मेरी दिनचर्या पर निबंध। MERI DINCHARYA PAR NIBANDH : मैं सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। अतः मेरी दिनचर्या का एक साधारण का कार्यक्रम है। मैं प्रातःकाल बहुत जल्दी उठ जाता हूँ। हमारे प्रधानाचार्य जी नी एक बार हमें प्रातः जल्दी उठकर भ्रमण पर जाने का महत्व हमें समझाया था। उन्होंने कहा था की सवेरे जल्दी उठने वाले का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और साथ ही बुद्धि भी कुशाग्र हो जाती है। तभी से मैं रोजाना सवेरे जल्दी उठकर भ्रमण पर जरूर जाता हूँ। भ्रमण से आने के बाद मैं अपने नित्यकर्म जैसे शौच, ब्रश तथा स्नान आदि से निवृत्त होता हूँ।
मेरी दिनचर्या पर निबंध। MERI DINCHARYA PAR NIBANDH
मैं सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। अतः मेरी दिनचर्या का एक साधारण का कार्यक्रम है। मैं प्रातःकाल बहुत जल्दी उठ जाता हूँ। हमारे प्रधानाचार्य जी नी एक बार हमें प्रातः जल्दी उठकर भ्रमण पर जाने का महत्व हमें समझाया था। उन्होंने कहा था की सवेरे जल्दी उठने वाले का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और साथ ही बुद्धि भी कुशाग्र हो जाती है। तभी से मैं रोजाना सवेरे जल्दी उठकर भ्रमण पर जरूर जाता हूँ।
भ्रमण से आने के बाद मैं अपने नित्यकर्म जैसे शौच, ब्रश तथा स्नान आदि से निवृत्त होता हूँ। तत्पश्चात मैं कुछ देर भगवान् की पूजा करता हूँ। मेरी माताजी का मानना है की प्रत्येक दिन की शुरुआत भगवान् की पूजा के बाद ही करनी चाहिए इससे दिन अच्छा जाता है और बुराइयां दूर रहती हैं। तत्पश्चात मैं स्कूल के लिए तैयार होता हूँ। हमारा स्कूल सवेरे आठ बजे का है। स्कूल में जाकर मैं अनुभव करता हूँ की ये मेरे दिन का सबसे अच्छा समय होता है जिसमें मैं अपने अध्यापकों से कुछ न कुछ नया तो सीखता ही हूँ साथ ही मित्रों से मिलना भी हो जाता है। मैं स्कूल में सभी विषयों की मन लगाकर पढ़ाई करता हूँ। 12 बजे स्कूल का लंच हो जाता हैं। लंच के बाद बचे समय में मैं थोडा खेल लेता हूँ। हमारे स्कूल की छुट्टी 2 बजे होती है। वहां से घर आते-आते लगभग 2:30 बज जाते हैं।
घर वापस आकर मैं थोडा जलपान करता हूँ और आधा घंटा विश्राम करता हूँ। विश्राम के पश्चाल मैं भोजन करता हूँ। मैं प्रतिदिन शाम को एक घंटा अपने मित्रों के साथ बैडमिन्टन खेलता हूँ जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और मनोरंजन भी हो जाता है। इसके बाद मैं घर वापस आकर पढ़ाई करने में लग जाता हूँ। सर्वप्रथम तो मैं स्कूल का गृहकार्य पूरा करता हूँ तत्पश्चात मैं याद करने वाला कार्य करता हूँ। यह सब करते-करते शाम के लगभग 9 बज जाते हैं। शेष समय में मैं अपने माता-पिता की पास बैठकर बातचीत करता हूँ। तत्पश्चात रात का भोजन करके मैं सोने चला जाता हूँ।
रविवार और दूसरे अवकाश के दिनों में मैं अपने मनोरंजन के लिए लाइब्रेरी चला जाता हूँ जहां मैं बाल साहित्य जैसे नंदन, नन्हे सम्राट और चम्पक आधी पुस्तकें पढता हूँ। कभी-कभी मैं अपने मित्रों से मिलने चला जाता हूँ तो कभी वे स्वयं ही मुझसे मिलने आ जाते हैं। परन्तु मैं अपने जल्दी उठने और सोने के नियम को कभी नहीं तोड़ता हूँ। यही मेरी दिनचर्या है।
Nice composition
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