गणतंत्र दिवस पर छोटा निबंध। Short Essay on Republic Day in Hindi : स्वतंत्र भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इस संविधान में भारत को सर्वसत्ता संपन्न गणराज्य कहा गया है। अतः प्रतिवर्ष 26 जनवरी को समस्त भारत में गणतंत्र दिवस बड़ी धूम-झाम से मना जाता है। कुटिल अंग्रेजों की दासता के कड़वे घूँट पीने और अपमानित होते रहने के बाद आजादी के दीवानों के बलिदान, लोकमान्य तिलक सावरकर सुभाष चंद्र बोस लाला लाजपत राय चंद्रशेखर आजाद जैसे आजादी के दीवानों की तपस्या तथा महामना मालवीय, गाँधी एवं पं0 नेहरू जैसे अहिंसक आंदोलनकारियों के संघर्ष के कारण अंग्रेज 15 अगस्त 1947 को भारत के शान की बागडोर भारतीय नेताओं के हाथ सौंपकर स्वदेश वापिस चले गए।
कुटिल अंग्रेजों की दासता के कड़वे घूँट पीने और अपमानित होते
रहने के बाद आजादी के दीवानों के बलिदान, लोकमान्य तिलक सावरकर सुभाष चंद्र बोस
लाला लाजपत राय चंद्रशेखर आजाद जैसे आजादी के दीवानों की तपस्या तथा महामना मालवीय, गाँधी एवं पं0 नेहरू जैसे अहिंसक आंदोलनकारियों के संघर्ष के कारण अंग्रेज 15 अगस्त
1947 को भारत के शान की बागडोर भारतीय नेताओं के हाथ सौंपकर स्वदेश वापिस चले गए। पं0 जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री बने एवं डा0
राजेन्द्रप्रसाद प्रथम राष्ट्रपति बनाए गए। लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के कुशल
एवं दृढ़ नेतृत्व ने भारत की सात सौ रियासतों को तिरंगे झंडे के नीचे ला दिया।
इसके पशचात् स्वतंत्र भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इस संविधान
में भारत को सर्वसत्ता संपन्न गणराज्य कहा गया है। अतः प्रतिवर्ष 26 जनवरी को
समस्त भारत में गणतंत्र दिवस बड़ी धूम-झाम से मना जाता है।
इस दिन दिल्ली में समारोहों की छटा निराली होती है। विजय चौक
से प्रारंभ हो कर लालकिले तक जाने वाली परेड इस पर्व का विशेष आकर्षण होता है। इस
समारोह को देखने के लिए लोग सुबह से ही राजपथ के दोनो ओर इकट्ठे होना शुरू हो जाते
हैं। सुबह आठ बजे के लगभग प्रधानमंत्री एवं सभी गणमान्य लोग यहाँ एकत्र होते
हैं। राष्ट्रपति की सवारी सबसे अंत में यहाँ पहुचती है प्रधानमंत्री एवं अन्य
गणमान्य लोग राष्टपति की अगवानी करते हैं और राष्टपति को सलामी मंच तक पहुँचाकर अपना-अपना स्थान ग्रहण करते हैं। इसके पश्चात् तोपों की सलामी के बाद परेड प्रारंभ
होती है। सर्वप्रथम सेना के तीनों अंगो की टुकड़ियाँ राष्ट्रपति को सलामी देती हुई
आगे निकल जाती है। पुलिस तथा पैरा मिलिट्री बलों के जवान भी मार्च पास्ट करते हुए मंच
के सामने से गुजरते हैं। एन0 सी0 सी0 के युवक बच्चों की कदम-ताल भी देखने योग्य
होती है। राजधानी एवं दूसरे प्रदेशों से आए बच्चों की टोलियाँ अपनेःअपने करतब
दिखाती हुई मंच के सामने से गुजरती हैं जो कि सभी को बहुत आकर्षित करती है। सभी
प्रदेशों एवं केंद्र शासित राज्यों की झाँकियँ बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती
हैं.
हमारा कर्तव्य है कि भारतीय गणतंत्र की वर्षगाँठ के साथ हम प्रण करे कि भारत की स्वतंत्रता तथा संविधान की मर्यादा बनाए रखने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। जय हिंद।
COMMENTS