अलेक्जेंडर ड्यूमा की जीवनी। Alexandre Dumas Biography in Hindi. फ्रेंच लेखक अलेक्जेंडर ड्यूमा की स्थायी प्रसिद्धी को उनके ऐतिहासिक उपन्यासों, द थ्री मस्केटीयर्स और द काउंट ऑफ मोंटे क्रिस्टो ने सुनिश्चित किया। उनका जन्म 24 जुलाई, 1802 को हुआ। उन्होंने साहित्य पर अपना सबसे प्रभावी कार्य शुरूआती नाटकों और मुख्य कार्य फ्रेंच रोमांसवाद को परिभाषित करने में किया। उनके व्यक्तित्व की बराबरी केवल समकालीन महान लेखक, जैसे होनॉउ द ब्लैज व विक्तर ह्यूगो ही कर सकते हैं। ड्यूमा की युवावस्था उन्नसवीं सदी की शुरूआत की उथल-पुथल को प्रतिबिंबित करती है। उनके पिता नेपोलियन की सेना में सेनापति थे। 1806 में उनकी मौत ने परिवारको आर्थिक समस्याओं में डाल दिया। ड्यूमा केवल प्रारंभिक शिक्षा ही प्राप्त कर पाये। 1818 में उन्होंने क्लर्क के बतौर काम करना प्रारंभ किया और बाद में ड्यूक ऑफ ओरलियान्स के लिये कार्य करने लगे, जो सम्राट लुईस फिलिप बन गया।
जन्म : 24 जुलाई 1802
मृत्यु : 5 दिसंबर 1870
व्यवसाय : उपन्यासकार
फ्रेंच लेखक
अलेक्जेंडर ड्यूमा की स्थायी प्रसिद्धी को उनके ऐतिहासिक उपन्यासों,
द थ्री मस्केटीयर्स और द काउंट ऑफ मोंटे क्रिस्टो ने सुनिश्चित किया। उनका जन्म
24 जुलाई, 1802 को हुआ। उन्होंने
साहित्य पर अपना सबसे प्रभावी कार्य शुरूआती नाटकों और मुख्य कार्य फ्रेंच
रोमांसवाद को परिभाषित करने में किया। उनके व्यक्तित्व की बराबरी केवल समकालीन
महान लेखक, जैसे होनॉउ द ब्लैज व विक्तर ह्यूगो ही कर
सकते हैं।
ड्यूमा की युवावस्था
उन्नसवीं सदी की शुरूआत की उथल-पुथल को प्रतिबिंबित करती है। उनके
पिता नेपोलियन की सेना में सेनापति थे। 1806 में उनकी मौत
ने परिवारको आर्थिक समस्याओं में डाल दिया। ड्यूमा केवल प्रारंभिक शिक्षा ही
प्राप्त कर पाये। 1818 में उन्होंने क्लर्क के बतौर काम करना प्रारंभ
किया और बाद में ड्यूक ऑफ ओरलियान्स के लिये कार्य करने लगे,
जो सम्राट लुईस फिलिप बन गया।
1820 के दौरान शेक्सपियर
के नटकों और सर वॉल्टर स्कॉट के उपन्यासों पर मोहित हो गये। ड्यूमा की साहित्यिक
शक्ति आकर्षक रूप से इतनी रोमांचक होती थी कि दर्शकों को कथावस्तु के तर्कशास्त्र
को समझने का मौका ही नहीं मिलता था। ल तूर द नेसले (1832)
में रोमांस के सृजनमें अपनी योग्यता दिखाई, उसे उदाहरण के रूप् में प्रस्तुत
किया जाता है। द थ्री मस्केटीयर्स (1844) के प्रकाशन के
साथ वह उपन्यास के चक्र में लग गये। इस चक्र में ट्वंटि ईयर्स ऑफ्टर (1845) और
कहानी द मैन इन द आयरन मॉस्क, विकोमेत सम्मिलित है। द काउंट ऑफ
मोंतें क्रिस्तो (1844) में नेपोलियन काल का वर्णन करता है। वैलोइस उपन्यास
(1845-48) सोलहवीं सदी की पड़ताल करता है।
आधुनिक
विद्वानों ने उनके योगदान को प्रामणिक बताया है। अगर उनका यह दावा कि उन्होंने 1,200 खंड
लिखे हैं अतिशयोक्तिपूर्ण है, तो उनके संपूर्ण कार्य के एक संस्करण
में 301 खंड हैं। उनकी अविरल ऊर्जा का प्रमाण है। यह
ऊर्जा ही उनके पत्रकारीय उद्यम, उनकी अत्यधिक यात्राओं और
उनके रोमांच को गति देते हैं। विवादों और वित्तीय गड़बडि़यों ने उनके अंतिम समय
में उनके लिये मुसीबतें खड़ी कर दीं।
उनकी मृत्यु 5 दिसंबर, 1870 को
हुई।
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