भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य : भारत एक उष्णकटिबंधीय (गर्म) देश है। जहाँ सूर्य का प्रकाश प्रतिदिन अधिक समय तक और ज्यादा तीव्रता के साथ उपलब्ध रहता है। अत: सौर ऊर्जा की भावी ऊर्जा स्त्रोत के रूप में व्यापक संभावनायें हैं। इसमें ऊर्जा के विकेन्द्रीकृत वितरण का अतिरिक्त लाभ भी है। सैद्धांतिक दृष्टि से, कुल आपतित सौर ऊर्जा का छोटा-सा अंश भी समूचे देश की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। इस रणनीति में, सूर्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है और ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि वह वस्तुत: सभी ऊर्जा स्त्रोतों का मौलिक स्त्रोत है। हम अपने वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रबंधकीय प्रतिभाओं और पर्याप्त वित्तीय संसाधन को एक साथ जुटाकर हमारी अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और हमारे देश के लोगों के जीवन में बदलाव जाने के लिए ऊर्जा के प्रचुर स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का विकास करेंगे।
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य पर निबंध
- 2022 तक 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए अनुकूल नीतिगत ढांचा तैयार करना।
- 2013 तक अर्थात् अगले तीन वर्षों में, ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा उत्पादन को 1000 मेगावाट तक बढ़ाना, जिन संस्थाओं को शुल्क के मामले में सरकार की ओर से रियायतें दी जाती हैं। उनके लिए नवीकरणीय ऊर्जा के क्रय को आवश्यक बनाकर 2017 तक 3000 मेगावाट की अतिरक्त क्षमता बढ़ाना। यह क्षमता दोगुनी की जा सकती है।
- आशा के अनुकूलन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय निवेश और तकनीकी हस्तांतरण के बल पर यह क्षमता 2017 तक 10,000 मेगावाट से भी अधिक बढ़ाई जा सकती है। वर्ष 2022तक 20,000 मेगावाट या उससे अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य। पहले दो चरणों से प्राप्त अनुभवों पर निर्भर करेगा। उनके सफल होने पर ग्रिड-प्रतिस्पर्धा सौर ऊर्जाकी संभावना बढ़ सकती है। अंतर्राष्ट्रीय निवेश और प्रौद्योगिकी की उपलब्धता के आधार पर इस संक्रमण (बदलाव) को उपयुक्त रूप से बढ़ाया भी जा सकता है।
- ऑफ ग्रिड उपयोगों के लिए कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना- 2017 तक 1000 मेगावाट और 2022 तक 2000 मेगावाट का उत्पादन।
- 2017 तक डेढ़ करोड़ वर्ग मीटर और 2022 तक दो करोड़ वर्गमीटर सौर तापीय संग्राहक क्षेत्र की स्थापना करना।
- 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ सौर प्रकाशीय प्रणालियां लगाना।
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