ढम ढम ढोल - हिंदी कहानी : ढम ढम ढम आंगन में बैठा राजू ढोल की आवाज सुनकर खड़ा हुआ। उसने सोचा,"पास वाली गली में क्या हो रहा है? चल कर देखता हूं।" थोड़ी देर में ही राजू उछलते-कूदते घर लौटा। तब उसकी मां बाजार जा रही थी। राजू ने कहा, "मां बाजार से मेरे लिए एक ढोल ले आना।" उसकी मां चुप रही और बाजार की ओर निकल पड़ी। मां ने बाजार पर खेत की फसल बेच दी। उन पैसों से आटा और नमक खरीदा, ढोल खरीदने के लिए उसके पास पैसे बचे ही नहीं। खाली हाथ लौटना उसे बुरा लग रहा था पर वह बेचारी क्या करती।
ढम ढम ढोल - हिंदी कहानी
मां ने बाजार पर खेत की फसल बेच दी। उन पैसों से आटा और नमक खरीदा, ढोल खरीदने के लिए उसके पास पैसे बचे ही नहीं। खाली हाथ लौटना उसे बुरा लग रहा था पर वह बेचारी क्या करती। रास्ते में उसे एक लकड़ी का टुकड़ा मिला। उसने वह उठा लिया और घर लौटते ही उसे राजू को दे दिया। राजू कुछ पल लकड़ी को घुमाता रहा फिर बाहर खेलने चला गया।
रास्ते में उसने एक बुढ़िया को देखा। बुढ़िया उपलों से चूल्हा जलाने की कोशिश कर रही थी। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। राजू ने गुड़िया से पूछा आप क्यों रो रही हो ? बुढ़िया ने जवाब दिया मैं रो नहीं रही हूं। ऊपल गीले हैं, चूल्हा नहीं चल रहा। राजू ने कहा, "बस इतनी सी बात, यह लो मेरी लकड़ी इससे चूल्हा जला लो ,बुढ़िया खुश हो गई और उसने राजू को एक रोटी दे दी।
रोटी लेकर राजू आगे बढ़ा। अगली गली में कुम्हार की बच्ची को रोते हुए देखा। राजू ने उसकी मां से कारण पूछा ? मां ने कहा वह भूख से रो रही है। राजू ने तुरंत उसे रोटी दे दी। बच्ची का रोना बंद हो गया। बच्ची की मां ने राजू को प्यार से एक घड़ा दे दिया। राजू घड़े को हाथ में लिए नदी के किनारे पहुंचे। वहां धोबी धोबिन आपस में लड़ रहे थे। बचा हुआ एक घड़ा भी टूट गया अब पानी कैसे उबालें। राजू ने तुरंत उन्हें अपना घड़ा दे दिया। धोबी खुश हो गया और उसने उसे एक गरम कोट दे दिया।
कोट पहनकर राजू ठाट से चलने लगा। रास्ते में पुल के किनारे उसे एक आदमी मिला, वह ठंड से कांप रहा था। राजू ने उसे अपना गरम को दे दिया। उस आदमी ने कहा बेटा तुम बहुत दयालु हो, मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं। तुम मेरा घोड़ा ले जाओ। घोड़े के साथ चलते-चलते राजू की कुछ बारातियों भेंट से हुई। वह पेड़ के नीचे बैठे थे। राजू के पूछने पर बराती बोले, "दूल्हे के लिए घोड़ा अभी तक नहीं पहुंचा, मुहूर्त का समय निकलता जा रहा है" यह सुनते ही उसने अपना घोड़ा उन्हें दे दिया। बराती खुश हुए। दूल्हे ने राजू से कहा तुम्हें जो चाहिए मांग लो। राजू ने पूछा क्या आप अपने बाजे वालों से मुझे एक ढोल दिला सकते हैं ? दूल्हे ने कहा क्यों नहीं और उसने बाजे वाले से कहा कि वह राजू को एक ढोल दे दें। फिर क्या था पूरे रास्ते में की एक ही आवाज गूंजती रही ढम ढम ढम ढम
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