छोटे भाई को देशाटन के लाभ बताते हुए पत्र : प्रिय भाई संदीप, तुमने अपने पत्र में लिखा है कि तुम्हारे विद्यालय से छात्रों का एक दल मुंबई आदि स्थानों की यात्रा के लिए जा रहा है। तुम्हारे पत्र से यह प्रतीत होता है कि ऐसी यात्राओं में तुम्हारी रुचि नहीं है। इसे अच्छी बात नहीं माना जा सकता। तुम्हें पता होना चाहिए कि देशाटन या भ्रमण से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। देशाटन करने से अनेक नए स्थान तो देखने को मिलते ही हैं, नए नए लोगों के साथ परिचय तथा संपर्क बढ़ता है। ऐसा करते समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और विभिन्न प्रकार के लोगों से उसका वास्ता पड़ता है।
छोटे भाई को देशाटन के लाभ बताते हुए पत्र
6/11 ए, लाजपत नगर
नई दिल्ली
दिनांक : 31 मई 2018
प्रिय भाई संदीप,
तुमने अपने पत्र में लिखा है कि तुम्हारे विद्यालय से छात्रों का एक दल मुंबई आदि स्थानों की यात्रा के लिए जा रहा है। तुम्हारे पत्र से यह प्रतीत होता है कि ऐसी यात्राओं में तुम्हारी रुचि नहीं है। इसे अच्छी बात नहीं माना जा सकता। तुम्हें पता होना चाहिए कि देशाटन या भ्रमण से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं।
देशाटन करने से अनेक नए स्थान तो देखने को मिलते ही हैं, नए नए लोगों के साथ परिचय तथा संपर्क बढ़ता है। ऐसा करते समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और विभिन्न प्रकार के लोगों से उसका वास्ता पड़ता है। परिणाम स्वरुप व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है। सारे देश की स्थितियों और लोगों का ज्ञान होता है। ज्ञान के लिए देशाटन से बढ़कर दूसरा कोई साधन नहीं है। देशाटन से व्यक्ति का पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। पुस्तकें पढ़कर हम किसी स्थान या वहां की किसी वस्तु की कल्पना ही कर सकते हैं। किंतु देशाटन से हम उस वस्तु को साक्षात देख सकते हैं। हम देश के प्रत्येक प्रदेश के लोगों के रहन-सहन, रीति रिवाज, धार्मिक तथा राजनीतिक प्रवृत्ति, सामाजिक दशा, वहां के प्राकृतिक सौंदर्य और जलवायु और भाषा साहित्य आदि का प्रत्यक्ष परिचय पा लेते हैं। देशाटन से हमारी जिज्ञासा वृत्ति की भी संतुष्टि होती है।
देशाटन से मनुष्य के चरित्र का भी विकास होता है। संसार में एक से बढ़कर एक गुणी व्यक्ति विद्यमान है। उन्हें देखकर यात्री, नम्र, उदार और उत्साही बनता है। जलवायु के परिवर्तन से पर्यटक को स्वास्थ्य लाभ भी होता है। पर्यटन द्वारा देश विदेश में सभ्यता, कला कौशल तथा चारित्रिक गुणों का आदान-प्रदान होता है। पर्यटन व्यक्ति को साहसी, संयमी और कर्मठ भी बनाता है।
प्रिय भाई, मेरे विचार से तुम्हें यात्रा का यह अवसर हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए। आज और अभी जाकर तुम यात्रा के लिए अपना नाम लिखवा दो। फिर अपने कार्यक्रम के विषय में मुझे लिखना। किसी चीज की जरूरत हो तो तत्काल सूचित करना। जरूरत जल्दी और अवश्य पूरी की जाएगी।
तुम्हारा हितैषी
धर्मेंद्र
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