सूचना प्रौद्योगिकी का भारत पर प्रभाव पर निबंध : सूचना प्रौद्योगिकी ने भारत के हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। यह प्रभाव इतने कम समय में और इतनी तेजी बढ़ा है, कि इसे सूचना क्रांति की संज्ञा दी गयी है। भारत की हरित क्रांति, श्वेत क्रांति के पश्चात सूचना क्रांति ही ऐसी है जिसे अत्यधिक या यों कहा जाए आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। सूचना प्रौद्योगिकी का सर्वाधिक प्रभाव संचार क्षेत्र में हुआ है। इस क्षेत्र में टेलीफोन, मोबाइल, पेजर, इंटरनेट ने तो सभी प्रकार की दूरियां समाप्त कर दी हैं और व्यक्ति को एक-दूसरे के काफी करीब ला दिया। कह सकते हैं कि दुनिया मुट्ठी में आ गयी है। परम्परागत रूप से उन क्षेत्रों में जहां सूचना पहुंचते-पहुंचते इतनी देर हो जाती थी कि उसका महत्व ही समाप्त हो जाता था या फिर पहुंच ही नहीं सकती थी। सूचना प्रौद्योगिकी में उन सभी स्थानों की आपस में इस प्रकार जोड़ दिया है जैसे वे स्थान बिल्कुल पास में हों।
सूचना प्रौद्योगिकी की
जब भी चर्चा होती है हमारे मन में एक अजीब-सा कौतुहल उत्पन्न हो जाता है,
आंखों के सामने संपूर्ण विश्व की तस्वीर उभर आती है। लगता है कि विभिन्न देशों
के मध्य दूरियां समाप्त हो गयीं और पृथ्वी हमारी मुट्ठी में समा गयी हो। लगभग एक दशक पूर्व क्या कोई
यह सोच सकता था कि अमेरिका के न्यूयार्क शहर में किस अस्पताल में बैठा कोई डाक्टर
भारत के अपोलो अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे किसी मरीज का इलाज कर
सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी ने भारत के हर
क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। यह
प्रभाव इतने कम समय में और इतनी तेजी बढ़ा है, कि इसे सूचना क्रांति
की संज्ञा दी गयी है। भारत की हरित क्रांति, श्वेत क्रांति के पश्चात सूचना क्रांति ही
ऐसी है जिसे अत्यधिक या यों कहा जाए आशातीत सफलता प्राप्त हुई है।
सूचना प्रौद्योगिकी का
सर्वाधिक प्रभाव संचार क्षेत्र में हुआ है। इस क्षेत्र में टेलीफोन,
मोबाइल, पेजर, इंटरनेट ने तो सभी प्रकार की दूरियां समाप्त
कर दी हैं और व्यक्ति को एक-दूसरे के काफी करीब ला दिया। कह सकते हैं कि दुनिया
मुट्ठी में आ गयी है। परम्परागत रूप से उन क्षेत्रों में जहां सूचना
पहुंचते-पहुंचते इतनी देर हो जाती थी कि उसका महत्व ही समाप्त हो जाता था या फिर
पहुंच ही नहीं सकती थी। सूचना प्रौद्योगिकी में उन सभी स्थानों की आपस में इस
प्रकार जोड़ दिया है जैसे वे स्थान बिल्कुल पास में हों। फइबर ऑप्टिक्स के
प्रयोग ने सूचनाओं के प्रवाह की गति को तीव्र किया है और साथ ही बिना बाधाके
संपर्क बनाने में महती भूमिका निभायी है। सूचना प्रौद्योगिकी ने न केवल सभी
क्षेत्रों तक सूचना की पहुंच को आसान बनाया है बल्कि सस्ती दर होने के कारण भारत
जैसे देश की गरीब जनता तक इसे सुलभ बनाया है।
सूचना प्रौद्योगिकी ने
शिक्षा को आसान एवं रोचक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इंटरनेट के माध्यम
से घर बैठे जापान, ब्रिटेन आदि देशों के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों
में पढ़ाई करके डिग्रियां प्राप्त की जा सकती हैं, वह भी नाममात्र फीस
अदा करके। पहले इसके लिए हजारों किमी. का सफर तय करना पड़ता था और लाखों डालर खर्च
करने पड़ते थे। इंटरनेट पर अनेक वेबसाइट मौजूद हैं जो अपने उपभोक्ताओं को
ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध करा रही हैं। विद्यार्थी रोजगार संबंधी जानकारी,
फार्म भरना, प्रवेश पत्र प्राप्त करना,
परीक्षा देने जैसे कई कार्य इंटरनेट के माध्यम से कर सकता है ऑनलाइन लाइब्रेरी के
आने से व्यक्ति घर बैठे विश्व प्रसिद्ध लाइब्रेरी में रखी किताबों को पढ़ सकता
है और उनमें संग्रहीत जानकारियों की प्रिंट आउट निकाल सकता है। लगभग सभी पेपर एवं
मैग्जीन इंटरनेट पर उपलब्ध हो रहे हैं। सम्भावना यह भी है कि भविष्य में कंप्यूटर
स्वयं ही किताबों को पढ़कर सूचनाएं देने लगे और हमें पढ़ने की आवश्यकता ही न
पड़े। भारत सरकार ने विद्यावाहिनी योजना के माध्यम से इस दिशा में कदम उठाया है
आगे योजना यह भी है कि देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के आपस में जोड़ दिया जाए।
इन विश्वविद्यालयों को लाइब्रेरियों से भी जोड़ने की योजना है।
सूचना प्रौद्योगिकी ने
मनोरंजन के क्ष्ोत्र में भी नये द्वार खोल दिये हैं। सीडी ने इस दिशा में दर्शकों
के लिए मनोरंजन के सस्ते और गुणवत्तापूर्ण यंत्र उपलब्ध कराएहैं। डिजिटल चित्र
और आवाज दर्शकों को अपनी ओर खींच ही लेते हैं। इससे चित्र बिल्कुल साफ एवं आवाज
बिना किसी बाधा के स्पष्ट सुनायी पड़ती है। कंप्यूटर के द्वारा अनेक काल्पनिक
घटनाओं को यथार्थ-सा रूप दिया जा सकता है। इसके द्वारा रंगों का ऐसा मिश्रण तैयार
कर दिया जाता है जिससे तस्वीर में सजीवता आ जाती है। आभासी वास्तविकता हमें एक
ऐसी दुनिया में ले जाती है जहां हम उन सब घटनाओं को वास्तविक समझने लगे हैं जो
वास्तव में नहीं होती हैं। संभावनाएं ऐसी बन रही हैं कि फिल्मों की शूटिंग के
लिए जो विभिन्न स्थानों पर जाना पड़ता है वहां नहीं जाना पड़ेगा और इसकी कमी
कंप्यूटर पूरा कर देगा।
सूचना प्रौद्योगिकी का
प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यधिक हो रहा है। इसके द्वारा शरीरके अंदरकी व्याधियों
को आसानी से कंप्यूटर की सहायता से जाँचा जा सकता है। परिणामस्वरूप उसके इलाज
में लगने वाला समय और धन की बचत हो रही है तथा साथ ही मरीज को होने वाले असीम कष्टों
से छुटकारा प्राप्त हो रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में टेलीमेडिसिन एवं
टेलीप्रीजेन्स तकनीक अभी नवीन है किन्तु इसका तीव्र गति से विस्तार हो रहा है।
इसके माध्यम से सुदूर बैठा डॉक्टर मरीज की देखभाल कर सकता है,
उसके शरीर की जांच कर सकता है, दवाई की सलाह दे सकता है और यहां तक कि ऑपरेशन
भी कर सकता है। अभी भारत के बड़े अस्पतालों में ही यह सुविधा उपलब्ध है और सरकार
की योजना है कि भविष्य में सभी जिला चिकित्सालयों को राज्य की राजधानियों एवं
केंद्र में स्थित अस्पतालों को आपस में जोड़ा जाए। इंटरनेट के माध्यम से ही
चिकित्सा के क्षेत्र में होने वाली नवीन जानकारियों को शीघ्र ही प्राप्त किया जा
सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी का
अंतरिक्ष एवं मौसम में भी उपयोग हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग
उपग्रहों में किया जाता है जिससे अंतरिक्ष तथा अन्य ग्रहों के संबंध में जानकारी
प्राप्त कर सके। भविष्य में वहां जीवन की कितनी संभावनाएं हैं तथा संसाधनों की
क्या स्थिति है। पृथ्वी पर मौजूद तेल एवं खनिज संसाधन,
वन, प्राकृतिक गैस नगरों के लिए नियोजन,
कृषि उर्वरता और समुद्र के अंदर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी में लगे
संवेदक यंत्रों एवं कैमरों से हो जाती है और इस जानकारी से पृथ्वी पर मौजूद अंतरिक्ष
स्टेशन को दिया जाता है। जिसके बाद इसकी व्याख्या करके वास्तविकता का पता
लगाया जाता है। इन आंकड़ो की व्याख्या करने में कंप्यूटरों एवं सुपर कम्प्यूटरों
का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार मौसम संबंधी विभिन्न प्रकार की जानकारी एवं
मनोरंजन कार्यक्रमों का प्रसारण भी उपग्रहों के सहयोग से होता है। भारत में इस
दिशा में अग्रणी कार्य किया गया है। अगे की योजना यह है कि विशेष क्षेत्रों के लिए
विशेष उपग्रहों को छोड़ा जाए तथा विशिष्ट जानकारियां प्राप्त की जाएं।
सूचना संवेदकों का
रक्षा के क्षेत्र में भी उपयोग है। मिसाइल की कार्य प्रणाली,
राकेट की दिशा एवं दिशा भी कंम्प्यूटर से ही निर्धारित की जाती है। इस क्षेत्र
में सुपर कम्प्यूटर की महती भूमिका है। रॉकेट तथा हवाई यानों में लगे संवेदक
दुश्मन की गतिविधियों से अवगत कराते हैं तथा आंकड़ों को भेजतेहैं। जीपीएस प्रणाली
वायुयानों एवं मिसाइलों की दिशा निर्धारित करता है। रक्षा एवं परमाणु क्षेत्र में
होने वाले अनुसांधानों में भी कंम्प्यूटरोंका अत्यधिक महत्व है। यहां तो एक
सेकेण्ड की गणना महत्वपूर्ण होती है और जरा-सी चूक होने की स्थिति में व्यापक
दुर्घटनाएं घट सकती हैं। भविष्य में इसमें और भी प्रगति होने की सम्भावनाएं हैं।
पिछले कुछ वर्षों में
अर्थव्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी का अत्यधिक उपयोग किया जाने लगा है। इस
क्षेत्र में ई-कामर्स अत्यधिक महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। ई-कामर्स के अंतर्गत
अपने उत्पादों की बिक्री की जा सकती है और बाजार में मौजूद सामान की घर बैठे,
खरीदारी की जा सकती है। इसके लिए इंटरनेट के माध्यम से उत्पादों के लिए आदेश
दिया जा सकता है और भुगतान भी किया जा सकता है। इस दिशामें वी टू वी,
वी टू जी इत्यादि शब्दावलियां अत्यधिक प्रचलित होती जा रही हैं। भारत सरकार ने
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम पारित करके ‘ई-कॉमर्स’ तथा डिजिटल हस्ताक्षर को मान्यता प्रदान कर
दी है। अब इस प्रकार के कारोबार को वैधानिक घोषित किया गया है। इस माध्यम से
सामान की खरीद-बिक्री के लिए क्रेडिट कार्ड, एटीएम कार्ड आदि का इस्तेमाल किया जाताहहै।
सम्प्रति अनेक विपणन कंपनियां इंटरनेट पर अपने उत्पादों का व्यापक प्रचार कर
रही हैं। हजारों वेबसाइट बनी हैं जो कामर्शियल व्यापार करतीहैं। ये कंपनियां
उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए टीवी तथा अन्य संचार माध्यमों के द्वारा उपभोक्ताओं
तक सीधे अपनी पहुंच बना रही हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी का
प्रशासन में प्रयोग अभी नया है किन्तु टेलीफोन के रूप में इसका प्रयोग काफी पहले
से हो रहा है। प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को ई प्रशासन की संज्ञा
दी जाती है। इसके तहत टेलीफोन, मोबाइल, पेजर, फैक्स मशीन, ई-मेल,
इंटरनेट व कम्प्यूटर आदि का प्रयोग प्रशासन संबंधी कार्यों में किया जाता है।
ई-प्रशासन के द्वारा कागजी कार्य कम होते है। कार्य शीघ्र निस्तारित होतेहैं।
बिचौलियों की भूमिका कम होती है। प्रशासन और जनता के मध्य दूरी कम हो जाती है।
जनता को रोजमर्रा के कार्यों के लिए सैकड़ों किमी. दूरी तय करके शासकीय कार्यालयों
का चक्कर नहीं लगाना पड़ता। प्रशासन में बचत को बढ़ावा मिलता है,
उच्चाधिकारी और अधीनस्थों के मध्य संबंध अच्छे बनते है। संक्षेप में SMART प्रशासन की अवधारणा साकार होती है।
भारत में केंद्र सरकार
लगभग सभी विभागों में व्यापक पैमाने पर सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर रही है।
रेलवे, वीसा, बैंकिंग, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम कंपनियां
आदि लगभग पूर्णतया कम्प्यूटरीकृत हो गयी हैं। ई-प्रशासन को बढ़ावा देने के
विभिन्न भारत सरकार ने वर्ष 2001 को ई-प्रशासन वर्ष घोषित किया था। राज्यों के
स्तर पर भी ई-प्रशासन को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। आंध्र प्रदेश के बाद
जम्मू-कश्मीर दूसरा ई-प्रशासित राज्य बन गया है। विभिन्न राज्यों की सरकारों
ने जनतातक प्रशासन की पहुंच आसान बनाने के विभिन्न अनेक योजनाएं प्रारंभ की हैं
यथा- म.प्र. ज्ञानदूत योजना।
राज्यों द्वारा बिजली
का बिल, राशन कार्ड, खेतौनी कार्ड,
कई प्रकार के फार्म का इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इंटरनेट के
माध्यम से कृषि संबंधी अनेक जानकारियां उपलब्ध करायी जा रही हैं। कृषकों को उनके
उपज का सही दाम मिल सके इसके लिए उन्हें बाजार भाव से अवगत कराने का कार्य
इंटरनेट से किया जा रहा है। रेलवे, बीमा, बैंक को इंटरनेट से जोड़कर संपूर्ण देश में
एकसमान सेवाएं दी जा रही हैं। अब कहीं से रेल आरक्षण,
विमान आरक्षण, कराया जा सकता है। एटीएम कार्ड के द्वारा देश
के किसी भी कोने में पैसा जमा या निकाला जा सकता है। इस दिशामें सरकार द्वारा
अनवरत रूप से प्रयास जारी हैं और भविष्य में इसमें विस्तार ही होना है।
सूचना प्रौद्योगिकी के
भारत पर पड़ने वाले इन सकारात्मक प्रभावाअें के साथ कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने
में आ रहा हैं। इनमें सबसे प्रमुख तो यही है कि भारत के सभी लोग अभी इसका लाभ नहीं
उठा पा रहे हैं। भारत में 25 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं साथ ही पूरी आबादी का 70
प्रतिशत के लगभग गावों में रहते हैं। निरक्षर तथा गावोंमें रहने वाले लोग सूचना
प्रौद्योगिकी के संपूर्ण प्रभावों से लगभग अछूते हैं। उनके लिए सूचना प्रौद्योगिकी
के संपूर्ण प्रभावों से लगभग अछूते हैं। उनके लिए सूचना प्रौद्योगिकी का यदि कुछ
है भी तो वह मोबाइल और टेलीफोन ही है। इंटरनेट से आधी से अधिक आबादी अनभिज्ञ है और
जो लोग इससे भिज्ञ भी हैं उनमें बहुत कम ही लोग इसका प्रयोग करके इससे लाभ उठा पा
रहे हैं।एक आकलन के अनुसार भारतमे संपूर्ण जनसंख्या का एक प्रतिशत से कम आबादी ही
इंटरनेट का प्रयोग करती है जो करती भी है वह शहर में निवास करती है। इस प्रकार
डिजिटल डिवाइड की नयी अवधारणा उभर कर आयी है।
वर्तमान में बढ़ रहा
साइबर क्राइम भी सूचना प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभावों की ओर हमारा ध्यान
आकर्षित करता है। साइबर क्रइम के अंतर्गत आंकड़ों की चोरी,
आंकड़ों को तोड़ना-मोड़ना (जिसे हैकिंग एवं बैकिंग कहा जाता है),
इंटरनेट पर अश्लीलता दिखाना, वायरस का प्रवेश कराना तथा बैंक एवं बीमा
कंपनियों के साथ धोखाधड़ी करके धन का गबन करना आदि आते हैं। आये दिन यह खबर आती है
कि किसी संस्थान के कम्प्यूटर में अनाधिकृत प्रवेश करके आंकड़ों की चोरीकर ली
गयी या उसके आंकड़ों से छेड़छोड़ की गयी। अभी हाल के दिनों में इंटरनेट पर बढ़ रही
अश्लीलता इसके दुष्प्रभाव की कहानी बताती है। मध्य प्रदेश,
राजस्थान तथा दिल्ली के अनेक साइबर कैफे में पुलिस ने छापा मारकर अवैधानिक सेक्स
कार्यों में रत युवाओं को गिरफ्तार किया। दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक छात्रा का
अश्लील सीडी बनाना और उसमें एक महत्वपूर्ण कंपनी के सीईओ का संलिप्त रहना
इंटरनेट का दुरूपयोग ही कहा जाएगा। इंटरनेट पर किसी लड़की के मेल पते पर अश्लील
संदेश भेजना या उससे ब्लैक मेल करना आज आम बात होती जा रही है।
हालांकि भारत सरकार ने
इंटरनेट पर हो रहे अपराधों को रोकने के विभिन्न सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000
बनाया है किंतु यह पूर्णतया सफल नहीं हो पाया है। इसका एक कारण यह भी है कि
इंटरनेट अपराधी किसी एक स्थान पर नहीं हो पाये जाते दूसरे,
ऐसे अपराध करने वाले लोग अधिक बुद्धिमान या इस क्षेत्र के ज्ञाता होते हैं और वे
इस प्रकार इन गतिविधियों को अंजाम देते हैं कि इन्हें पता लगा पाना लगभग असंभव
होता हैं। फिर भी सरकार द्वारा हाल ही में इस दिशा में की गयी कार्यवाही प्रंशसनीय
है।
अतत: कहा जा सकता है कि
सूचना प्रौद्योगिकी वर्तमान युग की आवश्यकता बन गयी है। इसे जीवन का एक हिस्सा
घोषित कर दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसने भारतके प्रत्येक क्षेत्र को
और प्रत्येक वर्ग को अनाधिक प्रभावित किया है। हालांकि इसके कुछ नकारात्मक
प्रभाव भी देखने में आए हैं किंतु यह इसके लाभों के मुकाबले नगण्य ही है। फिर भी
कोशिश यह होनी चाहिए कि इसके दुष्प्रभावों को कम किया जाए तथा इसका अधिक से अलग
लाभ आम जनता तक पहुंचाए जाए तभी भारत को 2020 तक एक विकसित देश की श्रेणी मे खड़ा
किया जा सकेगा।
Admin

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