अब्राहम लिंकन पर कविता : अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपने बेटे के स्कूल के प्रिंसिपल / प्रधानाध्यापक को एक पत्र लिखा। उसी पत्र को कविता के माध्यम से व्यक्त किया जा रहा है। इस कविता / Poem में आप को अब्राहम लिंकन के विचारों की स्पष्ट झलक देखने को मिलेगी, साथ ही यह हममें नैतिक गुणों का विकास भी करती है। कविता पढ़े....हे शिक्षक ! मैं जानता हूँ और मानता हूँ कि न तो हर आदमी सही होता है और न ही होता है सच्चा; किंतु तुम्हें सिखाना होगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा,
अब्राहम लिंकन पर कविता। Poem on Abraham Lincoln in Hindi
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपने बेटे के स्कूल के प्रिंसिपल / प्रधानाध्यापक को एक पत्र लिखा। उसी पत्र को कविता के माध्यम से व्यक्त किया जा रहा है। इस कविता / Poem में आप को अब्राहम लिंकन के विचारों की स्पष्ट झलक देखने को मिलेगी, साथ ही यह हममें नैतिक गुणों का विकास भी करती है। कविता पढ़े....
हे शिक्षक !मैं जानता हूँ और मानता हूँ
कि न तो हर आदमी सही होता है
और न ही होता है सच्चा;
किंतु तुम्हें सिखाना होगा कि
कौन बुरा है और कौन अच्छा,
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दुष्ट व्यक्तियों के साथ साथ आदर्श प्रणेता भी होते हैं,
स्वार्थी राजनीतिज्ञों के साथ समर्पित नेता भी होते हैं;
दुष्मनों के साथ - साथ मित्र भी होते हैं,
हर विरूपता के साथ सुन्दर चित्र भी होते हैं
समय भले ही लग जाए, पर
यदि सिखा सको तो उसे सिखाना
कि पाए हुए पाँच से अधिक मूल्यवान-
स्वयं एक कमाना...
पाई हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना,जीत की खुशियाँ मनाना।
यदि हो सके तो ईष्र्या या द्वेष से परे हटाना
और जीवन में छिपी मौन मुस्कान का पाठ पठाना
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जितनी जल्दी हो सके उसे जानने देना
कि दूसरों को आतंकित करने वाला स्वयं कमजोर होता है
वह भयभीत व चिंतित है
क्योंकि उसके मन में स्वयं चोर छिपा होता है
उसे दिखा सको तो दिखाना-
किताबों में छिपा खजाना
और उसे वक्त देना चिंता करने के लिए...
कि आकाश के परे उड़ते पंछियों का आल्हाद,
सूर्य के प्रकाश में मधुमक्खियों का निनाद,
हरी- भरी पहाडिय़ों से झाँकते फूलों का संवाद,
कितना विलक्षण होता है- अविस्मरणीय...अगाध...
उसे यह भी सिखाना-
धोखे से सफलता पाने से असफ़ल होना सम्माननीय है 7
और अपने विचारों पर भरोसा रखना अधिक विश्वसनीय है!
चाहें अन्य सभी उनको गलत ठहराएं
परंतु स्वयं पर अपनी आस्था बनी रहे यह भी विचारणीय है
उसे यह भी सिखाना कि वह सदय के साथ सदय हो,
किंतु कठोर के साथ हो कठोर...
और लकीर का फकीर बनकर,
उस भीड़ के पीछे न भागे जो करती हो-निरर्थक शोर...
उसे सिखाना
कि वह सबकी सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके,
हर तथ्य को सत्य की कसौटी पर कसकर गुन सके...
यदि सिखा सको तो सिखाना कि वह दुख: में भी मुस्करा सके,
घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके..
उसे ये भी सिखाना कि आँसू बहते हों तो बहने दें,
इसमें कोई शर्म नहीं...कोई कुछ भी कहता हो... कहने दो
उसे सिखाना-
वह सनकियों को कनखियों से हंसकर टाल सके
पर अत्यन्त मृदुभाषी से बचने का ख्याल रखे
वह अपने बाहुबल व बुद्धिबल क अधिकतम मोल पहचान पाए
परन्तु अपने ह्रदय व आत्मा की बोली न लगवाए
वह भीड़ के शोर में भी अपने कान बन्द कर सके
और स्व की. अंतरात्मा की यही आवाज सुन सके;
सच के लिए लड़ सके और सच के लिए अड़ सके
उसे सहानुभूति से समझाना
पर प्यार के अतिरेक से मत बहलाना
क्योंकि तप-तप कर ही लोहा खरा बनता है.
ताप पाकर ही सोना निखरता है
उसे साहस देना ताकि वह वक्त पडऩे पर अधीर बने
सहनशील बनाना ताकि वह वीर बने
उसे सिखाना कि वह स्वयं पर असीम विश्वास करे,
ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे
यह एक बड़ा-सा लम्बा-चौड़ा अनुरोध है
पर तुम कर सकते हो,क्या इसका तुम्हें बोध है?
मेरे और तुम्हारे... दोनों के साथ उसका रिश्ता है;
सच मानो, मेरा बेटा एक प्यारा- सा नन्हा सा फरिश्ता है...
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