प्रेस की स्वतंत्रता पर निबंध। Essay on Freedom of the Press in Hindi : आधुनिक दुनिया में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं का तीव्र गति से विकास हुआ है। प्रेस लोकतंत्र की एक शक्तिशाली संस्था है। यह लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में इतना प्रभाव रखती है कि इसको चतुर्थ रियासत कहा गया है। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। प्रेस की आज़ादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। देश का कोई भी कोना मुश्किल से ही ऐसा हो जो इसकी पैनी दृष्टि से अदृश्य रहता हो। यही कारण है कि शक्तिशाली शासक भी इसके महत्व एवं शक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
प्रेस की स्वतंत्रता पर निबंध। Essay on Freedom of the Press in Hindi
आधुनिक दुनिया में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं का तीव्र गति से विकास हुआ है। प्रेस लोकतंत्र की एक शक्तिशाली संस्था है। यह लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में इतना प्रभाव रखती है कि इसको चतुर्थ रियासत कहा गया है। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। प्रेस की आज़ादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। अभी हाल ही में प्रेस ने पूर्वी यूरोप में दुनिया के इस भाग में साम्यवादी अधिनायकवाद को समाप्त करने में लोकतांत्रिक शक्तियों को सहायता प्रदान की है और जो प्रक्रिया प्रारंभ हुई है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी अधिनायकवादी शासन इसके अंदर आ जाएंगे। देश का कोई भी कोना मुश्किल से ही ऐसा हो जो इसकी पैनी दृष्टि से अदृश्य रहता हो। यही कारण है कि शक्तिशाली शासक भी इसके महत्व एवं शक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
पहली भूमिका जो प्रेस लोकतंत्र में निभाती है वह यह है कि यह जनता की प्रवक्ता के रूप में कार्य करती है। लोग सरकार की कमियों के विषय में अपनी शिकायतों को प्रेस के माध्यम से व्यक्त करते हैं। दूसरी ओर सरकार को भी प्रेस के माध्यम से राष्ट्र की नब्ज मालूम करना आसान हो जाता है। जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब चीन के साथ संबंधों के संदर्भ में उस समय की प्रति रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन की भूमिका को लेकर प्रेस में बड़ा शोर मचा। नतीजा यह हुआ कि जनता की इच्छा का आदर करते हुए प्रधानमंत्री के पास मेनन से मंत्रिमंडल से त्यागपत्र मांगने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं था। अपकीर्ति विधेयक (डिफेमेशन बिल) को भारतीय संसद के एक सदन द्वारा पारित किए जाने के बावजूद उसे वापस ले लिया गया जब प्रेस के आपत्तिजनक प्रावधानों के विरुद्ध विरोध का तूफान खड़ा किया। मंडल कमीशन रिपोर्ट का क्रियान्वयन भी रोक दिया गया जब जनता और प्रेस ने इसके विरुद्ध अभियान चलाया। हाल ही में केंद्रीय सरकार को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कराने की अपनी संस्कृति को वापस लेना पड़ा जब प्रेस ने भाजपा द्वारा विश्वास मत प्राप्त करने से संबंधित समाचार का व्यापक प्रचार किया।
दूसरा बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य जो प्रेस लोकतंत्र में करती है वह है जनमत निर्माण का। सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर टिप्पणी एवं आलोचनाओं के द्वारा यह वास्तविकता को जनता के समक्ष रखती है। यह महत्वपूर्ण नीतियों के गूढ़ अर्थ को जिसको सामान्य आदमी नहीं समझ पाता स्पष्ट करती है। इस प्रकार प्रेस की सहायता से सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों के विषय में अपनी राय बनाते हैं। प्रेस सारे विश्व में समाचारों और विचारों को फैलाती है और लोगों को विश्व में होने वाली घटनाओं के विषय में अद्यतन जानकारी कराती है। इसके अतिरिक्त विश्व के निकट एवं दूर के स्थानों में व्यक्तियों और घटनाओं के विषय में ज्ञान संचय करने में सहायक होती है। प्रेस का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है यह है कि यह देश एवं विश्व के लोगों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समस्याओं पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा एवं वाद-विवाद में भाग लेना आसान बनातीहै। सरकार जनता के बहुमत द्वारा व्यक्त विचारों के प्रकाश में अपनी नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करने में आसानी महसूस करती है। आलोचना और टिप्पणियों के द्वारा प्रेस सरकार को सजग रखती है और किसी गलत कार्य के परिणामों के प्रति आगाह करती है। अंतिम¸ प्रेस ने विभिन्न देशों के बीच की दूरियों को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आर्थिक और सांस्कृतिक वैश्वीकरण का बहुत सारा श्रेय विश्व की स्वतंत्र प्रेस को जाता है। यह अभी भी विश्व एक परिवार की धारणा को विकसित कराने में सहायता कर सकती है। यह लोगों की राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने और विश्व के अन्य लोगों से मानसिक धरातल पर संपर्क करने में सहायता करती है।
क्योंकि आज के समाज के जीवन में प्रेस इतनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है यह आवश्यक है कि इसको अपने कार्यों¸ उत्तर दायित्वों को निभाने हेतु आवश्यक स्वतंत्रता प्रदान की जाए। यदि सेंसरशिप लगाकर यह संपादकों और समाचार पत्र मालिकों को डरा धमकाकर प्रेस की आजादी प्रतिबन्धित की जाती है तो विचारों का स्वतन्त्र प्रसारण संभव नहीं होगा। आधारभूत रूप से पेस ही वाणी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को वास्तविकता प्रदान करती है जो कि वास्तव में स्वतंत्रता और लोकतंत्र का मुख्य आधार है। इसके अतिरिक्त सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करने की स्वतंत्रता जब प्रेस को मिलती है तो नए नए तथ्य प्रकाश में आएंगे। यह सरकार और जनता दोनों के लिए ही लाभप्रद रहेगा। दूसरे¸ एक स्वतंत्र प्रेस ही जनता को सही रूप से सूचित कर सकती है और सही जनमत निर्माण करने में सहायक हो सकती है। यदि प्रेस पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो इससे तथ्य तोड़ मरोड़ कर सामने लाए जाएंगे और इससे सत्यता पर प्रभाव प्रतिकूल पड़ेगा। इसके अतिरिक्त स्वतंत्र प्रेस के माध्यम से लोगों की अभिव्यक्ति की शक्ति का बाधारहित विकास होता है जिसका कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में बड़ा महत्व है। एक स्वतंत्र प्रेस निश्चय ही स्वतंत्रता की मशाल को जलाए रखती है और अधिनायकवाद की शक्तियों को नियंत्रण में रखती है। इसके अतिरिक्त यह तथ्यों को उद्घाटित करके अन्याय सहने वालों की सहायता करने और अत्याचारों को दंडित करने की शक्ति रखती है। यह जनता को राजनीतिक सुस्ती से जगाती है और उन्हें अपने कर्तव्य और अधिकारों का बोध कराती है। आधुनिक समय में एक अंतरराष्ट्रीयकरण की भूमिका भी निभा रही है। प्रेस के द्वारा विभिन्न देश में समाचारों और घटनाओं का व्यापक कवरेज इसके हाथों में एक नया अस्त्र है जिसकी सहायता से यह तानाशाहों को अपनी एवं विश्व समुदाय से सच्चाई को छिपाने से रोकती है। इसका परिणाम यह हुआ है कि दबी हुई जनता चाहे वी किसी भी क्षेत्र में निवास करती हो अन्य स्थानों की स्वतंत्रता जनता से अचेतन रूप से संपर्क किए रहती है। इसलिए अब किसी भी तानाशाह या अधिनायकवादी के लिए उनको अधिक समय तक गुलाम रखना असंभव हो गया है।
स्वतंत्रता और उत्तरदायित्व साथ-साथ चलते हैं। पूर्ण स्वतंत्रता वांछनीय नहीं है। प्रेस की स्वतन्त्रता और जनहित मे ताल-मेल होना चाहिए। प्रेस को अपनी स्वतंत्रता का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए कि जनहित में अधिक वृद्धि हो। इसको कुछ थोड़े से लोगों के हित में पीत पत्रकारिता एवं सनसनाहटवाद से बचना चाहिए। इसको स्वानुशासन के अंदर कार्य करना चाहिए। जहां इसके लिए यह आवश्यक है कि सत्य को प्रकाश में लाए वही उसके लिए यह भी आवश्यक है कि उस कड़वे सत्य के प्रकाश से बचे जिससे राष्ट्रीय हित को क्षति पहुंचती हो। इसका क्षेत्र व्यापक होना चाहिए और इसकी परिधि विस्तृत एवं उदार होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त क्योंकि इसका कार्य क्षेत्र इतना बढ़ गया है कि आजकल समस्त विश्व ही इसमें समा गया है इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि यह विश्व शांति और दुनिया के बीच मित्रों की शक्तियों को बढ़ावा दे। तभी यह अपने उत्तरदायित्वों को ठीक से निभा पाएगी और वास्तविक स्वतंत्रता का उपभोग कर पाएगी।
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