पंडित रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय : सूक्ष्म सौंदर्य का चित्रण करने वाले पं० रामनरेश त्रिपाठी का जन्म जिला जौनपुर के अंतर्गत कोईरीपुर नामक ग्राम में सन् 1889 में एक कृषक परिवार में हुआ था। आपके पिता पं० रामदत्त त्रिपाठी एक ईश्वर भक्त ब्राह्मण थे। पं० रामनरेश त्रिपाठी ने मात्र कक्षा 9 तक ही शिक्षा ग्रहण की थी। बाद में स्वाध्याय द्वारा हिंदी भाषा के साथ-साथ अन्य कई भाषाओं में भी निपुणता प्राप्त की। अपने साहित्य सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाया। आपने हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत, बंगला एवं गुजराती भाषाओं पर भी अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। हिंदी प्रचार के उद्देश्य से आपने ‘हिंदी मंदिर’ की स्थापना की। आप हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के मंत्री भी रहे।
पंडित रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय व साहित्यिक परिचय
पं० रामनरेश त्रिपाठी स्वदेश-प्रेम, मानव सेवा और पवित्र प्रणय के कवि हैं। आपकी रचनाओं में छायावाद का
सूक्ष्म सौंदर्य एवं आदर्शवाद का मानवीय
दृष्टिकोण एक साथ घुल मिल गया है। आपके बारे में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का कथन है- ‘‘पं० रामनरेश त्रिपाठी मननशील, विद्वान, परिश्रमी, लोक साहित्य के धनी थे। आपने अपनी रचनाओं में राष्ट्रप्रेम, मानव-सेवा, पवित्र प्रेम का नवीन आदर्श उत्पन्न किया।’’
जीवन परिचय : सूक्ष्म सौंदर्य का चित्रण करने वाले
पं० रामनरेश त्रिपाठी का जन्म जिला जौनपुर के अंतर्गत कोईरीपुर नामक ग्राम में सन् 1889 में एक कृषक परिवार में हुआ था। आपके पिता पं० रामदत्त त्रिपाठी एक
ईश्वर भक्त ब्राह्मण थे। पं० रामनरेश त्रिपाठी ने मात्र कक्षा 9 तक ही शिक्षा ग्रहण की थी। बाद में स्वाध्याय द्वारा हिंदी भाषा के
साथ-साथ अन्य कई भाषाओं में भी निपुणता प्राप्त की।
अपने साहित्य सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाया। आपने हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत, बंगला एवं गुजराती भाषाओं पर भी अच्छा
ज्ञान प्राप्त किया था। हिंदी प्रचार के उद्देश्य से आपने ‘हिंदी मंदिर’ की स्थापना की। आप हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के मंत्री भी रहे। आपने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार का
सराहनीय कार्य कर हिंदी की अपूर्व सेवा की।
देशी रियासतों के अनेक राजा आपके मित्र थे, जिनके सहयोग से आप अपनी यात्राओं का आयोजन करते थे। आपने लगभग 20 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा करके हजारों ग्राम गीतों का संकलन किया और अपनी कृतियों का प्रकाशन भी स्वयं ही कराया। राष्ट्रीयता, देश प्रेम, मानव सेवा, त्याग जैसे विषयों पर आपने अनेक कविताएँ लिखी हैं, जो अत्यंत लोकप्रिय
हुई हैं। सन् 1962 ई. में आपका स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक परिचय : त्रिपाठी जी एक समर्थ कवि, संपादक एवं कुशल पत्रकार थे। इनके निबंध भी हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। इस प्रकार कवि, निबंधकार, संपादक आदि के रूप में त्रिपाठी जी सदैव याद किए जाएँगे। अपनी साहित्यिक सेवाओं द्वारा हिंदी साहित्य के सच्चे सेवक के रूप में त्रिपाठी जी प्रशंसा के पात्र हैं। देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता से ओतप्रोत आपकी रचनाएँ अत्यंत प्रेरणाप्रद हैं।
कृतियाँ : रामनरेश त्रिपाठी का रचना संसार विविधमुखी हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, बाल साहित्य, आलोचना, जीवन चरित, काव्य आदि लिखे हैं जिनका विवरण इस प्रकार है–
उपन्यास— लक्ष्मी
नाटक— वीरांगना, प्रेमलोक
कहानी-संग्रह— सुभद्रा, स्वपनों के चित्र
आलोचना— तुलसीदास और उनकी कविता
बाल साहित्य— बालकथा, गुपचुप, बुद्धि विनोद, फूलरानी
जीवन चरित—महात्मा बुद्ध, आकाश की बातें, अशोक
लोकगीत संग्रह— ग्राम्य गीत
काव्य संकलन— मिलन, पथिक,मानसी, स्वप्न
संगृहीत काव्य— कविता कौमुदी
‘मिलन’, ‘पथिक’ एवं ‘स्वप्न’ आपके द्वारा रचित खंडकाव्य हैं, जबकि ‘मानसी’ आपकी फुटकर रचनाओं का संग्रह है, इसमें देश-प्रेम, मानव-सेवा, प्रकृति वर्णन तथा बंधुत्व की भावनाओं पर आधारित प्रेरणाप्रद कविताएँ
संगृहीत हैं, इनमें पात्रों तथा कथाओं के माध्यम से राष्ट्रप्रेम, बलिदान और त्याग के महत्व को स्पष्ट किया गया है। ‘कविता कौमुदी’ में उनके द्वारा संगृहीत कविताएँ हैं। इन्होंने लोकगीतों का एक संग्रह ‘ग्राम्य-गीत’ भी प्रकाशित कराया था।
भाषागत विशेषताएँ— त्रिपाठी जी की भाषा ओज प्रधान, सरस और सरल खड़ीबोली हिंदी है। माधुर्य गुण भी इनकी भाषा की विशेषता है। शैली अत्यधिक प्रभावपूर्ण एवं प्रवाहमयी है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रप्रेम, मानवता एवं नैतिकता का चित्रण हुआ है। त्रिपाठी जी द्वारा मुख्यत: वर्णनात्मक एवं
उपदेशात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। आपके काव्य में द्विवेदीयुगीन नैतिकता एवं छायावादी सौंदर्य दृष्टि एक साथ देखने को
मिलती है।
रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय | Ramnaresh Tripathi Biography In Hindi | Ramnaresh Tripath Jivani
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