छात्रावास का जीवन पर निबंध। Chatravas ka Jeevan Essay in Hindi : विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है। यह समय उसके भावी जीवन की सफलता तथा व्यक्तित्व निर्माण का आधार बनता है। इस समय किया गया परिश्रम, त्याग और संयम उसके जीवन को सुखद तथा खुशहाल बनाता है। जहां छात्रों के घर के पास ही विद्यालय होते हैं वहां छात्र दिन में पढ़कर विद्यालय काल समाप्त होने के बाद अपने घर लौट आते हैं। घर पर माता-पिता ही बच्चों के खान-पान और रक्षा आदि के प्रति उत्तरदाई होते हैं।
छात्रावास का जीवन पर निबंध। Chatravas ka Jeevan Essay in Hindi
छात्रावास का जीवन : विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है। यह समय उसके भावी जीवन की सफलता तथा व्यक्तित्व निर्माण का आधार बनता है। इस समय किया गया परिश्रम, त्याग और संयम उसके जीवन को सुखद तथा खुशहाल बनाता है। जहां छात्रों के घर के पास ही विद्यालय होते हैं वहां छात्र दिन में पढ़कर विद्यालय काल समाप्त होने के बाद अपने घर लौट आते हैं। घर पर माता-पिता ही बच्चों के खान-पान और रक्षा आदि के प्रति उत्तरदाई होते हैं। परंतु जिन विद्यार्थियों के विद्यालय घरों से दूर हैं, वह पढ़ाई के दिनों में ऐसे स्थानों में रहते हैं जहां आवास, भोजन तथा पढ़ने-लिखने की सुविधा हो, ऐसे स्थान को ही छात्रावास कहा जाता है।
छात्रावास का सामान्य अर्थ है-छात्रों के रहने का घर। चूंकि विद्यार्थी जीवन में कई बार बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर से दूर रहना पड़ता है तो ऐसे में विद्यार्थी छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं। छात्रावास छात्रों के रहने के लिए और स्वाध्याय करने के लिए अनुकूल होता है। इस भवन में अनेक कमरे होते हैं। जिनमें से प्रत्येक में कुछ निश्चित संख्या में छात्र रहते हैं। जैसे दो छात्र, चार छात्र या उससे अधिक। इन कमरों में छात्रों के सामान रखने के लिए अलमारियां, विश्राम करने के लिए पलंग और स्वाध्याय करने के लिए मेज-कुर्सियों तथा प्रकाश आदि की व्यवस्था होती है। छात्रावास में छात्रों को वह सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं जिनकी उन्हें दैनिक कार्य में आवश्यकता होती है।
छात्रावास का प्रबंध किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में होता है जो कुशलतापूर्वक सारी सुविधाओं की व्यवस्था करता है। वह व्यक्ति छात्रावास का प्रबंधक कहा जाता है। उसके अधीन अनेक कर्मचारी काम करते हैं, जैसे सफाईवाला, धोबी, रसोईया, भंडारी, चिकित्सक आदि। इन सब से ठीक-ठाक प्रकार से कार्य लेने तथा उनके कार्य की देखभाल करना प्रबंधक का कर्तव्य होता है। छात्रावास का प्रबंधक इस बात का भी ध्यान रखता है कि छात्र परस्पर लड़ाई-झगड़ा न करें, सदाचार से रहें और अपना समय उपयोगी कार्यो में लगाएं।
छात्रावास का जीवन नियमित होता है। विद्यालय काल के अतिरिक्त जो भी समय होता है उसका विभाजन इस प्रकार किया जाता है कि छात्र भोजन, विश्राम, स्वाध्याय, मनोरंजन एवं खेलकूद आदि कर सकें। प्रातः काल 4-5 बजे से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर 10:00 बजे तक बच्चों के कोई न कोई कार्यक्रम होते रहते हैं। प्रत्येक कार्यक्रम के आरंभ करने के लिए घंटी द्वारा सबको सूचना दी जाती है।
छात्रावास का व्यय छात्रों के माता-पिता से प्राप्त किए गए शुल्क से चलता है। शिक्षा संस्थान इस शुल्क से छात्रावास की विभिन्न व्यवस्थाओं का प्रबंध करते हैं तथा इसके लिए किसी अध्यापक को वार्डन के रूप में नियुक्त करते हैं। कुछ निशुल्क छात्रावास भी होते हैं जिनका व्यय जनता द्वारा प्राप्त दान से चलता है। अनाथ आश्रमों के छात्रावास जनता अथवा सरकार के अनुदान द्वारा ही चलाए जाते हैं।
छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने के लाभ होते हैं, इससे छात्र का जीवन नियमित हो जाता है। वह समझ जाता है कि समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए। वह समय पर जागता है और समय पर सोता है। समय पर खाता-पीता, समय पर पढ़ता-लिखता है, समय पर मनोरंजन करता है। वह समय का मूल्य समझ कर उसे बर्बाद नहीं करता।
घर में रहने वाला छात्र प्रत्येक कार्य के लिए माता-पिता तथा नौकर-चाकरों का मुंह देखता है। परंतु छात्रावास में रहने वाले छात्रों को बहुत से कार्य अपने हाथों से करने पड़ते हैं। उसे कई समस्याएं स्वयं ही सुलझानी पड़ती हैं और कुछ परिश्रम भी करना पड़ता है। इन स्थितियों से छात्र में स्वावलंबन, आत्मविश्वास एवं दृढ़ता आदि गुणों का भी विकास होता है। उसमें अपने उत्तरदायित्व के पालन का बोध भी उत्पन्न होता है। योग्य छात्रों की देखादेखी अयोग्य छात्र भी योग्यता प्राप्त करने में तत्पर रहते हैं।
इस प्रकार छात्रावास में रहने से अनेक लाभ हैं परंतु जिन छात्रावासों का प्रबंध अच्छा नहीं है, चाहे वह जिस कारण भी हो, वहां रहने से छात्रों का जीवन नष्ट हो जाता है। धूम्रपान, जुआ, मदिरापान आदि व्यसनों का वह शिकार बन जाता है। सदाचार संबंधी अनेक त्रुटियां उसमें आ जाती हैं। अंत में वह छात्र जीवन के अमूल्य समय और माता पिता के धन को फूंक कर समय व्यतीत होने पर पछताने लगता है। शिक्षा में तो वह पिछड़ ही जाता है, घर के साधारण कार्यों के योग्य भी नहीं रह जाता।
कुल मिलाकर, छात्रावास जीवन किसी भी विद्यार्थी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल होता है। यह उसे स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और कार्यकुशल बनाता है। छात्रावास का जीवन उसे अपने उत्तरदायित्व के प्रति सचेत करता है। वहीं कुसंगति में पर जाने वाले छात्र अपने मार्ग से भटक कर अपने जीवन को नष्ट कर देते हैं। अंततः छात्रावास का जीवन किसी भी छात्र के जीवन का बहुमूल्य समय होता है तथा इसका सदुपयोग उसे एक योग्य व्यक्ति, सफल मनुष्य तथा कर्तव्य निष्ठ नागरिक बनाता है।
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