पढ़ेंगे एकता की ताकत पर हिंदी कहानी। Hindi Story on strength in unity, Ekta me bal hai hindi kahani.
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यदि निर्बल और स्वत्वहीनों में भी एकता हो है, तो वह किसी साम्राज्य की शक्ति या बलशाली के आतंक को कुचल सकते है।
एक वन में एक पुराने वृक्ष के नीचे बने मिट्टी के टीले में एक बिल था। उसमें अतिदर्प नामक सर्प रहता था। वह अत्यन्त विशालकाय और भयानक था। अपनी शक्ति और घातकता के मद में वह किसी को कुछ नहीं समझता था।एक दिन उसने कोधित होकर फुफकारते हुए पूंछ को फटकारा, तो समीप ही बिलों में रहने वाली चींटियों में से कुछ घायल हो गयीं। उन्होंने पीड़ा से आर्तनाद करते हुए कहा-“अरे दुष्ट सर्प! क्या तुझे कुछ भी दिखायी नहीं देता? "तुमने अकारण ही हमें घायल कर दिया?” सर्प ने उनकी ओर उपहास से देखते हुए कहा-“जिनके पास शक्ति होती है, वे चींटे, चींटियों आदि तुच्छ एवं शक्तिहीन प्राणियों को नहीं देखा करते। तुम लोगों को स्वयं मुझसे दूर रहना चाहिए?
“मूर्ख!” चींटियों के प्रधान ने कहा-“तू अपनी शक्ति के मद में विक्षिप्त हो गया है। तुझे एकता में शक्ति का ज्ञान नहीं है। अत्यन्त शक्तिशाली सम्राट, उसकी विशाल सेना, और वीर-पराक्रमी योद्धाओं के दिव्यास्त्र भी निरर्थक हो जाते हैं, जब उन पर जनता क्रुद्ध हो जाती है। इनके कोप से तो बड़े-बड़े साम्राज्य ध्वस्त हो जाते हैं। हिरणाकश्यप जैसा महामायावी और महिषासुर जैसा महाबली योद्धा भी जनक्रान्ति का सामना नहीं कर सका। तू तो है ही क्या चीज?”
सर्प ने उपेक्षा से मुस्कुराकर उन्हें देखा और बिल में चला गया। चींटियों की सरदार ने क्रोधित होकर कहा-“इस दुष्ट सर्प को एकता की शक्ति का ज्ञान कराना आवश्यक है वर्ना यह और भी उद्दंड हो जायेगा। अत्याचारी के बल को समय रहते कुचल देना चाहिए अन्यथा वह सम्पूर्ण समाज का विनाश कर देता है।”
अपनी सरदार के निर्देश पर चींटियों ने सांप के बिल के मुख पर तीक्ष्ण धारदार कंटेली के कांटों को बिछा दिया। सर्प जब रात्रि में निकला, तो उन कांटों की रगड़ से बुरी प्रकार घायल हो गया। उसके शरीर में स्थान-स्थान पर घाव हो गये। चींटियां उन घावों से लुब्ध गयीं। सर्प पीड़ा से व्याकुल होकर तड़पने लगा। कुछ चींटियां मर भी गयीं, परन्तु वह सर्प भी यातनापूर्ण ढंग से मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसीलिए कहा गया है कि समूह की शक्ति से कभी शत्रुता मोल नहीं लेनी चाहिए।
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