महंगाई पर निबंध mahangai par nibandh : महंगाई ने साधारण मनुष्य की कमर को तोड़ कर रख दिया है। भारत में मूल्य वृद्धि एक नियमित कार्य है। कभी-कभी सरकार मूल्यों में वृद्धि कर देती है। कभी-कभी वस्तुएं बाजार से गायब हो जाती हैं अर्थात वस्तुओं की कमी हो जाती है। लोग इसे कालाबाजारी से क्रय करते हैं। उन्हें उच्चतम मूल्य चुकाना पड़ता है। भारत की सरकार इसे रोकने का प्रयत्न करती है लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाती है। इसलिए साधारण लोगों पर इस महंगाई का बुरा असर पड़ता है। महंगाई के अनेक कारणहैं। कभी-कभी वस्तुओं का उत्पादन बहुत कम होता है और यह लोगों की मांग को पूरा नहीं कर पाती है। यदि पूर्ति कम है मांग बड़ी हो सकती है। प्राकृतिक रूप से मूल्य बढ़ जाएंगे। विकासशील देश जैसे भारत में हमें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
महंगाई पर निबंध। Mahangai par Nibandh
प्रस्तावना : महंगाई ने साधारण मनुष्य की कमर को तोड़ कर रख दिया है। भारत में मूल्य वृद्धि एक नियमित कार्य है। कभी-कभी सरकार मूल्यों में वृद्धि कर देती है। कभी-कभी वस्तुएं बाजार से गायब हो जाती हैं अर्थात वस्तुओं की कमी हो जाती है। लोग इसे कालाबाजारी से क्रय करते हैं। उन्हें उच्चतम मूल्य चुकाना पड़ता है। भारत की सरकार इसे रोकने का प्रयत्न करती है लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाती है। इसलिए साधारण लोगों पर इस महंगाई का बुरा असर पड़ता है।
महंगाई के कारण : महंगाई के अनेक कारणहैं। कभी-कभी वस्तुओं का उत्पादन बहुत कम होता है और यह लोगों की मांग को पूरा नहीं कर पाती है। यदि पूर्ति कम है मांग बड़ी हो सकती है। प्राकृतिक रूप से मूल्य बढ़ जाएंगे। विकासशील देश जैसे भारत में हमें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी मूल्य बढ़ना आवश्यक होता है। यदि कच्चे सामान का मूल्य अधिक है तो उत्पादन लागत भी अधिक होगी लेकिन अनेक अवसरों पर लोगों को दोषपूर्ण वितरण प्रणाली के कारण पीड़ित होना पड़ता है। वस्तु की कृत्रिम कमी का निर्माण किया जाता है।
महंगाई का एक और कारण तेजी से बढ़ती जनसंख्या है। हमारा उत्पादन जनसंख्या के सापेक्ष सामान रूप से नहीं बढ़ता इसलिए वस्तुओं की मांग और पूर्ति के मध्य महंगाई एक वास्तविक घटना है। साधारण मनुष्य के रहने के ढंग का स्तर बढ़ रहा है। कभी-कभी कमी भी मूल्य बढ़ने का कारण होती है
उत्पादन में वृद्धि : मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए सरकार और जनता को उत्पादन की दर में वृद्धि करनी चाहिए। सरकार को कालाबाजारी करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। हमें ऐसी दुकानों की आवश्यकता है जहां अच्छे मूल्यों पर वस्तुएं उपलब्ध हो। सरकार का प्रत्येक प्रयास ऐसा होना चाहिए की मूल्य वृद्धि पर लगाम लगाई जा सके। मूल्यवृद्धि समाज में अनेक कुकर्मों की जड़ है इसलिए मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
भारत का सामाजिक वर्गीकरण : भारतीय तीन श्रेणियों में वर्गीकृत है। सबसे ऊपर धनी लोग हैं। यह वे लोग हैं जिनके पास किसी वस्तु की कमी नहीं है। सबसे नीचे निर्धन लोग हैं। इनके पास पर्याप्त वस्तु की कमी होती है। इन दो श्रेणियों के मध्य में मध्यम श्रेणी होती है, जो हम लोग हैं। इस श्रेणी के पास बस इतना ही होता है कि वह अपना गुजारा कर सकें। यह ना तो अधिक धनवान होते हैं और ना ही अधिक निर्धन।
निर्भरता के अर्थ में मध्यम श्रेणी की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। इस श्रेणी के अधिकतर लोग नौकरी करने वाले होते हैं। उनको माह के अंत में निश्चित वेतन मिलता है। लेकिन मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। विभिन्न प्रकार के नए-नए कर लगाए जा चुके हैं। इन करों को छुपाना मध्यम श्रेणी के लिए असंभव सा हो गया है।
मध्यम श्रेणी की दशा : मध्यम श्रेणी कार्यकर्ताओं की श्रेणी है। जिन्हें अपनी योग्यता और स्वास्थ्य को व्यवस्थित रखने के लिए अच्छे भोजन की आवश्यकता होती है। उन्हें दूध और फल मिलने चाहिए, लेकिन वर्तमान में दूध का मूल्य ही 52 रुपए प्रति लीटर से अधिक है। फल बहुत महंगे हैं, उन्हें तो मात्र धनी व्यक्ति ही खरीद सकता है। इसलिए मध्यम श्रेणी का व्यक्ति पोषक आहार पाने में असमर्थ है। रहने की उच्च लागत के चलते मध्य श्रेणी के लोगों के लिए सब कुछ असंभव है। यदि यही स्थिति रही तो यह श्रेणी अपनी स्थिति और स्तर को खो देगी। बेरोजगारी इस श्रेणी को प्रभावित कर चुकी है।
मध्य श्रेणी के लोगों की असंतुष्टि समाज के लिए खतरनाक है। इस श्रेणी के अधिकतर लोग शिक्षित हैं। वे वास्तविकता को समझते हैं। इतिहास हमें बताता है कि वे सदैव क्रांतियों के निर्माणकर्ता रहे हैं। वह देश की परंपराओं के अभिभावक हैं। समाज में उनका स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए इस श्रेणी की दयनीय दशा राष्ट्र के लिए हानिकारक है।
उपसंहार : मध्य श्रेणी की दशा सुधरनी चाहिए। प्रतिदिन की आवश्यकता की वस्तुओं का मूल्य कम होना चाहिए। सरकार को निशुल्क उपचार और शिक्षा की सुविधा देनी चाहिए। इस श्रेणी पर से करों का बोझ कम होना चाहिए। उनका वेतन उनकी आवश्यकता अनुसार होना चाहिए। यदि इन सुझावों पर कार्य किया जाए तो मध्यम श्रेणी की दशा में अवश्य सुधार आएगा। समाज में तेजी से बदलाव हो रहा है। इस श्रेणी के लोगों के लिए शीघ्र उसमें सामंजस्य करना कठिन है।
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