डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का महत्व व प्रमुख उद्देश्य पर निबंध। Essay on Digital India in Hindi in Points : डिजिटल इंडिया’ भारत सरकार की एक नई पहल है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल लिहाज से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। इसके तहत जिस लक्ष्य को पाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, वह है भारतीय प्रतिभा (आईटी) + सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) = कल का भारत (आईटी)। ‘डिजिटल इंडिया’ एक व्यापक कार्यक्रम है जो अनेक सरकारी मंत्रालयों और विभागों को कवर करता है। यह तरह-तरह के आइडिया और विचारों को एकल एवं व्यापक विज़न में समाहित करता है, ताकि इनमें से हर विचार एक बड़े लक्ष्य का हिस्सा नज़र आए। यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के सहयोग से तैयार और समन्वित किया गया है। प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की निगरानी समिति के अध्यक्ष हैं। सभी वर्तमान और आगामी ई-शासन पहलों को डिजिटल इंडिया के सिद्धांतों के अनुसार संशोधित और पुन: तैयार किया गया। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विजन का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स सेवाओं, उत्पादों, विनिर्माण और रोजगार के अवसरों आदि के क्षेत्रों का समग्र विकास करने का भी है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का महत्व व प्रमुख उद्देश्य पर निबंध। Essay on Digital India in Hindi in Points
‘डिजिटल इंडिया’ भारत सरकार की एक नई पहल है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल लिहाज से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। इसके तहत जिस लक्ष्य को पाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, वह है भारतीय प्रतिभा (आईटी) + सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) = कल का भारत (आईटी)।
‘डिजिटल इंडिया’ एक व्यापक कार्यक्रम है जो अनेक सरकारी मंत्रालयों और विभागों को कवर करता है। यह तरह-तरह के आइडिया और विचारों को एकल एवं व्यापक विज़न में समाहित करता है, ताकि इनमें से हर विचार एक बड़े लक्ष्य का हिस्सा नज़र आए। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का समन्वय डीईआईटीवाई द्वारा किया जाना है। वहीं, इस पर अमल समूची सरकार द्वारा किया जाना है।
‘डिजिटल इंडिया’ का विज़न तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है। ये हैं– हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढांचा, मांग पर संचालन एवं सेवाएं और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की उपयोगिता
हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढांचे में ये उपलब्ध हैं- नागरिकों को सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक प्रमुख उपयोग के रूप में हाई स्पीड इंटरनेट, डिजिटल पहचान अंकित करने का ऐसा उद्गमस्थल जो अनोखा, ऑनलाइन और हर नागरिक के लिए प्रमाणित करने योग्य है, मोबाइल फोन व बैंक खाते की ऐसी सुविधा जिससे डिजिटल व वित्तीय मामलों में नागरिकों की भागीदारी हो सके, साझा सेवा केन्द्र तक आसान पहुंच, पब्लिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्थान और सुरक्षित साइबर-स्पेस।
सभी विभागों और न्यायालयों में मांग पर समेकित सेवाओं समेत शासन और सेवाओं, ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर सही समय पर सेवाओं की उपलब्धता, सभी नागरिकों को क्लाउड एप पर उपलब्ध रहने का अधिकार है। डिजिटल तब्दील सेवाएं के जरिये व्यवसाय में सहजता करने, इलेक्ट्रॉनिक और नकदी रहित वित्तीय लेन-देन करने, निर्णय सहायता सिस्टम और विकास के लिए जीआईएस का फायदा उठाना।
नागरिकों को डिजिटल सशक्त बनाने के साथ में सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता, सर्वत्र सुगम डिजिटल संसाधनों, डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की भारतीय भाषाओं में उपलब्धता, सुशासन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों और पोर्टबिलिटी के सभी अधिकारों को क्लाउड के जरिये सहयोगपूर्ण बनाना। नागरिकों को शासकीय दस्तावेजों या प्रमाण-पत्रों आदि को उनकी मौजूदगी के बिना भी भरा जा सकेगा।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य
ब्रॉडबैंड हाइवेज: सामान्य तौर पर ब्रॉडबैंड का मतलब दूरसंचार से है, जिसमें सूचना के संचार के लिए आवृत्तियों (फ्रीक्वेंसीज) के व्यापक बैंड उपलब्ध होते हैं। इस कारण सूचना को कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है और जुड़े हुए तमाम बैंड की विभिन्न फ्रीक्वेंसीज या चैनलों के माध्यम से भेजा जा सकता है। इसके माध्यम से एक निर्दिष्ट समयसीमा में वृहत्तर सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है। ठीक उसी तरह से जैसे किसी हाइवे पर एक से ज्यादा लेन होने से उतने ही समय में ज्यादा गाड़ियां आवाजाही कर सकती हैं। ब्रॉडबैंड हाइवे निर्माण से अगDigital Indiaले तीन सालों के भीतर देशभर के ढाई लाख पंचायतों को इससे जोड़ा जायेगा और लोगों को सार्वजनिक सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी।
मोबाइल कनेक्टिविटी: देशभर में तकरीबन सवा अरब की आबादी में मोबाइल फोन कनेक्शन की संख्या जून, 2014 तक करीब 80 करोड़ थी। शहरी इलाकों तक भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में अभी भी इसकी सुविधा मुहैया नहीं हो पायी है। हालांकि, बाजार में निजी कंपनियों के कारण इसकी सुविधा में पिछले एक दशक में काफी बढ़ोतरी हुई है। देश के 55,000 गांवों में अगले पांच वर्षो के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000 करोड़ के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का गठन किया गया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम: भविष्य में सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुंच बढ़ायी जायेगी। पोस्ट ऑफिस के लिए यह दीर्घावधि विजन वाला कार्यक्रम हो सकता है। इस प्रोग्राम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में बनाया जायेगा। नागरिकों तक सेवाएं मुहैया कराने के लिए यहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जायेगा।
ई-गवर्नेस: प्रौद्योगिकी के जरिये सरकार को सुधारना: सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग के ट्रांजेक्शंस में सुधार किया जायेगा। विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जायेगा। इसके अलावा, स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आइडी कार्डस आदि की जहां जरूरत पड़े, वहां इसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कार्यक्रम सेवाओं और मंचों के एकीकरण- यूआइडीएआइ (आधार), पेमेंट गेटवे (बिलों के भुगतान) आदि में मददगार साबित होगा। साथ ही सभी प्रकार के डाटाबेस और सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुहैया कराया जायेगा।
ई-क्रांति- सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी: इसमें अनेक बिंदुओं को फोकस किया गया है। इ-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) को मुफ्त वाइ-फाइ की सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम की योजना है। किसानों के लिए रीयल टाइम कीमत की सूचना, नकदी, कजर्, राहत भुगतान, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल सलाह, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत मरीजों की सूचना से जुड़े एक्सचेंज की स्थापना करते हुए लोगों को इ-हेल्थकेयर की सुविधा देना। न्याय के क्षेत्र में इ-कोर्ट, इ-पुलिस, इ-जेल, इ-प्रोसिक्यूशन की सुविधा। वित्तीय इंतजाम के तहत मोबाइल बैंकिंग, माइक्रो-एटीएम प्रोग्राम।
सभी के लिए जानकारी: इस कार्यक्रम के तहत सूचना और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जायेगी। इसके लिए ओपेन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जायेगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेंगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सरकार सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय रहेगी। साथ ही, नागरिकों और सरकार के बीच दोतरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जायेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी तमाम चीजों का निर्माण देश में ही किया जायेगा। इसके तहत ‘नेट जीरो इंपोर्ट्स’ का लक्ष्य रखा गया है ताकि 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। इसके लिए आर्थिक नीतियों में संबंधित बदलाव भी किये जायेंगे। फैब-लेस डिजाइन, सेट टॉप बॉक्स, वीसेट, मोबाइल, उपभोक्ता और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट एनर्जी मीटर्स, स्मार्ट कार्डस, माइक्रो-एटीएम आदि को बढ़ावा दिया जायेगा।
रोजगारपरक सूचना प्रौद्योगिकी: देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार से रोजगार के अधिकांश प्रारूपों में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसलिए इस प्रौद्योगिकी के अनुरूप कार्यबल तैयार करने को प्राथमिकता दी जायेगी। कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रमों को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जायेगा। संचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियां ग्रामीण कार्यबल को उनकी अपनी जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित करेगी। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आइटी से जुड़े जॉब्स के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। आइटी सेवाओं से जुड़े कारोबार के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके लिए दूरसंचार विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचा बनाना होगा यानी इसकी पृष्ठभूमि तैयार करनी होगी।
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