अनुशासन ही सफलता की कुंजी है निबंध। Anushasan hi Safalta ki Kunji : अनुशासन के द्वारा व्यक्ति अपने लक्ष्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को दूसरों के लिए प्रेरणाप्रद बना सकता है, किंतु अनुशासन सदैव सकारात्मक एवं परहित से संबधित हो तभी यह प्रेरणा का स्त्रोत बन सकता है जैसे एक छात्र का जीवन, यदि वह अनुशासन का पालन अर्थात उसके हित में निश्चित किये गये कुछ नियमों का पालन करे तो अपने ज्ञान में सर्वोच्च ज्ञानी, छात्रों में श्रेष्ठ छात्र बन जाता है। अनुशासन का पालन जीवन को सरल एवं संयमी रूप से जीने की शिक्षा देता है। एक फौजी लगातार प्रयास करता है अपने जीवन को नियमों के अनूकूल व्यतीत करता है, जो कि उसे उसके कर्तव्यपालन के लिए निरंतर उत्साहित एवं अभिप्रेरित करता रहता है।
अनुशासन ही सफलता की कुंजी है निबंध। Anushasan hi Safalta ki Kunji
अनुशासन के द्वारा व्यक्ति
अपने लक्ष्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को दूसरों के लिए
प्रेरणाप्रद बना सकता है, किंतु अनुशासन सदैव सकारात्मक एवं परहित से
संबधित हो तभी यह प्रेरणा का स्त्रोत बन सकता है जैसे एक छात्र का जीवन,
यदि वह अनुशासन का पालन अर्थात उसके हित में निश्चित किये गये कुछ नियमों का पालन
करे तो अपने ज्ञान में सर्वोच्च ज्ञानी, छात्रों में श्रेष्ठ छात्र बन जाता है।
अनुशासन का पालन जीवन को सरल एवं संयमी रूप से जीने की शिक्षा देता है। एक फौजी
लगातार प्रयास करता है अपने जीवन को नियमों के अनूकूल व्यतीत करता है,
जो कि उसे उसके कर्तव्यपालन के लिए निरंतर उत्साहित एवं अभिप्रेरित करता रहता
है।
अनुशासन का अर्थ है
“किसी कार्य अथवा जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए बनाये गये नियमों व कानूनों का
पालन करना एवं पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों व कर्तव्यों का निर्वहन करना
अनुशासन कहलाता है। समाज द्वारा अथवा संस्था द्वारा बनाये गये नियमों का पालन उस
समाज अथवा संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जाता है तो यह अनुशासन
कहलाता है, अनुशासन का अर्थ व्यापक रूप में समझा जा सकता
है यदि किसी देश का नागरिक किसी दूसरे देश में प्रवेश करना चाहे तो वह बिना वहां
के नियमों का पालन करे, उस देश के भीतर प्रवेश नहीं पा सकता है,
इसी प्रकार वह अपने देश में भी बिना नियमों का पालन किये स्वंतत्रतापूर्वक नहीं
रह सकता। यदि वह नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे दंड दिया जाता है और उस पर
विद्रोही का अपराध लगाया जाता है। अत: अनुशासन मात्र किसी व्यक्ति या लोगों के
समूह ही नहीं वरन संपूर्ण राज्य, राष्ट्र अथवा विश्व के हित में आवश्यक है जब
इस प्रकार से नागरिक देश में अनुशासन नहीं करते अथवा किसी अन्य देश में जाकर
विद्रोह करते हैं तो यह घोर अराजकता का कारण बन जाता है और देशवासियों के लिए
अहितकारी होता है, जब यह विद्रोह सकारात्मक ढंग से किया जाए,
इस उद्देश्य से किया जाए जिससे कि संपूर्ण देश, राज्य का लाभ हो
इसमें तो यह अनुशासन विहीनता अधिक उपयोगी और अराजकतापूर्ण नहीं होगी। इस प्रकार की
अनुशासनहीनता का परिणाम ही इग्लैंड में हुयी क्रांति,
यूरोप में पुनर्जागरण और भारतीयों को ब्रिटिश राज्य से राज्य से मुक्ति मिल
पायी और स्वंतत्रता से स्वयत्तता प्राप्त हो सकी। अराजकता किसी देश में व्याप्त
नहीं होती बल्कि उसे देश नागरिक जो कुण्ठा से ग्रसित हैं और जिनकी मानसिकता में
शेष है वे ही इसे विद्रोह और घटनाओं में परिणित करते हैं।
वर्तमान समय में घटित
हो रही आतंकी घटनायें जिनमें भारत का मुम्बई हमला, पाकिस्तान में हुई
पेशावर की दुर्घटना और पेरिस में एक पत्रिका संबंधी संपादकों की निर्मम हत्या इसी
प्रकार की अराजकता का उदाहरण है। कुछ घटनाओं का संचालन अनायास किया जाता है जैसे
आपसी वाद-विवाद के चलते उसे आक्रमकता का रूप देकर कोई गलत अथवा हिंसक कार्य कर
लेना, किन्तु राष्ट्र स्तरीय अथवा अंतरराष्ट्रीयस्तर की
घटनाओं को परिवर्तित करने हेतु बड़े-बड़े संगठन कार्यरत रहते हैं तथा इन संगठनों
में नियमों का पालन करने वाले सहयोगी भी अनुशासन का ही प्रमाण देते हैं जिसके
परिणामस्वरूप इस प्रकार की घटनाओं का निष्पादन करने में वे सफल हो जाते हैं।
इतनी कड़ी सुरक्षा एवं सावधानियों के बावजूद भी, इस प्रकार अनुशासन
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का हिस्सा होता है जिसके पालन से ही सफलता प्राप्त
की जा सकती है, चाहे इसका उद्देश्य परोपकारी हो या विनाशकारी।
अनुशासन विहीनता के
द्वारा मात्र विनाश का रास्ता ही खुलता है। जिस प्रकार आंतकी दुर्घटनाओं को अंजाम
देते हैं ठीक इसी प्रकार वे स्वयं को सदैव असुरक्षित भी पाते हैं। वे एक सामान्य
व्यक्ति का जीवन नहीं व्यतीत कर पाते क्योंकि उन्हें उनके नियमों का उल्लंघन
करने की सीमा का ज्ञान होता है और उसके परिणामस्वरूप मिलने वाली भेंट से भी अवगत
होते हैं। यदि छात्र वर्ष भर अपनी शिक्षा पर ध्यान नहीं देता तो उसे उसका परीक्षा
परिणाम का ज्ञान होता ही है, अनुशासन का पालन व्यक्ति को यदि सफलता के
चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है तो यह भी परम सत्य है कि इसके अभाव में उसका पतन भी
निश्चित है, नियम क्योंकि समाज में ही गठित किये जाते हैं
और समयानुकूल होते हैं तो इनका पालन भी अधिकाधिक होता है,
यदि किसी व्यक्ति को यह कहा जाए कि वह स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व जो नियम
प्रचलित ये उनके अनुसार ही जीवन व्यतीत करे तो शायद यह उसके लिए असंभव और
अहितकारी ही सिद्ध होगा। नियम व कानून समायानुकूल संशोधित किये जाते रहने के कारण
ही उनका समुचित राज्य, राष्ट्र अथवा विश्व द्वारा पालन किया जाता
रहता है, अन्यथा इनमें बदलाव न करने की स्थिति पतन और
गड्ढे में गिराने वाली ही सिद्ध होगी अत: विकसित और रूप में संचालित जीवन हेतु
अनुशासन का पालन आवश्यक है।
Sankeet bindu should be there....so that students can learn easily
ReplyDelete