जॉर्ज स्टीफेंसन का जीवन परिचय। George Stephenson Biography in Hindi : जार्ज स्टीफेंसन एक स्वनिर्मित मेकेनिकल इंजीनियर थे। उनका सबसे बड़ा योगदान पहली रेलवे लाइन का निर्माण था, जिसके कारण उन्हें ‘रेलवे का पिता’ कहा जाता है। उन्होंने खनिकों के लिये सेफ्टी लैंप की भी खोज की थी। स्टीफेंसन का जन्म 9 जून, 1781 को वायलैम में हुआ था। वह अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। उनके पिता राबर्ट और मां माबेल दोनों ही अशिक्षित थे और उनके पास इतना पैसा भी नहीं था कि जार्ज को स्कूल भेंजे। हालांकि जार्ज को पढ़ने का बहुत शौक था। वह रोजाना शाम को लिखने-पढ़ने और सीखने में बिताता थे। सत्रह साल की उम्र में वह न्यूबर्न की एक कोयले की खान में काम करने के लिये गये। बाद में उन्हें न्यूकैसल क्षेत्र में ब्रैक्समेन की नौकरी मिल गई। एक शानदार इंजीनियर के रूप में उन्होंने प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली और 1811 में किलिंगवोर्थ में हाई पिट में एक पम्पिंग इंजन फिट करके उन्होंने सबको प्रभावित कर दिया।
नाम : जार्ज स्टीफेंसन
देश : ब्रिटेन :
जन्म : 9 जून,
1781
मृत्यु : 12 अगस्त,
1848
उपलब्धि : रेलवे लाइन का निर्माण
जार्ज स्टीफेंसन एक स्वनिर्मित मेकेनिकल इंजीनियर थे। उनका सबसे बड़ा योगदान पहली रेलवे लाइन का निर्माण था, जिसके कारण उन्हें ‘रेलवे का पिता’ कहा जाता है। उन्होंने खनिकों के लिये सेफ्टी लैंप की भी खोज की थी।
स्टीफेंसन का जन्म 9 जून, 1781 को वायलैम में हुआ था। वह अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। उनके पिता राबर्ट और मां माबेल दोनों ही अशिक्षित थे और उनके पास इतना पैसा भी नहीं था कि जार्ज को स्कूल भेंजे। हालांकि जार्ज को पढ़ने का बहुत शौक था। वह रोजाना शाम को लिखने-पढ़ने और सीखने में बिताता थे।
सत्रह साल की उम्र में वह न्यूबर्न की एक कोयले की खान में काम करने के लिये गये। बाद में उन्हें न्यूकैसल क्षेत्र में ब्रैक्समेन की नौकरी मिल गई। एक शानदार इंजीनियर के रूप में उन्होंने प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली और 1811 में किलिंगवोर्थ में हाई पिट में एक पम्पिंग इंजन फिट करके उन्होंने सबको प्रभावित कर दिया। वह स्टीम-ड्राइवन इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ बन गये। उनका ज्ञान विशेष रूप से व्यावहारिक था। उन्होंने सैद्धांतिक विज्ञान को पढ़कर सीखने के बजाय प्रयास किये, गलतियां कीं और सीखा।
उनकी इच्छा-शक्ति ने उन्हें 1818 में खनिकों के लिये लैंप बनाने के लिये प्रेरित किया। रॉयल सोसायटी ने इस लैंप के लिये उन्हें बहुत बड़ा सम्मान प्रदान किया। स्टीफेंसन ने सैफ्टी लैंप के अपने संस्करण का उसी समय आविष्कार किया, जब सर हम्फ्री डैवी ने। डैवी को विश्वास था कि स्टीफेंसन ने उनके विचार की नकल की है। हालांकि यह कभी साबित नहीं हुआ। डैवी को विश्वास नहीं था कि एक अशिक्षित खनिक बिना विज्ञान के लैंप विकसित कर सकती है।
जार्ज ने कहा, वह सिद्धांत जिन पर संभवत: सैफ्टी लैंप की रचना हुई है। मैंने उसके बारे में कई लोगों को बताया था, उससे बहुत पहले, जब सर हम्फ्रे डैवी देश के इस भाग में आये। इस तरह के लैंप की योजना को कुछ लोगों ने देखा और लैंप खुद निर्माताओं के हाथ में था, जिस समय वह यहां आये। एक स्थानीय जांच ने स्टीफेंसन को दोष-मुक्त कर दिया। उनका लैम्प उत्तर-पूर्व में उपयोग किया गया और डैवी का देश के बाकी क्षेत्रों में। 1833 में हाउस ऑफ कामंस कमेट ने पाया, स्टीफेंसन का भी लैम्प के आविष्कार में बराबर का योगदान है।
जार्ज पहले थे, जिन्होंने वास्तविक स्टीम इंजन डिजाइन किया (1804 में इसका श्रेय रिचर्ड ट्रेविथिक को जाता है)। स्टीफेंसन ने इसमें कई सुधार किये और इसे अधिक शक्तिशाली बनाया। 1814 में उन्होंने अपना पहला इंजन विकसित किया, ब्लूचर। 1820 में स्टीफेंसन ने पहली रेलवे बनाई, हेट्टन कोलियारी से सुंदरलैंड तक, जो भाप से चलती थीं। इसके बाद 1825 में स्टॉकहोम-डर्लिंग्टन रेलवे आई। यह 25 मील की रेलवे भाप से चलने वाली रेल का एक महत्वपूर्ण विकास था।
एक और अधिक महत्वकांक्षी योजना लिवरपूल और मैनचेस्टर को जोड़ने वाली आगे बढ़ाई गयी। उम्मीद जागी कि अब मैनचेस्टर में बनने वाली कपड़ों को लिवरपूल के बंदरगाह तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। शुरू में संसद ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी और निर्माण का कार्यभार स्टीफेंसन का कार्यभार स्टीफेंसन को सौंपा गया। प्रारंभ में स्टीफेंसन ने रेलवे को जितना संभव हो सके, समतल रखने का प्रयास किया। नई लाइन के लिये कई पुलों और सुरंगों की आवश्यकता पड़ी। उन्हें अत्यधिक चतुराई से काम करना था, ताकि रेलवे को चैट मॉस (एक दलदली क्षेत्र) के ऊपर से निकाला जा सके। 1830 को लाइन पूरी हो गई, एल एंड एमआर (लिवरपूल और मैनचेस्टर रेलवे)। इसका उद्घाटन बड़े उत्साह से हुआ।
मेनचेस्टर और लीवरपूल के बीच डबल ट्रैक लाइन के कारण महान रेलवे का युग प्रारंभ हुआ। इसने पहले ब्रिटेन में, फिर सारे विश्व में यातायात को आसान कर दिया। रेलवे नये औद्योगिक युग का एक अभिन्न अंग बन गई। रेलवे के निर्माण के लिये स्टीफेंसन के पास प्रस्तावों की बाढ़ आ गई। उनकी प्रतिष्ठा बहुत ऊंची थी। वह रेलवे के निर्माण में अत्यधिक सतर्क रहते थे और बहुत कम ही प्रस्ताव स्वीकारते थे।
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