3 दिसम्बर विश्व विकलांग दिवस पर निबंध : विकलांगता का अभिशाप प्रकृति ने प्रत्येक राष्ट्र को दिया है। यह अलग बात है कि श्राप का प्रभाव विकसित राष्ट्रों में कम पढ़ा हो और विकासशील राष्ट्रों में अधिक। इसलिए यह विश्व समस्या है। विश्व समस्या होने के नाते संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस श्राप से मुक्ति अपना दायित्व समझा और प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। इसलिए विकलांगता के प्रति चिंतन मनन का दिन है 3 दिसंबर। विकलांगता या अंग-विकृति जन्मतः भी होती है, कोई दुर्घटना भी अंग भंग का कारण बन सकती है और कभी-कभी समाजविरोधी तत्व भी बच्चों को विकलांग बना देते हैं- जैसे बच्चों से भीख मंगवाने के लिए उनकी आंख फोड़ दी जाती है। अज्ञानता, अंधविश्वास तथा गरीबी भी अपंगता का कारण है। स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा या ठीक-ठीक उपचार करने की असमर्थता विकलांगता में वृद्धि करते हैं।
विकलांगता का अभिशाप प्रकृति ने प्रत्येक
राष्ट्र को दिया है। यह अलग बात है कि श्राप का प्रभाव विकसित राष्ट्रों में कम
पढ़ा हो और विकासशील राष्ट्रों में अधिक। इसलिए यह विश्व समस्या है। विश्व समस्या
होने के नाते संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस श्राप से मुक्ति अपना दायित्व समझा और
प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को विश्व
विकलांग दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। इसलिए विकलांगता के प्रति चिंतन मनन का
दिन है 3 दिसंबर।
12 दिसंबर 1995
को संसद में पारित विकलांग की परिभाषा के अनुसार विकलांगता का अर्थ नेत्रहीन,
अल्प दृष्टि, कुष्ठ रोग युक्त, श्रवण दोष, चलन, अपंगता,
मानसिक मंदता तथा मानसिक रोग है। विकलांग व्यक्ति को किसी चिकित्सा प्राधिकारी
द्वारा प्रमाणित किया जाए कि वह 40%
से कम विकलांग नहीं है।
विकलांगता या अंग-विकृति जन्मतः भी होती
है, कोई दुर्घटना भी अंग भंग का कारण बन सकती है और कभी-कभी समाजविरोधी तत्व भी
बच्चों को विकलांग बना देते हैं- जैसे बच्चों से भीख मंगवाने के लिए उनकी आंख फोड़
दी जाती है। अज्ञानता, अंधविश्वास तथा गरीबी भी अपंगता का कारण है। स्वास्थ्य के
प्रति उपेक्षा या ठीक-ठीक उपचार करने की असमर्थता विकलांगता में वृद्धि करते हैं।
जन्मजात विकलांगता का अधिकांश कारण स्त्री
के गर्भवती होने की अवस्था में विटामिन ‘ए’ तथा पौष्टिक भोजन की कमी, गर्भावस्था में
शिशु पालन-शिक्षा का अभाव, अधिक तथा कठोर कार्य की प्रवृत्ति या विवशता तथा कामान्धता है। गाँवों में इसका
कारण अज्ञानता, अंधविश्वास तथा गरीबी है। आग बुझाने वाले कर्मचारी सबसे पहले आग की
घेराबंदी करके उसे फैलने से रोकते हैं। उसी प्रकार गर्भावस्था में ही शिशु की
विकलांगता को रोकना चाहिए।
भारतीय संसद ने 12 दिसंबर 1995 में विकलांगों को समान अवसर, सुरक्षा और समानता दिलवाने के
लिए एक कानून बनाया। 7 फरवरी 1996 को अधिसूचित किया गया। इस
अधिनियम का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को सुविधाएं, सेवाएं प्रदान करने के लिए
केंद्रीय और राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों का दायित्व धारण करना है, जिससे वे देश
के उत्पादन व उपयोगी नागरिक के रूप में समान अवसर के लिए भागीदार बन सकें।
इच्छा शक्ति विकलांग को उसका आभास नहीं
होने देती। विश्व में विकलांग भी हैं जिन्होंने अपने अदम्य साहस, संकल्प और उत्साह
से विश्व इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर अपना नाम लिखवाया है। काल के भाल पर अपने
पद चिन्ह अंकित किए हैं।
मध्य एशिया का शक्तिशाली शासक तैमूर लंग
हाथ और पैर से शक्तिहीन था। सिख राज्य की स्थापना करने
वाले महाराणा रणजीत सिंह एक आंख बचपन में ही खो चुके थे। मेवाड़ के राजा सांगा तो
बचपन में एक आंख गवाने तथा युद्ध में एक हाथ-एक पैर तथा 80 घावों के बावजूद भारत के इतिहास पुरुष बने।
अमेरिका के 32 वें यशस्वी
राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट दो बार राष्ट्रपति चुनाव जीते। संयुक्त राष्ट्र संघ
के गठन में उनका विराट योगदान भुलाया नहीं जा सकता जबकि पोलियो माइलिटिस के कारण उनके दोनों पैरों की शक्ति समाप्त हो चुकी थी।
गीत, संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अनेक
विकलांग चिरस्मरणीय हस्तियाँ हुई हैं। शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की प्रसिद्ध
नृत्यांगना सुधा चंद्रन दाईं टांग विहीन थीं। फिल्मी गीतकार
कृष्ण चंद्र डे तथा संगीतकार रविंद्र जैन नयन-विहीन हैं। जर्मनी के पियानोवादकबीथोवन
श्रवणहीनता के शिकार थे। चित्रकला में भारत प्रसिद्ध प्रभाशाह 3 वर्ष की आयु में सुनने की शक्ति खो बैठी
थीं।
खेल जगत से जुड़े तैराक तारानाथ शिनॉय
मूक-बधिर थे। 26 सितंबर 1983 को इंग्लिश चैनल पार कर
उन्होंने विश्व प्रसिद्ध तैराकों में नाम लिखवाया। क्रिकेट के शानदार पूर्व
गेंदबाज अंजन भट्टाचार्य मूक बधिर हैं।
मलयाली साहित्यकार वल्लतोल नारायण श्रवण-शक्ति
से हीन थे। हिंदी के संपादक तथा साहित्यकार डॉ. रघुवंश सहाय वर्मा हाथों की लाचारी
के कारण पैरों से लिखते हैं। हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार राजेंद्र यादव बैसाखी पर
चलते हैं। ‘शुभतारिका’ मासिक के संपादक
और कहानी महाविद्यालय, अंबाला छावनी के सफल संचालक डॉक्टर महाराज कृष्ण जैन के लिए
व्हीलचेयर प्राण हैं।
विकलांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए भारत
सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं। जैसे-
मुकबधिर तथा मानसिक रूप से बधिर बच्चों के लिए विद्यालय एवं छात्रावास की सुविधाएं।
मिशन के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी
परियोजना 1988 में शुरू की गई
थी, जिसका उद्देश्य नई प्रौद्योगिकी वाले उचित और किफायती सहायक यंत्र आदि उपलब्ध
कराना, सचलता बढ़ाना और विकलांगों के लिए रोजगार
अवसर बढ़ाना है। विकलांग व्यक्तियों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने में स्वयंसेवी
क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना इन सेवाओं में विकलांगता की रोकथाम तथा इनका जल्दी
पता लगाना, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकलांग विकलांग व्यक्तियों का भौतिक पुनर्वास
शामिल है।
विकलांगता दिवस पर विकलांग सेवा-प्रोत्साहनार्थ
सरकार ने निम्न आठ प्रकार के पुरस्कार का श्री गणेश किया हैः
विकलांग व्यक्तियों के सर्वश्रेष्ठ नहीं
होता। (2) सर्वश्रेष्ठ विकलांग कर्मचारी और स्वनियोजित व्यक्ति। (3) उत्कृष्ट
सृजनशील व्यक्ति। (4) विकलांगों के कल्याण के लिए काम करने वाला सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति।
(5) विकलांगों के कल्याण के लिए काम करने वाला सर्वश्रेष्ठ संस्थान। (6) प्लेसमेंट अधिकारी। (7) अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण तथा। (8)
विकलांगों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार।
समाज में विकलांगो के प्रति दृष्टिकोण को
बदलना उनके प्रति महान् उपकार होगा। विकलांग दया के पात्र नहीं कर्म के काबिल नहीं
वे भी तो समाज के अंग हैं। सम्मानपूर्ण जीवन जीने का उन्हें भी अधिकार दिलाना होगा।
यह तब ही संभव है जब हम उनके प्रति सच्ची सहानुभूति की दृष्टि रखें। यथासंभव सहयोग
दें। अंधे को सड़क पार करवाकर, उसके मार्ग को सुलभ बनाकर हम अपना कर्तव्य पूरा कर
सकते हैं। विक्षिप्त और अर्ध-पागल बड़बड़ाहट की ओर ध्यान ना दें उसे रोके नहीं।
गूंगे बहरे का मजाक ना उड़ाएं। दूसरी ओर समाज द्रोही तत्वों को जो बच्चों से भीख
मंगवाने के लिए उनका अंग भंग कर देते हैं कठोरतम दंड का प्रावधान करवाना होगा।
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