क्लोनिंग के लाभ तथा हानि पर निबंध Essay on Cloning in Hindi : वैज्ञानिक क्लोनिंग पर वर्षो से शोधरत है। पादपों के विषय में तो आशातीत सफलतायें मिली हैं, किंतु प्राणियों पर अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों की उपलब्धियाँ विशेष रूप से चर्चित रही हैं क्योंकि प्राप्त सफलताओं ने मानव-क्लोन बनाने के लिए संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। ‘क्लोन’ ऐसा जीव है जिसको बनाने के लिए केवल एक ही ‘जनक’ माता अथवा पिता की आवश्यकता होती है और वह भी अलैंगिक तरीके से। इस प्रकार बना हुआ क्लोन अपने जनक से न केवल शरीरिक रूप से समान होता है वरन आनुवांशिक रूप से भी उसी जैसा होता है। लैंगिक प्रजनन में आमतौर से संतति में माता-पिता दोनों के ही आधे-आधे आनुवांशिक लक्षण आते हैं। वैसे परम्परागत रूप से क्लोनिंग उद्यान विज्ञानियों में प्रचलित रहा है जहाँ वृक्ष की एक टहनी से पूरा वृक्ष तैयार करते हैं। ग्रीक भाषा में ‘क्लोन’ का अर्थ ‘टहनी’ है और अब प्राणियों के लिए भी इसी शब्द का प्रयोग करते हैं।
क्लोनिंग के लाभ तथा हानि पर निबंध Essay on Cloning in Hindi
- भेड़ो और गाय-भैंसों की अच्छी नस्लों को क्लोन करना।
- घरेलू पशु (पशुधन) में परिवर्तित जीन के प्रत्यारोपण द्वारा जैव-तकनीक में नए प्रयोग।
- कैंसर तथा अन्य आनुवांशिक रोगों से निदान का अध्ययन एवं बुढ़ापे को टालने के प्रयत्न।
- दवाओं का उत्पादन करने वाली जीनों को प्रत्यारोपित करके पालतू पशुओं से दवाओं का सस्ते में उत्पादन करना।
- बुढ़ापे का गुणसूत्रों पर प्रभाव का अध्ययन।
- इस विधि का अन्य स्तनधारी जीवों पर प्रयोग।
- अंगों के प्रतिरोपण में समरूपी अंगों का विकास।
- व्यक्तित्व बनने के आधार : क्लोनिंग से आप एकांडिक जुड़वा के समान अभिन्न संतान पैदा कर सकते हैं। आनुवांशिक आधार के अतिरिक्त, महौल भी व्यक्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होता है। आदमी का व्यक्तित्व, सामाजिक, आर्थिक और आसपास के माहौल से संबंध रखता है। व्यक्तित्व कभी आनुवांशिक नहीं होता। अत: जरूरी नहीं है कि एक विजेता कर क्लोन विजेता ही हो।
- क्या क्लोन अमर कर देगा? : क्लोन भौतिक रूप से सर्वसम जरूर होगा पर मानसिक स्थिति, अनुभव, सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्य तो व्यक्तिगत होते हैं। अत: क्लोन आपको अमर नहीं बना सकता। अमर होने का तात्पर्य आपकी यादों और अनुभवों की अखंडता है, जो क्लोनिंग से संभव न हो पाएगा।
- अन्य निहित भय : जीवनकाल में पर्यावरण में म्यूटाजनों और विकिरणों द्वारा डीएनए में विकृतियां उत्पन्न होती रहती हैं जो विभिन्न कोशिकाओं में एकत्रित होती रहती हैं। अनिषेचित प्रजनन द्वारा कोशिकाओं में काफी हद तक डीएनए का सुधार होता रहता है। लैंगिक प्रजनन के दौरान, दो अभिभावकों की जीनों का संयोजन होता है जो एक-दूसरे के पूरक होतें हैं। अत: ऐसी विकृतियाँ अभिव्यक्त नहीं हो पातीं। अलैंगिक प्रजनन में ऐसी विकृतियों से कोई निदान नहीं दिखता। एकत्रित आनुवांशिक विकृतियों के अभिव्यक्त होने की संभावना मानव क्लोन के विकास में एक बाधा है। (पर हाँ, अंग प्रतिरोपण के लिए मानव क्लोन का विकास कुछ संभावना रखता है।)
- नर की आवश्यकता पर प्रश्न चिन्ह? : क्लोनित्पत्ति के लिए मादा का अंडा अति आवश्यक है। केन्द्रक तो नर या मादा कहीं से भी लिया जा सकता है। इससे नर की आवश्यकता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। लैंगिक प्रजनन आनुवांशिकी के विभिन्न संयोजनों से विविधता उत्पन्न करता है जिससे अच्छी नस्लें बनती हैं। अलैंगिक प्रजनन को अपनाना आम्तहत्या की तरह होगा। फिर भी बांझ लोग या समलैंगिक लोग भविष्य में क्लोनिंगकी तकनीक अपना सकते हैं। हो सकता है औरतें यह जिम्मेदारी सिर्फ अपने ऊपर ले लें लेकिन पुरुषरहित औरतों का यह समाज बहुत ही नीरस होगा।
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