बॉबी फिशर की जीवनी। Bobby Fischer Biography in Hindi. बॉबी फिशर का जन्म 9 मार्च 1943 में अमेरिका मे हुआ था। अमेरिका के वह पहले शतरंत खिलाड़ी थे, जिन्होंने 1972 में विश्व चैंपियननशिप जीती थी। तीन साल बाद एक विवाद के चलते फिशर से खिताब छीन लिया गया। बाद में वह एक सनकी व्यक्ति बन गये, जिसने प्रतिस्पर्धात्मक शतरंत खेलने से इंकार कर दिया। रॉबर्ट जैम्स फिशर, जब दूध पीते बच्चे थे, तभी पिता ने उनके परिवार को छोड़ दिया और फिशर का पालन उनकी मां ने किया। 1940 में उनकी मां अपने दोनों बच्चों के साथ न्यूयार्क आ गईं। 6 साल की उम्र में फिशर ने शतरंज सीखना शुरू किया। 13 साल की उम्र में वह अमेरिका के सबसे युवा नेशनल जूनियर चैंपियन बन गये। एक साल बाद 14 साल की उम्र में अमेरिका के ही युवा चैंपियन बन गये। 1958 में फिशर ने अंतर्राष्ट्रीय ग्रैंडमास्टर का स्तर प्राप्त कर लिया। बाद में यह रिकार्ड टूट गया। इसके तुरंत बाद इस युवाने शतरंज में करियर बनाने के लिये स्कूल छोड़ दिया।
बॉबी फिशर की जीवनी। Bobby Fischer Biography in Hindi
रॉबर्ट जैम्स फिशर, जब दूध पीते बच्चे थे, तभी पिता ने उनके परिवार को छोड़ दिया और फिशर का पालन उनकी मां ने किया। 1940 में उनकी मां अपने दोनों बच्चों के साथ न्यूयार्क आ गईं। 6 साल की उम्र में फिशर ने शतरंज सीखना शुरू किया। 13 साल की उम्र में वह अमेरिका के सबसे युवा नेशनल जूनियर चैंपियन बन गये। एक साल बाद 14 साल की उम्र में अमेरिका के ही युवा चैंपियन बन गये। 1958 में फिशर ने अंतर्राष्ट्रीय ग्रैंडमास्टर का स्तर प्राप्त कर लिया। बाद में यह रिकार्ड टूट गया। इसके तुरंत बाद इस युवाने शतरंज में करियर बनाने के लिये स्कूल छोड़ दिया।
फिशर एक गहरी सूझबूझ वाले और शानदार प्रतियोगी के रूप में जाने जाते थे, जिनकी सफलता मुख्यत: साहसी और जवाबी आक्रमणों से निकलती थी। उन्होंने आधुनिक टूर्नामेंट में 1964-65 में यू.एस. चैंपियनशिप में 11 खेलों में 11 जीतें प्राप्तकर चैंपयिनशिप पर कब्जा कर रिकॉर्ड बना लिया। 1968 तक उन्होंने यू.एस. चैंपियनशिप आठ बार जीत ली। 1970-71 की वर्ल्ड चैंपयिनशिप के कैंडिडेट मैचों में फिशर ने लगातार 20 मैच जीते।
1972 में फिशर ने वर्तमान चैंपियन यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स (यूएसएसआर) के बोरिस स्पास्की को आइसलैंड के रेक्जाविक में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में फायनल में हरा दिया। फिशर ने अत्ंयत प्रचारित इस प्रतियोगिता को निर्णायक तरीके से जीत लिया, वह 1940 के दशक के मध्य के बाद पहले गैर-सोवियत खिलाड़ी थे, जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थी। इस जीत ने उन्हें राष्ट्रीय नायक और अत्यंत प्रसिद्ध बना दिया। हालांकि 1975 में वर्ल्ड चेस फेडरेशन ने कारपोव को खिताब से सम्मानित किया और फिशर गुमनामी में खो गये।
1992 में विश्व खिताब जीतने की 20वीं वर्षगांठ पर फिशर पुन: प्रकट हुए, पूर्व युगोस्लाविया में स्पास्सकी के विरुद्ध एक प्रदर्शन मैच खलने के लिये। अमेरिका सरकार के आदेश के बावजूद कि उस क्षेत्र में यात्रा करके संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमोदन का उल्लंघन न करें, फिशर ने खेला और मैच जीत लिया। अमेरिकी अधिकारियों ने फिशर को गिरफ्तार करने के लिये एक वारंट जारी कर दिया। आरोपों से बचने के लिये फिशर कई देशों में रहे। अंत में वह जापान के टोक्यो में बस गये। उन्होंने अपनी स्वंय की लाइन ऑफ चेस क्लॉक का प्रचार-प्रसार किया। इसके साथ ही खेल के भिन्न रूप को, जिसे उन्होंने फिशर रैण्डम चेस का नाम दिया था, स्थापित किया, लेकिन उन्होंने कोई टूर्नामेंट खेलने से मना कर दिया। जिस रेडियो शो को फिशर होस्ट करते थे, उसमें यहूदी लोगों और अमेरिकी सरकार की भर्त्सना करने के कारण फिशर काफी बदनाम हो गये।
2004 में जापान सरकार ने फिशर को जेल में डाल दिया और यह घोषणा की कि वह उसे अमेरिका में निर्वासित कर देगी। अगले साल उन्हें रिहा किया गया, जब आइसलैंड की सरकार ने उन्हें नागरिकता प्रदान कर दी और फिशर वहां चले गये।
उन्होंने स्टुअर्ट मारगुलिइस और डॉन्न मोसेन्फेल्डर के साथ मिलकर 1966 में बॉबी फिशर टीचेस चेस लिखी और 1969 में माई 60 मेमोरेबल गेम्स।
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