चारमीनार पर निबंध। Essay on Charminar in Hindi : चारमीनार हैदराबाद में स्थित है। यह हैदराबाद की एक मुख्य ऐतिहासिक इमारत है। इसलिए यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हैदराबाद भारत के 27 राज्यों में से एक आंध्रप्रदेश की राजधानी है। चारमीनार का अर्थ है-चारमीनारें अथवा बुर्ज अथवा ऐसी मस्जिद जिसमें चार मीनारें हैं। सन् 1592 में मुहम्मद कुली कुतब शाह ने चार मीनार बनवाई थी तब उसने अपनी राजधानी गोलकुण्डा से हैदराबाद स्थानांतरित की थी। ऐसी मान्यता है कि कुली कुतब शाह ने चारनमीनार बनाने का अल्लाह से वायदा किया था।
चारमीनार पर निबंध। Essay on Charminar in Hindi
चारमीनार हैदराबाद में स्थित है। यह हैदराबाद की एक मुख्य ऐतिहासिक इमारत है। इसलिए यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हैदराबाद भारत के 27 राज्यों में से एक आंध्रप्रदेश की राजधानी है। चारमीनार का अर्थ है-चारमीनारें अथवा बुर्ज अथवा ऐसी मस्जिद जिसमें चार मीनारें हैं।
सन् 1592 में मुहम्मद कुली कुतब शाह ने चार मीनार बनवाई थी तब उसने अपनी राजधानी गोलकुण्डा से हैदराबाद स्थानांतरित की थी। ऐसी मान्यता है कि कुली कुतब शाह ने चारनमीनार बनाने का अल्लाह से वायदा किया था। उसने अल्लाह से प्रार्थना की थी कि यदि उसके शहर से प्लेग खत्म हो जाएगा तो वह चारमीनार बनवाएगा। चारमीनार एक चारमंजिला मस्जिद है। यह मान्तया भी है कि चारमीनार में भूमिगत सुरंग भी है जो चारमीनार से गोलकुण्डा के महल तक है जिससे संकट के समय जान बचाकर भागा जा सके। यद्यपि उस सुरंग को अभी तक नहीं खोजा जा सका है।
चारमीनार एक सुंदर और प्रभावशाली वर्गाकार इमारत है। यह 20 मी. लंबी एवं 20 मी.चौड़ी है। इसकी ऊँचाई 48.7 मीटर है। प्रत्येक मीनार चार मंजिल की है। मीनार के अंदर 149 घुमावदार सीढ़ियाँ हैं जिनके द्वारा दर्शक मीनार के ऊपर तक जा सकते हैं। चारमीनार के हर तरफ मेहराबदार चौक हैं। प्रत्येक मेहराब 11 मीटर चौड़ी है। आज चारों मेहराबों पर एक-एक घड़ी है जो सन् 1889 में लगाई गई थी। चारमीनार के अंदर दो गैलरी हैं जिनमें मुख्य गैलरी में 45 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। यहाँ शुक्रवार के दिन नमाज अदा होती है।
चारमीनार ग्रेनाइट और चूने के गारे से बनी है। यह कैजिया की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। कहा जाता है कि आकाश से बिजली गिरने से इस इमारत का कुछ भाग टूट गया था जिसकी मुगल काल में पुनः मरम्मत कराई गई थी जिसमें 6- हजार रूपए खर्च हुए थे। सन् 1824 चारमीनार पर प्लास्टर कराया गया था जिस पर एक लाख रूपए खर्च हुए थे।
यह गौरवशाली इमारत अंदर से अत्यंत शोभनीय है और अपनी नक्काशी तथा बनावट के लिए सुविख्यात है। अधिकांश दर्शक चारमीनार को रात्रि में ही देखते हैं क्योंकि रात्रि में यह जगमगाती है। इस इमारत के चारों ओर मार्केट है जो दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस समृद्ध एवं उन्नतिशील बाजार में उपयोग की हर वस्तु मिल जाती है। अपने स्वर्णकाल में चारमीनार के बाजार में 14 हजार दुकानें थीं। आज भी इस बाजार में भीड़ लगी रहती है और यहाँ के दुकानदार इंद्रधनुषी रंगों की विभिन्न प्रकार की कांच की चूड़ियाँ बेचते हैं।
निःसंदेह चारमीनार एक अद्भुत अनोखा और दर्शनीय पर्यटन स्थल है। प्रथिदिन सैकड़ों पर्यटक इसे देखने आते हैं।
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