दोस्तो आज हमने Essay on Diwali in hindi लिखा है। दीपावली या दिवाली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों क...
दोस्तो आज हमने Essay on Diwali in hindi लिखा है। दीपावली या दिवाली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है। Here you will find essays and paragraph on Diwali in Hindi language for students.
Essay on Diwali in hindi - दिवाली पर निबंध
दीपावली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। इस निबंध की सहायता से स्कूल के सभी विद्यार्थी दिवाली पर एक अच्छा निबंध लिख सकते हैं। इस निबंध में हम जानेंगे कि दीपावली क्यों मनाई जाती है, कैसे मनाई जाती है तथा इसको मनाए जाने के क्या कौन-कौन से ऐतिहासिक तथा पौराणिक कारण हैं। Read also 10 lines on diwali in hindi
Essay on Diwali in hindi for class 1, 2, 3
हिंदुओं के सभी पर्वों में दीपावली अर्थात दिवाली का विशेष महत्व है। दीपावली का अर्थ होता है-दीपों की माला। प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या की रात संपूर्ण देश में दीपावली बड़े धूमधाम व जश्न के साथ मनाई जाती है। इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटने व लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। श्री राम केअयोध्या लौटने पर अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिएअपने घरों को सजाकर व रात्रि में दीपों की माला जलाई थी। इसी कारण इस त्यौहार का नाम दीपावली पड़ा। सभी लोग दीपावली के आगमन के पूर्व ही अपने-अपने घरों, दफ्तरों और कार्यालयों की साफ़-सफाई करने लगते हैं। शाम को सभी लोग अपने-अपने घरों में देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। दीपावली के दिन लोग अपने-अपने घरों को देशी घी के दीयों, मोमबत्तियां एवं झालरों की रोशनी से रौशन करते हैं। इस प्रकाश के सामने आसमान के तारे भी फीके से दिखाई देते हैं। लोग अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, मित्रों तथा निकटतम भाई-बंधुओं के साथ मिलकर इसे मनाते हैं। वे एक दूसरे को उपहार, मिठाई और दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं। बच्चे इस दिन नए कपड़े धारण करते हैं। इस दिन वे पटाखे छुड़ाकर रात में आतिशबाजी का आनंद लेते हैं।
Essay on Diwali in hindi for class 4, 5, 6
प्रस्तावना: दीपावली को दिवाली प्रकाश उत्सव अथवा जश्न ए चिराग के नाम से भी जाना जाता है। यह रक्षाबंधन, दशहरा, होली की भांति ही हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भारत में सभी धर्मों के लोग इसे मिलजुल कर मनाते हैं।नेपाल में दिवाली राजकीय पर्व के रूप में पाँच दिन तक मनाया जाता है, अतः इसे पंचक कहते हैं।
मनाये जाने का कारण: भारत में मनाया जाने वाला प्रत्येक त्योहार किसी ना किसी धार्मिक घटना से जुड़ा है। इसी प्रकार दीपावली मनाए जाने के लिए भी कई कारण हैं. इनमें प्रमुख हैं
- समुद्र-मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से देवी महालक्ष्मी जी का प्रकट होना
- भगवान विष्णु का नृसिंह का अवतार लेकर प्रहलाद की रक्षा करना
- 14 वर्ष के वनवास के पश्चात् भगवान् राम व माता सीता का अयोध्या आगमन
परन्तु इन सभी मान्यताओं में भगवन राम के 14 वर्ष के वनवास के पश्चात रावण का वध करके माता सीता तथा अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटने की मान्यता अधिक मान्य है। भगवान राम के अयोध्या वापस लौट आने की खुशी में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
मानाने का तरीका: दीपावली के आगमन के काफी समय पहले से ही लोग अपने घरों दफ्तरों तथा कार्यालयों की सफाई करने लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीपावली की रात को माता महालक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर भ्रमण पर निकलती है। इसीलिए सभी लोग अपने-अपने घरों को साफ करके दीयों से सजाते हैं। दीपावली वाले दिन लोग अपने घरों दुकानों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को खूब सजाते हैं तथा गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं। इस दिन बाजारों में भी विशेष चहल-पहल होती है मिठाई की दुकानों के आगे बड़े-बड़े पंडाल लगे होते हैं। पटाखे की दुकानों में बच्चों व बड़ों की लंबी कतार दिखाई पड़ती है सभी अपने इच्छानुसार पटाके अनार, फुलझड़ियां और रॉकेट इत्यादि खरीदते हैं
जलाओ दीपक पर ध्यान रहे; अंधेरा धरा पर कहीं रह ना जाए।
उपसंहार: यद्यपि दीपावली आपसी मेल-मिलाप, भाईचारे तथा बुराई पर अच्छाई की पताका फहराने वाला त्यौहार है तथापि हमारे समाज में कुछ ऐसी बुराइयां भी हैं जो दीपावली के दिन उभरकर सामने आती हैं। इन्हीं बुराइयों में से एक हैं-द्यूत क्रीड़ा अर्थात जुआ खेलना। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलकर इस त्यौहार को बदनाम करते हैं। वे धन्ना सेठ बनने की लालसा में अपना सब कुछ गंवा बैठते हैं। समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस दिन शराब पीकर आतिशबाजी करते हैं। जिसके कारण आगजनी जैसी अप्रिय घटनाएं हो जाती हैं और त्यौहार का माहौल मातम में तब्दील हो जाता है। अतः हमें ऐसी किसी अप्रिय घटना से बचना चाहिए तथा इस त्यौहार को सावधानीपूर्वक मनाना चाहिए।
Essay on Diwali in hindi for class 7, 8, 9
प्रस्तावना: हिन्दू धर्म में रोजाना कोई न कोई
पर्व होता है लेकिन इनमें मुख्य त्यौहार होली, दशहरा और दीपावली हैं। जीवन में प्रकाश फैलानेवाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक
मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन की
अंधेरीरात दीपकों व मोमबत्तियों के प्रकाश से प्रकाशमय हो जाती है। इस पर्व के आने
पर खेतों में खड़ी धान की फसल भी पककर तैयार हो जाती है।
इस पर्व की
विशेषता यह है कि इसके आगे पीछे पांच त्योहारआते हैं। इस वजह से सप्ताह भर उल्लास
व उत्साह का माहौल बनारहता है। दीवावली से पहले धन तेरस आता है। इस दिन मान्यता
है।कि कोई बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए। इसके बाद छोटी दीपावली, फिर दीपावली उसके अगले दिन गोवर्द्धन पूजा तथा
अन्त में भैयादूज का त्यौहार आता है।
दीपावली का महत्व: इस त्यौहार के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी
हुई हैं। इनमें प्रमुख हैं- भगवान विष्णु का नृसिंह का अवतार लेकर
प्रहलाद कीरक्षा करना, समुद्र-मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से लक्ष्मी जी का प्रकट होना। इसके अलावा जैन
मत के तीर्थंकर भगवान महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन हुआ था। इसी दिन भगवान
श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटने व लंका नरेश रावण
पर विजयप्राप्तकर सीता लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। श्री राम केअयोध्या लौटने
पर अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिएअपने घरों को सजाकर व रात्रि में दीपों की
माला जलाई थी। इसी कारण इस त्यौहार का नाम दीपावली पड़ा। दीपावली के दिन ही आचार्य विनोबा भावे, प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ तथास्वामी
दयानन्द जैसे महापुरुषों को इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
दीपावली मनाने का तरीका: दीपावली का त्यौहार बड़े उत्साह के
साथ मनाया जाता है। इस दिन दीप व मोमबत्तियों को जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक
मास की अमावस्या पूर्णिमा की रात में बदल जाती है । इस त्यौहार के आगमन की
प्रतीक्षा हर किसी को होती है । सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही
घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं। वहीं व्यापारी तथा
दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। पहले व्यापारी
लोग अपने नये बही-खाते इसी दिन से शुरूकिया करते थे। इस दिन
बाजारों में मेला सा लगा रहता है। उन्हें तोरणद्वारों तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाया जाता है। मिठाई, गिफ्ट आइटमों की दुकानों के अलावा आतिशवाजीकी
दुकानें खूब सजी होती हैं। खील-बताशों तथा
मिठाइयों की खूब बिक्री होती है।
इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन
होता है। माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी जी का घरों में आगमन होता है।
इस कारण लोग अपने घर के दरवाजों को रात भर खुला रखते हैं। पूजा आदि करने के बाद लोग
अपने इष्ट मित्रों के घरों में जाकर मिठाई तथा उपहार आदि देकर दीपावली की शुभकानाएं
देते हैं। इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों मकान और दुकानों की जाने वाली
सफाई से वातावरण में व्याप्त किटाणु समाप्त हो जाते हैं।
उपसंहार: इसी दिन आतिशबाजी छोड़ने के दौरान
हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएं हो जाती है जिससे धन-जन की हानि होती है। इसकेअलावा कुछ लोग इस दिन शराब पीते हैं तथा जुआ खेलते
हैं जो इसदिन करना उचित नहीं है। इन बुराइयों पर अंकुश लगाने कीआवश्यकता है।
Essay on Diwali in hindi for class 10, 11, 12
भारत को पर्वो-त्योहारों का देश माना जाता है। यहाँ जो अनेक
प्रकार के त्योहार पूरे राष्ट्र में समान रूप से मनाये जाते हैं, दीपावली उनमें से सर्वप्रमुख है । अपने प्रत्यक्ष रूप में दिवाली
ज्योति का पर्व है। अन्धकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। यह ऐसा त्योहार है, जब अन्धकार की छाया में प्रकाश की उपासना की
जाती है। जब घोर तम का चारों ओर आवरण छाया हो तभी प्रकाश की अधिक आवश्यकता होतीहै।
भला अमावस से बढ़कर घनी काली रात और कौन-सी होगी ? अतः उसी दिन दिवाली आती है—प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस की रात्रि को उस
अंधेरी रात में कोटि-कोटि दीपमालिकाएँ जगमगाकर जैसे ललकार-ललकार कर धरती को अन्धकार से मुक्त करती हैं।
त्रेता युग से ही भारत में प्रकाश का यह त्योहार मनाने की परम्परा चली आ रही है।
दीपावली का पौराणिक महत्व: त्रेता युग में जिसकी गौरव-गाथा ने हमारे इतिहास को उज्ज्वल किया, जिसने अपने प्रताप से महाकाल के रथ को भी
मोड़ दिया था, जिसकी दिग्विजय का अश्व कहीं न रुक पाया था
और जिसने सागर से हिमालय तक भारतभूमि को एक सूत्र में बाँधकर एक राष्ट्र का रूप
दिया था, उस राष्ट्रपुरुष राम का अयोध्या में जिस दिन
राज्याभिषेक हुआ था, वह दिवाली का ही दिन था। रामराज्य के रूप में
नये प्रकाश की कामना से अयोध्या ने यह उत्सव उस दिन मनाया था, जब सर्वत्र अमावस्या की अँधियारी छायी हुई थी
। लाखों दीपों ने प्रज्वलित होकर उस घने अन्धकार में भी ज्योति का नवीन सन्देश
दिया था। लंका के अत्याचारी रावण पर विजय प्राप्त करके श्रीराम लौटे थे। उनकी विजय
अधर्म पर धर्म की. असत्य पर सत्य की और अज्ञान पर ज्ञान की विजय
थी। उसी महान् मानवीय विजय को हमेशा साकार किये रहने के लिए सैकड़ों दीपों ने
अन्धकार पर प्रकाश की विजय का उद्घोष किया था। असत्य, अन्याय व अज्ञान के अन्धकार पर प्रकाश की नव
विजय की रेखा अंकित कर दी और मानव की प्रकाश-साधना सफल हो उठी।
उस दिन भी दिवाली थी, जब महाराज युधिष्ठिर ने अपना राजसूय यज्ञ
पूर्ण किया था। वह भी दिवाली का दिन था, जब ऊँच-नीच का भेद मिटाकर समानता का सन्देश देनेवाले
जैन मत के प्रवर्तक महावीर स्वामी का देहावसान हुआ। वह भी दिवाली की रात थीजब
अन्धविश्वास और रूढ़ियों का उन्मूलन करके सत्यार्थ का प्रकाश करने वाले
महर्षिस्वामी दयानन्द ने निर्वाण प्राप्त किया था। फिर दिवाली का ही वह पर्व था, जब पराधीनभारत की सुप्त चेतना को जगाने वाले
स्वामी रामतीर्थ ने अपनी नश्वर देह कात्याग कियाथा। इन समस्त पौराणिक और आधुनिक
ऐतिहासिक स्मृतियों के कारण दिवाली केवल एकमहान् राष्ट्रीय त्योहार ही नहीं, वह त्योहारों का पुण्यतीर्थ भी है।
दीपावली और ऋतु परिवर्तन: इनके अतिरिक्त दिवाली का एक और भी माहात्म्य
है—वह है ऋतु-परिवर्तन ! ठीक इन्हीं दिनों वर्षा ऋतु का अन्त
और शरद ऋतु का आरम्भ होता है। वर्षा ऋतु में अनेक जीव-जन्तु, मच्छर-मक्खियों और कीड़े-मकोड़ों की अधिकता के कारण मलिन हुए घरों
को शरदागमन के समय स्वच्छ करना आवश्यक हो जाता है। अतएव दिवाली से एक मास पहले ही
घरों में सफाई का आन्दोलन आरम्भ हो जाता है। ऊपर-नीचे लिपाई-पुताई की जाती है, तो भीतर-बाहर सफेदी । बन्द पटे वस्त्रों को धप दिखायी जाती हैं, तो घरों में सरसों के तेल के दीपक जलाये जाते
हैं, जिससे कीटाणु और रोगाणु नष्ट हो जाएँ।
दीपावली का दृश्य: कहावत प्रसिद्ध है कि दिवाली के दिन जिस घर में स्वच्छता अधिक होती हैं, उसमें लक्ष्मी प्रवेश करती है। लक्ष्मीसमृद्धि की देवी है। जिस घर में स्वच्छता होगी, उसमें समृद्धि न हो, कैसे सम्भव हो सकता है । अतः लोग होड़ लगाकर अपने घर सजाते-सँवारते हैं और लक्ष्मी के पूजन की तैयारी करते हैं। दुकानें मिठाइयों और खिलौनों से सज जाती हैं। लोग परस्पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करके शुभकामनाएँ प्रकट करते हैं। इससे प्रेम और मिलनसारिता बढ़ती है। बच्चे पटाखे और फुलझड़ियाँ चलाकर हर्ष मनाते हैं ! भारतीय परम्परा के अनुसार इसी दिन व्यापारी लोग अपने हिसाब-किताब की जाँच-पड़ताल करके अगले वर्ष के लिए लाभकी योजनाएँ बनाते और नये बहीखाते आरम्भ करते हैं। इस प्रकार यह त्योहार धार्मिक, सामाजिक, व्यावहारिक, व्यापारिक और आर्थिक आदि सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
सामाजिक बुराइयां: प्रकाश और प्रसन्नता के इस पर्व दिवाली की शुभ्रता के साथ कुछ कृष्णपक्ष भी जुड़ गये हैं। ऐसे पुण्य अवसर पर एक अभागे जुआरी हैं, जो जुए और शराब में अपना धनतथा मान नष्ट करते हैं। सचमुच कितने पातकी हैं वे लोग, जो एक ही दाव में धन्नासेठ बन जाने की कामना से लक्ष्मी के पर्व दिवाली पर अपने दीवालिया हो जाने की भूमिका बाँधते हैं। चारों ओर दीपकों का प्रकाश फैल रहा होता है; पर ऐसे अज्ञानियों के लिए उसका कोई मूल्य नहीं रह जाता। वास्तव में उस प्रकाश का तब तक कोई मूल्य नहीं, जबतक उससे हमारा हृदय भी प्रकाशित न हो उठे। जुआ खेलना प्रकाश नहीं अन्धकार का सर्जक है।
दीपावली का दृश्य: कहावत प्रसिद्ध है कि दिवाली के दिन जिस घर में स्वच्छता अधिक होती हैं, उसमें लक्ष्मी प्रवेश करती है। लक्ष्मीसमृद्धि की देवी है। जिस घर में स्वच्छता होगी, उसमें समृद्धि न हो, कैसे सम्भव हो सकता है । अतः लोग होड़ लगाकर अपने घर सजाते-सँवारते हैं और लक्ष्मी के पूजन की तैयारी करते हैं। दुकानें मिठाइयों और खिलौनों से सज जाती हैं। लोग परस्पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करके शुभकामनाएँ प्रकट करते हैं। इससे प्रेम और मिलनसारिता बढ़ती है। बच्चे पटाखे और फुलझड़ियाँ चलाकर हर्ष मनाते हैं ! भारतीय परम्परा के अनुसार इसी दिन व्यापारी लोग अपने हिसाब-किताब की जाँच-पड़ताल करके अगले वर्ष के लिए लाभकी योजनाएँ बनाते और नये बहीखाते आरम्भ करते हैं। इस प्रकार यह त्योहार धार्मिक, सामाजिक, व्यावहारिक, व्यापारिक और आर्थिक आदि सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
सामाजिक बुराइयां: प्रकाश और प्रसन्नता के इस पर्व दिवाली की शुभ्रता के साथ कुछ कृष्णपक्ष भी जुड़ गये हैं। ऐसे पुण्य अवसर पर एक अभागे जुआरी हैं, जो जुए और शराब में अपना धनतथा मान नष्ट करते हैं। सचमुच कितने पातकी हैं वे लोग, जो एक ही दाव में धन्नासेठ बन जाने की कामना से लक्ष्मी के पर्व दिवाली पर अपने दीवालिया हो जाने की भूमिका बाँधते हैं। चारों ओर दीपकों का प्रकाश फैल रहा होता है; पर ऐसे अज्ञानियों के लिए उसका कोई मूल्य नहीं रह जाता। वास्तव में उस प्रकाश का तब तक कोई मूल्य नहीं, जबतक उससे हमारा हृदय भी प्रकाशित न हो उठे। जुआ खेलना प्रकाश नहीं अन्धकार का सर्जक है।
विदेशों में दीपावली: दीपक जलाकर सभी के लिए प्रकाश की कामना करने
का यह त्योहार भारत में तो लोकप्रिय है ही, भारत से बाहर भी अनेक देशों में मनाया जाता है। नेपाल में यह त्योहार राजकीय
पर्व के रूप में पाँच दिन तक मनाया जाता है, अतः इसे पंचक कहते हैं। वहाँ लक्ष्मी की देवी और प्रतीक गऊ माता मानी जाती हैं, अतः तीसरे दिन उसी का पूजन होता है। दिवाली के
दूसरे दिन वहाँ भी भैयादूज से मिलता-जुलता कार्यक्रम होता है, जिसमें बहनें
भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाइयों और वस्त्रों का उपहार देती हैं। बर्मा
में दिवाली को ‘तंडीजू' कहते हैं। उस दिन वहाँ के लोग दीये जलाते और पटाखे आदि चलातेहैं। स्याम में
दिवाली का त्योहार जलदेवी को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है।
समुद्र-मंथन के समय जल से उत्पन्न मानी जाने के कारण
जलदेवी वस्तुतः हमारी लक्ष्मी माँ ही हैं। लंका में दिवाली पर हाथियों का जुलूस
निकाला जाता है। चीन में दिवाली को‘नाईन हुआ' कहते हैं। वहाँ भी इसे सजावट और लक्ष्मी के
त्योहार के रूप में मनाये जाने की परम्परा रही है। यूरोप के प्रायः सभी देशों में
यह त्योहार 8 फरवरी को गिरजाघरों में दीये जलाकर मनाया जाता
है। इस प्रकार स्पष्ट है कि यह मात्र भारत का ही नहीं, बल्कि एक अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार है। हो भी
क्यों न, जीवन में प्रकाश की कामना किसे नहीं।होती ! उसी कामना की पूर्ति के प्रयत्न का नाम होता
है—दिवाली ।
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