जल संरक्षण की आवश्यकता एवं उपाय पर निबंध Water Conservation in Hindi : पेयजल की उपलब्धता और उसकी मांग के बीच बढ़ते अंतर से जल संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जा सकती है। इसके साथ ही पानी का सभी रूपों में किफायती इस्तेमाल और इसके एक दुर्लभ संसाधन होने संबधी जागरूकता को बढ़ाने की आवश्यकता है। जल एक सीमित संसाधन है और इसे बदला या दोहराया नहीं जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण को अपनाकर पानी की मांग को एक-तिहाई तक कम किया जा सकता है और इसके साथ भू-जल और धरातल पर उपलब्ध जल संसाधनों के प्रदूषित होने को कम किया जा सकता है। जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण चुनौती है। देश में जल संरक्षण के लिए कई प्रकार की प्रणालियां उपलब्ध हैं। जहां एक ओर वैज्ञानिक इस क्षेत्र में नयी तकनीकों को विकसित कर रहे हैं वहीं इनके प्रयोग में साफ कमी देखी जा सकती है। इस अंतर को दूर करने की आवश्यकता है।
जल संरक्षण की आवश्यकता एवं उपाय पर निबंध
- जल एक सीमित संसाधन है और इसे बदला या दोहराया नहीं जा सकता है।
- जल संसाधनों को नवीनीकरण किया जा सकता है लेकिन नवीनीकरण सिर्फ मात्रा का हो सकता है। प्रदूषण, मिलावट, जलवायु परिवर्तन, अस्थायी और मौसम अंतर पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और पुन: प्रयोग किये जाने वाले पानी की मात्रा को कम कर देते हैं।
- पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का 2.7 प्रतिशत जल ही स्वच्छ है।
- भूमिगत जल का स्तर तेज से घट रहा है।
- शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण को अपनाकर पानी की मांग को एक-तिहाई तक कम किया जा सकता है और इसके साथ भू-जल और धरातल पर उपलब्ध जल संसाधनों के प्रदूषित होने को कम किया जा सकता है।
- सिंचाई प्रणाली और पानी के उपयोग की कार्य क्षमता में सुधार:
- सही और समयानुसार उपकरणों की मरम्मत।
- क्षतिग्रस्त और गाद से भरी नहरों की मरम्मत करना।
- जल बचाने वाली कम लागत की तकनीकों को अपनाना।
- वर्तमान में चल रही सिंचाई प्रणालियों का आधुनिकीकरण और पुनरुद्धार करना।
- पानी का उपलब्धता में परिवर्तन होने पर फसलों की बुवाई में फेरबदल करना।
- सिंचाई के लिए अधिक जल का उपयोग करने से होने वाले परिणामों से किसानों को प्रशिक्षित करना।
- रात में सिंचाई कर पानी के भाप बन कर उड़ने से होने वाले नुकसान को कम करना।
- भूमि का उपजाऊपन और कीड़ों पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण रखने के लिए फसलों को अदला-बदली कर बोना।
- नहरों के टुटने और उनकी मरम्मत करने के साथ-साथ अचानक हुई बारिश के बाद संबंधित क्षेत्रों में जल वितरण रोकने के लिए अधुनिक, प्रभावी और भरोसेमंद संचार प्रणाली की स्थापना करना।
- यह देखा गया है कि खेती में सड़ी गली घास के वैज्ञानिक प्रयोग से जमीन में नमी बनाये रखने को 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे पैदावार में 75 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
- पानी के वितरण के दौरान होने वाले नुकसान में कमी लाने के प्रयास करना।
- मांग के अनुरूप पानी का वितरण मीटरों के द्वारा प्रबंधित करना।
- वितरण प्रणाली को दीर्घकालिक और नुकसान को कम करने के लिए आवश्यकता अनुसार शुल्क लगाना।
- बगीचे में पानी प्रयोग करने और शौचालय आदि में प्रयोग हो रहे पानी के दुबारा इस्तेमाल करने की संभावना का पता लगाना।
- पानी का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करने के लिए नियम बनाना।
- पानी की आवश्यकता को कम करने के लिए औद्यौगिक प्रणाली का आधुनिकीकरण करना।
- औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए पानी की जरूरत को उचित मूल्य द्वारा नियंत्रित करना ताकि जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।
- भू-जल एक ऐेसा स्त्रोत है जिसका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता। केवल भू-जल एकत्र करने के लिए बनाई गई बनाई गई प्रणाली ही एकमात्र निवेश होता है। कई क्षेत्रों में बिना रोकथाम के पानी निकालने से भू-जल के स्तर में गिरावट आती है। भू-जल के नियंत्रित प्रयोग के लिए इसका वितरण प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण है।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के मूल्य में राशनिंग करना। औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमिगत जल के प्रयोग करने पर अधिक शुल्क लगाना।
- वर्षा जल के संचयन के लिए प्रोत्साहन देना।
- शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल के संचयन को प्रोत्साहन देने के लिए भवन निर्माण संबंधी कानूनों में बदलाव करना ताकि इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जा सके।
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