पर्यावरण संरक्षण पर कविता इन हिंदी। Poem on Environment Pollution in Hindi. मित्रो आज के आर्टिकल में पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर कुछ कवितायें प्रकाशित की गयी हैं। यह कवितायें वृक्षारोपण, जल-चक्र , वायु प्रदुषण और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती हैं। इन सभी कविताओं को आप पढ़े और और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दे। पर्यावरण पर कविता ताजगी की चाह में हम घुटते जा रहे हैं, जीवनदायिनी हवा को विषैला बना रहे हैं, भारत का ताज हिमालय समझो इसे देवालय, क्यों हम दानव, हरियाली के देव को सता रहे हैं ? भारत नदियों की धरती जो हमने मटमैली कर दी, क्यों कुदरत की इस जन्नत को दोजख बना रहे हैं ? सुरसा के मुख सी आबादी करें जंगलों की बर्बादी, कैसे नीर की तलाश में पशु-पक्षी छटपटा रहे हैं ?
पर्यावरण संरक्षण पर कविता इन हिंदी। Poem on Environment Pollution in Hindi
मित्रो आज के आर्टिकल में पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर कुछ कवितायें प्रकाशित की गयी हैं। यह कवितायें वृक्षारोपण, जल-चक्र , वायु प्रदुषण और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती हैं। इन सभी कविताओं को आप पढ़े और और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दे।
पर्यावरण पर कविता संख्या-1
ताजगी की चाह में हम घुटते जा रहे हैं
जीवनदायिनी हवा को विषैला बना रहे हैं
भारत का ताज हिमालय समझो इसे देवालय
क्यों हम दानव, हरियाली के देव को सता रहे हैं ?
भारत नदियों की धरती जो हमने मठ मैली कर दी
क्यों कुदरत की इस जन्नत को दोजख बना रहे हैं ?
सुरसा के मुख सी आबादी करें जंगलों की बर्बादी
कैसे नीर की तलाश में पशु-पक्षी छटपटा रहे हैं ?
यह बूटे हवा पानी, नहीं बातें बेमानी
जीवन चक्र यारों, यही तो चला रहे हैं
बूंद-बूंद पानी कल जंग करवाएगा जानी
संभल जाइए क्यों जंग को बुला रहे हैं ?
बैठे हैं जिस चौक पर उसको ही काटते जाएं
प्लास्टिक का कहर चारों ओर फैला रहे हैं
पश्चिम में रहते हम सब हैं यहां असभ्यता दिखाएं
फैशन तो अपनाएं अंधाधुंध, ना सफाई अनुशासन अपना रहे हैं
चाहते हो अगर सलीका बदलो अपना तरीका
क्यों पीढ़ियों को अपनी प्रदूषित विरासत दिए जा रहे हैं ?
आओ सब मिलकर पर्यावरण संपदा को बचाएं
नहीं एहसान किसी पर बचाकर इसको अपनी पीढ़ियां बचा रहे हैं
सुनके पर्यावरण संरक्षण पंछी चाहे पेड़-पौधे मुस्कुराए
सुन लो वतन वालो फिर दिन हमारे आए
आओ हिंदुस्तान को फिर से गुलिस्ता बनाएं
एक नए भारत के आगमन पर एक गीत गा रहे हैं
कविता का श्रेय सम्मानित लेखक को।
पर्यावरण बचाना हैं:कविता संख्या-2
खतरे में हैं वन्य जीव सब। मिलकर इन्हें बचाना हैं।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
पेड़ न काटे बल्कि पेड़ लगाना हैं।
वन हैं बहुत कीमती इन्हें बचाना हैं।
वन देते हैं हमें ओक्सिजन इन में न आग लगाओ।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
जंगल अपने आप उगेंगे, पेड़ फल-फूल बढ़ेंगे।
कोयल कूके मैना गाये, हरियाली फैलाओ।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
पेड़ों पर पशु पक्षी रहते।
पत्ते घास हैं खाते चरते।
घर न इनके कभी उजाड़ो,कभी न इन्हें सताओ।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
कविता का श्रेय सम्मानित लेखक को।
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